थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ वि.सं १९ कार्तिक २०८२, बुधबार ]
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अर्थतन्त्रके मेरुदण्डः उद्योगबिना सम्भव नैहो

पहुरा | १९ श्रावण २०८२, सोमबार
अर्थतन्त्रके मेरुदण्डः उद्योगबिना सम्भव नैहो

आज नेपालसे भोग्टी रहल प्रमुख चुनौतीमध्ये रोजगारी अभाव सबसे गहिर समस्या बनसेकल बा । प्रत्येक वर्ष हजारौं युवाशक्ति विदेश जैना क्रम बह्रटी बा मने ओकर मूल कारणमे सरकारके योजनाविहीन नीति, उद्योगविहीन आर्थिक ढाँचा ओ स्थानीय रोजगारी सिर्जनाके प्रति उदासीनता स्पष्ट विल्गाइठ । नेपालजैसिन कृषिप्रधान देशमे समेत उत्पादनमूलक उद्योग स्थापनामे राज्यके कमजोरी डेखल बा । विगत दुई दशकके तथ्यांक हेरेबेर स्पष्ट हुइठ सरकार उद्योगहे प्राथमिकता डेहल नैहो ओ यिहे कारणसे देशके समग्र विकास ओ आर्थिक आत्मनिर्भरता सपनाजैसिन बनल बा ।

वास्तविकता का हो कलेसे हमार देश नेपालमे रोजगारीके पर्याय बनल बा वैदेशिक श्रम बेरोजगारीके यैसिन भयानक अवस्थासे देश गुज्रटी रहल बेला सरकारसे यकर समाधान खोज्न गम्भीर प्रयास करल विल्गाइठ । सन् २०२५ के प्रारम्भसम आइल उद्योग विभागके विवरणअनुसार बागमती प्रदेशमे केल्ह करिब ४९३ उद्योग दर्ता हुइल बटै मने अन्य प्रदेशमे ओसिन तुलनामे बहुट न्यून संख्या बा कोसी, मधेस ओ गण्डकी प्रदेशमे केल्ह १९–१९ लुम्बिनीमे २५ ओ सुदूरपश्चिमे जम्मा ६ उद्योग दर्ता हुइल बटै । अइसिन तथ्यांकसे स्पष्ट डेखाइठ कि सरकारके ध्यान समान क्षेत्रीय विकासमे नैहो । उद्योग स्थापनामे राज्यके राजनीतिक इच्छाशक्ति नैहुके देश आन्तरिक रोजगारी सिर्जनासे दुर हुइटी गैल बा ।

नेपालके अधिकांश उद्योग राजधानी केन्द्रित बटै । ओम्नेफे उत्पादन नाही आयातमे आधारित थोक डिलर, प्याकेजिङ उद्योग वा परिष्कृत वस्तुके सीमित कारोबार केल्ह बटै । बाँकी क्षेत्रमे चाहिँ उद्योगके नाममे काम चलाउ प्रयास केल्ह बटै । सरकारसे “स्वदेशमे रोजगारी सिर्जना कैना“ कहिके बारम्बार घोषणा कैना करलेसेफे ओकर कार्यान्वयनमे शून्यता विल्गाइठ । उदाहरणके लाग नेपालमे एक दशकसे ढेर समयसे घोषणा करल मल कारखानाके योजना अभिनसम कार्यान्वयनमे आइल नैहो । किसानहुक्रे वर्षेनी मलके अभावमे सास्ती भोग्टी रहल बटै मने सरकारसे भर उहे आश्वासन दोह¥यइना कामकेल करटी आइल बा ।

हमार कृषिप्रधान देशमे उद्योगके विकाससे अर्थतन्त्रहे केल्ह नाही रोजगारी सृजनाहे समेत बल पुगाइठ । चाउर, लाही, गोहुँ, माखुर, टिना, फलफूल यी सक्कुके उद्योग निर्माण करे सेक्ना देशके क्षमता रहरहटी फे ओम्ने लगानी ओ नीतिगत प्रोत्साहनके खडेरी विल्गाइठ । कृषिमे आधारित उद्योग स्थापना करके स्थानीय कच्चा पदार्थहे प्रयोग करटी उत्पादनमे रूपान्तरण कैना रणनीति अपनाइल हुइलेसे हम्रे करोडौं रकम खर्च करके छिमेकी राष्ट्र भारत ओ चीनजैसिन मुलुकसे आयात करेपर्ना अवस्था नैरहट । सरकारी नेतृत्वसे अभिनफे उत्पादनसे आयातमुखी आर्थिक ढाँचाहे निरन्तरता डेहल बा ।

दुसर पक्षमे हेरेबेर सरकारी तन्त्रके ढिलासुस्ती ओ कर नीति उद्योगके लाग बाधक बनल बा । हाल सञ्चालनमे रहल उद्योगसे स्थानीय, प्रदेश ओ संघ तीनु सरकारसे कर तिरेपर्ना स्थिति रहल बा जिहीसे उद्योगीहे झन हतोत्साहित बनाइल बा । स्पष्ट कर नीति अभाव, झन्झटहा प्रक्रिया, अनावश्यक जाँच पास प्रणाली, आयात निर्यातके पेचिलो अनुमति प्रक्रिया यी सक्कुसे औद्योगिक वातावरणहे असहज बनाइल बा । उद्योगके वृद्धिमे सघैना राज्य नीति अभिनफे अस्पष्ट बटै ।

अब्बे नेपालमे उत्पादन हुइना मुख्य वस्तु चिनी, चामल, इँटा, सिमेन्ट, चप्पल, जुटके सामान प्रति बजारमे माग बा मने उ उद्योगके उत्पादन क्षमतामे गिरावट आइल विल्गाइठ । यी गिरावटके मूल कारण कहल कच्चा पदार्थके आयातमे निर्भरता, ऊर्जा संकट, पूर्वाधार अभाव ओ बजार व्यवस्थापनके कमजोरी हो । खास करके ऊर्जा संकट नेपालके अधिकांश उद्योगके मर्ममे परल चोट हो । नियमित विद्युत आपूर्ति नैहुइल, सौर्य तथा वैकल्पिक ऊर्जा प्रवद्र्धनमे सरकार गम्भीर नैडेखल ओ पूर्वाधार (सडक, यातायात, भन्सार सहजता) के अभावसे उद्योग धराशायी बन्टी गैल बा ।

नेपाल सरकारसे औद्योगिक व्यवसाय ऐन २०७६ लागू करल हुइलेसे ओकर प्रभावकारी कार्यान्वयन नैकरेबेर यकर प्रभाव सीमित बनल बा । उद्योगमैत्री वातावरण निर्माण कैना कहल कानुनहे व्यावहारिक जीवनमे रुपान्तरण कैना सरकार असफल डेखल बा । ऐन बनैना केल्ह पर्याप्त नैहो ओकर कार्यनयनमे इच्छाशक्ति, प्रशासनिक दक्षता ओ लगानीमैत्री संरचना आवश्यक परठ । विडम्बना हमार देश नेपालमे नीति बनैना ओ उहीहे लत्यइना परम्परा विकास हुइल विल्गाइठ ।

यिहे सन्दर्भमे एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठ्छ का सरकार वास्तवमे उद्योगके विकास चाहठ ? यदि चाहन्छ कलेसे काहे प्रत्येक वर्ष सरकारसे अपन नीति तथा कार्यक्रम ओ बजेट वक्तव्यमे उद्योग स्थापना सम्बन्धी लक्ष्य नैतोक्ठ ? काहे प्रदेशस्तरीय पूर्वाधार योजनामे उत्पादनमूलक क्षेत्रहे प्राथमिकता नैठेहठ ? काहे ऋण लेना चहना छोट उद्योगी साखमे समस्या हुके बिचौलियाके सहारामे जाईपर्ना स्थिति आइठ ? यी प्रश्न सरकारी गम्भीरताके परीक्षण कैना कसौटी हुइट । दुर्भाग्यवश यी प्रश्नके उत्तर पत्ता नैहो ।

उद्योगके विकाससँगे राज्यसे कृषि, सेवा, पर्यटन, ऊर्जा ओ पूर्वाधारमे समेत गुणात्मक सुधार ल्याने सेकठ । उदाहरणके लाग छोट किसानहे उत्पादनपाछे उत्पादित वस्तु बिक्रीके लाग बजार ओ मूल्य सुनिश्चित करे सेक्ठै उद्योगिक संयन्त्र बनैलेसे कृषिमे युवाके आकर्षण बह्रे सेकठ । आज लाखौं रोपनी जमिन बाँझ बा काहेकी किसानहे न मल बा न औजार न प्रविधि न टे मूल्यके निश्चितता ओम्ने आधारित कृषिजन्य उद्योग नैहुइना कृषि क्षेत्रक अवमूल्यनके मूल कारण हो ।

नेपालमे श्रमके सम्मान कैना परिपाटी कमजोर रहल तथ्यफे स्वीकार करे परी । यिहे मानसिकता प्रवृत्तिके कारण युवासे कृषि, निर्माण, सेवा जैसिन क्षेत्रमे काम करे नैचाहठै । कामके आधारमे हैसियत तोक्न समाजिक दृष्टिकोणसे उत्पादनमुखी श्रमके अवमूल्यन करल बा । पश्चिमी देशमे जस्टे “सहजुल अप्ठ्यारो नैहो काम हो” कना भावना नेपालमे विकास हुइृ नैसक्के फे उद्योग जनशक्ति अभावसे चले नैसेकल अवस्था विल्गाइठ ।

यी समस्याके समाधान कहल नम्मा अवधिके योजनाबद्ध दृष्टिकोणसे आई सेकठ । राज्यसे प्रदेशगत रूपमे प्रत्येक वर्ष कम्तीमे एक भारी उद्योग स्थापना कैना नीति लेना हो कलेसे एक वर्षमे ७ ठो प्रमुख उद्योग स्थापना करे सेक्जाइृ । यैसिन उद्योगसे सयौं श्रमिकहे प्रत्यक्ष रोजगारी दि कलेसे अप्रत्यक्ष रूपमे हजारौंहे रोजगारी दि । उद्योगके विकाससे व्यापार घाटा घटैना केल्ह नैहो निर्यात प्रवद्र्धनमे समेत टेवा पुगठ । आज नेपालमे २ खर्बसे ढेरके वार्षिक व्यापार घाटा रहल बा । कृषि आधारित उद्योग स्थापना करलेसे भर यी घाटाहे न्यूनीकरण करेसेक्जाई ।

दुसर महत्वपूर्ण पक्ष उद्योगमे लगानी करे चाहलके लाग वातावरण बनैना सरकार पूर्णरूपमे चुक्टी रहल बा । लगानीमैत्री संरचना कहल न टे केवल नीतिमे उल्लेख हुइना न टे बोर्ड गठन कैना केल्ह हो ओकर व्यवहारिक कार्यान्वयन हुई परठ । उद्योगीसे सहज ऋण पाइए परठ, प्राविधिक सहयोग पाई परठ, कर छुट वा अनुदान पाई परठ । मने हमार देश नेपालमे उद्योग स्थापना करे खोज्न पहिला डोजर किन्न नाही भ्रष्टाचार हटैना उपाय खोजे परठ कना ठट्टा करेपर्ना अवस्था बा ।

अन्ततः प्रश्न उठठ का नेपाल सरकार उद्योग स्थापना ओ विकासप्रति गम्भीर बा ? जवाफ अब्बेक अवस्थाहे हेरे बेर नैहो कहे परी । राजनीतिक अस्थिरता, स्पष्ट नीति अभाव, कार्यान्वयनमे कमजोरी, प्रशासनिक ढिलासुस्ती ओ भ्रष्टाचार यी सक्कु उद्योग स्थापनाके सपना अधुरे बनैटी रहल बटै । युवाहुक्रे देशभिटरसे काम करे चाहठै मनृे अवसर नैहो उद्योग सञ्चालनमे रहल समस्या समाधान नैकरके नयाँ उद्योग स्थापना कैसिक सम्भव हुई ?

यदि राज्यसे विकासमे जाटिक चासो रख्ने हो कलेसे पहिल प्राथमिकता स्वरूप हरेक वर्ष एक भारी उद्योग स्थापना कैना नीति लेके ओम्ने संसाधन केन्द्रित करे परल । ओकर लाग प्राविधिक जनशक्ति उत्पादन, पूर्वाधार निर्माण, वैदेशिक लगानी भित्रैना वातावरण, श्रम सम्मान कैना शिक्षा ओ भ्रष्टाचार विरुद्धके कठोर नीति लागू करेपरठ । हमार देश नेपालमे बेरोजगारी हटैना, आर्थिक विकास कैना, वैदेशिक रोजगार विस्थापन कैना ओ व्यापार घाटा न्यूनीकरण करे चाहल एक्के माध्यम हो उद्योगके विकास राज्यसे ढिलासुस्ती, अनिश्चितता ओ आश्वासनके राजनीति बन्द करके योजनाबद्ध, प्रभावकारी, पारदर्शी ओ इमान्दार कार्यशैलीमे प्रवेश करलेसे केलह यी सम्भव बा । आज नैहो कलेसे काल्हके पुस्तासे राज्यके अकर्मण्यता झन गम्भीर मूल्य चुकाई पर्ना बा ।

(लेखकः बोहोरा अर्थ सवाल साप्ताहिकके सम्पादक तथा नेपाल पत्रकार महासंघ काठमाडौं शाखाके सचिव हुइट ।)

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