थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ वि.सं १२ कार्तिक २०८२, बुधबार ]
[ 29 Oct 2025, Wednesday ]

“कविता माला दिउवा” लोकार्पण

पहुरा | १२ कार्तिक २०८२, बुधबार
“कविता माला दिउवा” लोकार्पण

पहुरा समाचारदाता
चितवन, १२ कार्तिक ।
थारू समुदायके समृद्ध सांस्कृतिक ओ साहित्यिक धरोहरहे नयाँ ऊँचाइमे पुगैना उद्देश्यके साथ अग्रज लेखक एवम् कवि भजुमनराम महतो कृत थारू भाषाके कविता सङ्ग्रह “कविता माला दिउवा” एक भव्य समारोहके बीच लोकार्पण करल बा ।

थारू लेखक संघ, केन्द्रीय अध्यक्ष तथा वरिष्ठ थारू साहित्यकार कृष्णराज सर्वहारीके वरका पहुनामे विमोचन कार्यक्रम हुइल हो । उहाँ ‘कविता माला दिउवा’हे थारू भाषाके काव्य यात्रामे एक महत्वपूर्ण रचनात्मक जोडके रूपमे व्याख्या करटी कहलै— “थारू साहित्य अब्बे निरन्तर विकासके डगरमे बा । भजुमनराम महतोजैसिन स्रष्टाके सिर्जनासे हमार भाषा, संस्कृति ओ पहिचानहे बल्गर बनैना काम करले बा ।” कार्यक्रमके अध्यक्षता थारू लेखक संघ, चितवनके अध्यक्ष चन्द्रमणी महतो करल रहिट ।

उहाँ कविके समर्पण ओ साहित्यिक योगदानके प्रशंसा करटी कहलै— “भजुमनराम महतो, थारू भाषाके अभियन्ता केल्ह नाही, भावनाके कविफे हुइट । उहाँके कवितामे दुःख, माया, संघर्ष ओ जीवनके गहिरो यथार्थ गुँठल बा ।”

समर्पण ओ भावनाके प्रतीक ‘दिउवा’

कविता सङ्ग्रह ‘कविता माला दिउवा’ कवि महतोसे अपन स्वर्गीय गोसिनीया लछुमिनिया महतोके पाँचौँ पुण्य तिथिके स्मृतिमे लोकार्पण करल हुइट ।

कविसे पुस्तकमार्फत अपन जीवनसंगीनीके सम्झनाहे सिर्जनाके ओजरार “दिउवा” (दीया) मे रूपान्तरण करले बटै । उ कवितासङ्ग्रहमे विशेष करके थारू समाजके चेलीहुकनके पीडा, वेदना, आत्मबल ओ असमानता विरुद्धके मौन प्रतिवाद अभिव्यक्त करल बा ।

पुस्तकके कवितासे थारू समाजके गहिरा भावनात्मक तहमे पुगके नारी संवेदना, सामाजिक संरचना ओ अस्तित्वके प्रश्न उठैले बटै ।

समीक्षा ओ परिचर्चा

कार्यक्रममे पुस्तक समीक्षा तथा परिचर्चाके लाग सामजविद् एवम् समालोचक डाक्टर सञ्जय महतो ओ थारू भाषा साहित्यके ज्ञाता बाबुराम पाण्डे उपस्थित रहिट ।

डाक्टर सञ्जय महतो ‘दिउवा कविता माला’ हे थारू भाषाके आधुनिक कवितामे एक ठो साहित्यिक मोडके रूपमे व्याख्या करटी कहलै — “भजुमनराम महतोके कवितामे आत्मस्वर, समाजस्वर ओ समयस्वर मिलल बटै । यी केवल कविता सङ्ग्रह नैहो, थारू समाजके अन्तरआवाज हो ।”

समीक्षक बाबुराम पाण्डे कहलै— “कविताके भाषिक बनावट सरल हुइलेसेफे यकर भावनात्मक गहिराई अत्यन्त सबल बा । यी पुस्तकसे नयाँ पुस्ताके स्रष्टाहे प्रेरणा डि ।”

कार्यक्रममे टमान साहित्यकार, बौद्धिक तथा सामाजिक व्यक्तित्वहुक्रे अपन विचार प्रस्तुत करल रहिट ।
इन्द्र प्रसाद रेग्मी (उपकुलपति, भरतपुर महानगर प्रज्ञा प्रतिष्ठान) से थारू भाषाके संरक्षण ओ साहित्यिक विकासमे थारू लेखक संघके अग्रणी भूमिकाके प्रशंसा करटी कहलै— “स्थानीय भाषाके साहित्य विकाससे राष्ट्रिय साहित्यके सौन्दर्य बढाइठ । ‘कविता माला दिउवा’ जैसिन कृतिसे देशके भाषिक विविधताहे उजागर करठ ।”

कवि एवम् साहित्यकार रवि किरण निर्जीव, वरिष्ठ साहित्यकार एवम् समालोचक डिआर पोखरेल, अग्रज थारू लेखक लक्ष्मण प्रसाद चौधरी, भरतपुर–२२ वडा प्रमुख विष्णुराज महतो, गजलकार एवम् साहित्यकार धनराज गिरी, ओ थारू कल्याणकारिणी सभा चितवनके सभापति ललित चौधरी, थारू कल्याणकारिणी सभा चितवनके कोषाध्यक्ष सविता चौधरी लगायतके वक्ताहुक्रफे ‘कविता माला दिउवा’ हे थारू समाजके आत्मपहिचानसँग जोरल ऐतिहासिक दस्तावेजके रूपमे वर्णन करल रहिट ।

कार्यक्रमके स्वागत मन्तव्य थारू लेखक संघ, चितवनके उपाध्यक्ष डाक्टर राउत प्रस्तुत करले रहिट ।
उहाँ संघके ओरसे स्रष्टा भजुमनराम महतोप्रति आभार व्यक्त करटी थारू भाषाके साहित्यिक अभियानहे निरन्तर आघे बह्रैना प्रतिबद्धता जनैलै ।

कार्यक्रम सञ्चालन तथा उद्घोषण मनोज चौधरीसे कुशलतापूर्वक सञ्चालन हुइल रहे । समारोहके अन्त्यमे सहभागीहुक्रे कवि भजुमनराम महतोके समर्पण, थारू भाषाप्रतिके प्रेम ओ साहित्यिक योगदानप्रति गहिर सम्मान व्यक्त करल रहिट ।

उ कार्यक्रमसे थारू भाषाके साहित्यिक धारा केल्ह नाही, थारू समुदायके सांस्कृतिक पहिचानहेफे बल्गर बनैना मार्ग प्रशस्त करल वक्ताहुकनके निष्कर्ष रहे ।

कार्यक्रमसे उपस्थित साहित्यकार, पत्रकार, शिक्षाविद् ओ संस्कृतिप्रेमीहुकनहे एक्के मञ्चमे ल्यन्टी थारू भाषाके गौरव ओ सम्भावनाके ओजरार “दिउवा” जराइल बा ।

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