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[ वि.सं १४ कार्तिक २०८२, शुक्रबार ]
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सुदूरपश्चिममे वैवाहिक बलात्कार बह्रटी

पहुरा | १४ कार्तिक २०८२, शुक्रबार
सुदूरपश्चिममे वैवाहिक बलात्कार बह्रटी

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १४ कार्तिक ।
महिला पुनस्र्थापना केन्द्र (ओरेक)से त्रैमासिक प्रतिवेदन सार्वजनिक करटी सुदूरपश्चिम प्रदेशमे वैवाहिक बलात्कार बह्रटी रहल जनैले बा ।

सन २०२५ जुलाईसे सेप्टेम्बरसममे रिपोर्टमे वैवाहिक बलात्कार बह्रटी रहल ओरेक सुदूरपश्चिम प्रदेश संयोजक सपना थापा जनैली ।

सुदूरपश्चिम प्रदेशमे महिलाउप्पर हुइना वैवाहिक बलात्कारके घटना मौन मने निरन्तर रूपमे बह्रटी गैल ओरेक सुदूरपश्चिम प्रदेशके पछिल्का तथ्याङ्कसे डेखाइल बा ।

भोज हुइल भिटर हुइना बलात्कारहे अभिनफे “गोसियाके अधिकार” वा “वैवाहिक कर्तव्य”के रूपमे सामान्यीकृत करेबेर प्रभावितहुक्रे मौन रना बाध्य पर्ना केल्ह नैहोके समाजमे यी मेरिक हिंसाहे औपचारिक रुपमे स्वीकृति प्रदान करल बा ।

तथ्याङ्कीय अवस्था ओरेकसे जुलाई २०२४ से जुन २०२५ समके अवधिमे संस्था कार्यरत जिल्लासे २१ ठो वैवाहिक बलात्कारके घटना अभिलेखिकरण करल बा । उ मध्ये सुदूरपश्चिम प्रदेशके कैलाली, कञ्चनपुर ओ बाजुरा जिल्लासे केल्ह ९ ठो घटना जनवरीसे सेप्टेम्बर २०२५ भिटर अभिलेखिकारण हुइल बा । ओस्टेक करके एक अनुन्धानमे ग्रामीण नेपालके १२९६ जाने विवाहित महिला मध्ये ४६ प्रतिशत गोसियासे यौन हिंसा” के अनुभव भोगल पाइल बा ।

ओस्टेक करके बैवाहिक बलात्कार सम्बन्धी एक अध्ययनमे ३६२ जाने महिलामध्ये ५३.६ प्रतिशतसे “वैवाहिक बलात्कार” अनुभव करल विल्गाइठ ।

यी संख्या वास्तविक अवस्थाके केवल प्रतिनिधिमूलक तथ्यांक केल्ह हो । ओरेकसे प्रभावितसंग प्रत्यक्ष बाटचिट, मनोविमर्श ओ वैवाहिक सम्बन्धभिटर हुइना घरेलु हिंसाके ढेर उजुरीमे, विश्लेषण करेबेर, ‘यौन सहमतिके अभाव’ ओ ‘जबरजस्ती यौन सम्पर्क’ मूल कारणके रूपमे पाइल बा ।

साथे यी अवधिमे (जुलाईसे सेप्टेम्बर) कैलाली जिल्लासे केल्ह २८ ठो लैङ्गिक विभेदमे आधारित हिंसाके घटना अभिलेखिकरण हुइल बा । जेम्ने घरेलु हिंसा ३९.३ प्रतिशत अर्थात ११ ठो, यौनजन्य हिँसा १७.९ प्रतिशत (५ ठो), हत्या तथा प्रयास १०.७ प्रतिशत (३ ठो), आत्महत्या प्रयास ७.१ प्रतिशत (२ ठो) मानब बेचबिखन तथा प्रयास १०.७ प्रतिशत (३ ठो), सामाजिक हिँसा ३.६ प्रतिशत (१ ठो) ओ अन्य १०.७ प्रतिशत (३ ठो) घटना रहल बा ।

यी तथ्याङ्कसे स्पष्ट डेखाइठ । महिलाउप्परके हिंसा अब सार्वजनिक स्थलसे ढेर अपने घर ओ व्यक्तिगत सम्बन्ध भिटर केन्द्रित हुइटी गैल बा । भोज जैसिन सम्बन्ध, जिहीसे सुरक्षाके अनुभूति डेहठ कना हमार सामाजिक मान्यता बा, आज ढेर महिलाके लाग हिंसा ओ नियन्त्रण कैना औजार बनल बा ।

प्रतिनिधिमूलक घटना १ः कैलालीके २५ वर्षीया महिलाके कथा १४ वर्षके उमेरमे विवाह बन्धनमे बाँधल ऐना (परिवर्तित नाम) के जीवन, जिम्मेवारी ओ हिंसाके चक्रमे फसल बा । गोसियासे निरन्तर मादक पदार्थ सेवन कैना, जबर्जस्ती यौन सम्पर्क करे खोज्न, अस्वीकार करेबेर कुटपिट कैना ओ यौनाङ्गमे चोट पुगैनासमके अत्याचार सहन उहाँक दैनिकी जैसिन बनल बा । अपने ओ छावाके पालनपोषणके लाग उहाँ धनगढीमे छोट पसल सञ्चालन करली, मने गोसियाके हिंसात्मक व्यवहार ओ अपमानसे अन्ततः सम्बन्धविच्छेदके अवस्थामे पुगाइल । उहाँ कहठी, “मोर शरीरउप्परके अधिकार मोरठेन नैहो कना महसुस हुके बँच्नफे बोझ हुइल । भोज मोर लाग संरक्षण नाही, निरन्तर यातना बनल ।”

प्रतिनिधिमूलक घटना २ः कञ्चनपुरके ३२ वर्षीया महिलाके अनुभव ११ वर्षआघे अपने गाउँके युवकसँग भोज करल दृष्टि (परिवर्तित नाम) के जीवन, वर्षौंसे निरन्तर शारीरिक ओ मानसिक यातनामे बिटटी रहल बा । गोसिया नियमित रूपमे रक्सी सेवन कैना, काम नैकैना, ओ छोट बाट निकारके कुटपिट कैना करिट ।
उहाँ कहली, “मै यौन सम्बन्धके लाग अस्वीकृति जनाईबेर उहाँ अभिन हिंस्रक बनिट । मोर शरीर उहाँक अधिकार हो कना सोचसे मै थिचल रहुँ । हरेक दिन जबरजस्ती सहमति जनाईपर्ना बाध्यता रहे ।” हिंसाके निरन्तरतासे उहाँक शारीरिक स्वास्थ्य कमजोर बनाइल ओ मानसिक रूपमे समेत थकित बनाइल । अब्बे उहाँ सम्बन्ध विच्छेदके प्रक्रियामे बटी ओ कहठी, “अब मोर शरीरउप्पर औरके नाही, मोर केल्ह अधिकार रहे ।”

यी दुई कथा प्रतिनिधिमूलक केल्ह हुइट मने यिहीसे सुदूरपश्चिम प्रदेशमे वैवाहिक सम्बन्धभित्र नुकल हिंसाके गहिरा तह उजागर करठै । वैवाहिक बलात्कार कौनो निजी विषय नैहो, यी पितृसत्तात्मक सोच, महिलाके शरीरहे पुरुषके भोगके साधन ओ बस्तुके रुपमे लेना मानसिकता परिणाम हो । महिलाके सहमति बिना हुइना यौन सम्पर्कहे अभिनफे ‘वैवाहिक दायित्व’ के रूपमे स्वीकारेबेर हिंसा वैधानिक ओ सामाजिक दुनु तहमे सामान्यीकृत हुइटी गैल बा ।

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