मृत्युदण्ड सजायके फैसलाप्रति इन्सेकसे गम्भीर चिन्ता व्यक्त
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ४ अगहन । बङ्गलादेशके पूर्व प्रधानमन्त्री शेख हसिना सहित अन्य अधिकारीहे विशेष अदालतसे अगहन १ गते सुनाइल मृत्युदण्डके सजायके फैसलाप्रति इन्सेक गम्भीर चिन्ता व्यक्त करले बा ।
इन्सेकके अध्यक्ष विजयराज गौतम विफेक रोज विज्ञप्ती जारी करटी यी फैसला केवल एक ठो कानूनी निर्णय केल्ह नाही, दक्षिण एशियामे लोकतान्त्रिक अभ्यास, मानव अधिकार, प्राकृतिक न्याय, निष्पक्ष सुनुवाइ, राजनीतिक स्वतन्त्रता ओ स्थिरताके भविष्यसँग प्रत्यक्ष रूपमे जोरल विषयफे रहल कहल बा ।
मृत्युदण्डके प्रावधानके विश्वव्यापी रूपमे अन्त्य हुईपर्ना मानव अधिकार अभियानके भावना तथा नागरिक राजनीतिक अधिकारसम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रिय प्रतिज्ञापत्रके प्रावधान विपरीत घोषणा करल फैसलासे न्यायोचित प्रक्रियाके अनुसरण करल नैहो ओ अन्तर्राष्ट्रिय मानव अधिकार मापदण्डके अवहेलना करले बा ।
सन् २०२४ जुलाइमे हुइल विद्याार्थी आन्दोलनके क्रममे हुइल गम्भीर मानव अधिकार उल्लङ्घनके पीडितसे न्याय, सत्य स्थापना ओ जवाफदेहिता प्राप्त करेपर्ना आवश्यकता स्पष्ट बा ।
मानव अधिकार विरोधी अपराधमे संलग्नहे जिम्मेवार बनैना वैकल्पिक प्रक्रिया हुई सेकठ । मने, कानून व्यवसायीसँगके स्वतन्त्र परामर्श कैना, अपने रोजल कानून व्यवसायीमार्फत बचाउ प्रस्तुत कैना तथा स्वतन्त्र ओ निष्पक्ष अदालतमे अपन कहाई रख्न व्यक्तिके अधिकारके समेत बेवस्ता करटी हसिनाविरुध्द सजाय सुनाइल बा ।
न्यायिक प्रक्रियाके पारदर्शिता, स्वतन्त्रता ओ निष्पक्षता अभाव डेखल बा कलेसे यी प्रकृया अन्तर्राष्ट्रिय मानव अधिकार मान्यताके प्रतिकूल बा । बङ्गलादेश यातनाविरुद्धके महासन्धिके पक्ष क्याटके पक्ष राष्ट्र हो जिहीसे क्रुर, अमानवीय वा अपमानजनक सजाय, जेम्ने मृत्युदण्ड स्वयंफे समावेश हुइना ओ मृत्युदण्डहे स्पष्ट रूपमे निषेध करल बा । यी फैसलासे महासन्धि अन्तर्गत बङ्गलादेशके दायित्व उल्लङ्घन करल डेखठ ।
मृत्युदण्ड अन्तिम, क्रूर, अमानवीय ओ अपमानजनक दण्ड हो । राजनीतिक तथा विवादित मुद्दामे मृत्युदण्डके प्रयोगसे न्यायिक त्रुटि, प्रतिशोध ओ प्रक्रियाके दुरुपयोगके सन्देहहे झन मजबुत बनाइठ । साथे, बङ्गलादेश अन्तर्राष्ट्रिय फौजदारी अदालतसम्बन्धी रोम विधानके पक्ष राष्ट्रसमेत हो ओ रोम विधानसे मृत्युदण्डहे स्पष्ट निषेध करठ । सन् १९९१ के संविधानसे मृत्युदण्डके सजाय नैरहल दक्षिण एशियाके एक लोकतान्त्रिक गणतान्त्रिक राष्ट्रसे हम्रे भारतमे शरण लेटी रहल शख हसिनाहे सुपुर्दगी नैकैना भारत सरकारसँग आग्रह करटी । क्रूर वा अमानवीय सजायके जोखिम हुइल व्यक्तिहे सुपुर्दगी नैकैना दायित्वसे भारत सरकारफे बाँधल बा ।
न्याय, सत्य स्थापना ओ जबाफदेहिता महत्वपूर्ण बटै मने मृत्युदण्ड कौनोफे अवस्थामे न्यायके साधन हुइृ नैसेक्ना कारणसे मृत्युदण्डके सजाय कार्यान्वयन रोक्न तथा निष्पक्ष, स्वतन्त्र ओ अन्तर्राष्ट्रिय मानकअनुरूप पुनः सुनुवाइ सुनिश्चित कैना तत्काल आवश्यक कदम चल्न इन्सेक बङ्गलादेश सरकारसँग आग्रह करले बा ।


