रानाथारू भाषामे लेखन अभ्यास

अब्बे थारु भाषामे मानक लेखनके बाट बहुट गरमागरम ढंगसे आगे बह्रल बा । थारुन्के छाता संगठन थारु कल्याणकारिणी सभा (थाकस) कुछ समय पहिले थारु मानक भाषाके बारेम भर्चुअल बहस कराइल । इ बारेम साहित्यकार सोम डेमनडौरा फेन लाइभ कार्यक्रम चलैलाँ । थाकस हालि मानक भाषामे टुंगोमे पुगक लग विज्ञ टोली बनैटि रहल खबर फेन बा ।
इहे क्रममे सुदूरपश्चिम प्रदेशके कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे बोल्टी आइल रानाथारू मातृभाषाके व्याकरण बनैना ओ अभिलेखीकरण कैना समाचार आइल बा । इहिसे पहिले नेपाल रानाथारू समाजके सहयोग ओ समन्वयमे भाषा आयोगसे रानाथारू भाषाके अभिलेखीकरण सम्बन्धी अध्ययन हो सेकल बा । आब व्याकरण बनैना बारेम सरोकारवालन्से छलफल आगे बह्रल बा ।
सरकारसे गइल बरस माघ २० मे रानाथारू समुदायहे अलग्गे सूचीकृत कइगैलमे रानाथारू समुदायके पहिचान स्थापित हुइल उ समुदायके ठहर बा । कौनो फेन भाषाके अभिलेखीकरण कैना काम शब्दकोश, व्याकरण बिना पूर्ण नाइ हुइठ । त्रिभुवन विश्वविद्यालय भाषा विज्ञानके सहायक डिन, भाषाशास्त्री डा. दुवीनन्द ढकाल रानाथारू भाषाके पहिलचो शब्दकोश लिख्के प्रकाशित कै सेक्ले बटाँ । नेपाल रानाथारू समाजके पहलमे करिब १० हजार शब्द संकलन हो सेकल सुन गैल बा । मने व्याकरण नैहो । ओहेसे यकर तयारीमे नेपाल रानाथारू समाज, भाषा आयोगके सहकार्यमे लागल बा ।
ओसिन टे रानाथारू समुदायके स्थानीय पाठ्यक्रम बन सेकल बा । अर्लि ग्रेड रिडिङ प्रोग्राम (इजीआरपी) अन्तर्गत पाठ्यक्रम विकास केन्द्र १ से ३ कक्षासम पोस्टा तयार कैसेकल । मने व्यवस्थित ढंगले प्राथमिक स्कुलमे यकर पह्राइ हुइ नै सेकठो ।
कौनो फेन भाषाहे फलाइक फुलाइक लग साहित्य लेखन अभ्यासके निरन्तरता जरुरी बा । मने रानाथारू भाषामे साहित्य लेखन बहुट कमजोर डेखाइठ । कौनो विधाके प्रतियोगिता हुइल नैसुन्जाइठ । रानाथारु भाषा दस्तावेजीकरणके लग शब्दकोश, व्याकरण बन्ना सुखद समाचार हो । मने रानाथारु भाषामे मेरमेरिक विधामे प्रतियोगिता फेन होए । बनल पोस्टा लागु फेन होए । यम्ने नेपाल रानाथारू समाज कन्कनार रहे ।
रानाथारु भाषाके उत्थानमे सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारके फेन ध्यान जैना चाहि । ओस्टक ओझेलमे परल सुदूरपश्चिम प्रदेशके डोसर भाषा कठरियाके उत्थानमे फेन सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारके ध्यान जैना चाहि । मने भाषा, संस्कृति जोगैना मुख्य काम समुदायके जो हो । इ बाट अगुवन मनन कर्ना चाहि ।
