थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १५ बैशाख २६४९, सोम्मार ]
[ वि.सं १५ बैशाख २०८२, सोमबार ]
[ 28 Apr 2025, Monday ]

केक्रो बपौती नाइहो देश

पहुरा | ९ माघ २०७७, शुक्रबार
केक्रो बपौती नाइहो देश

‘प्रतिगमन’ हुइक लाग टे ‘अग्रगमन’ हुइक परठ । यी मुलुकमे उत्पीडित वर्ग, महिला, सीमान्त जाति/समुदाय, भाषिक–सांस्कृतिक समूह, मधेस अथवा सीमान्त क्षेत्रके लाग का का अग्रगमन हुइल रहे ? पहिले प्रस्ट पारी ! बेरबेर जनताके बगावतके साथ व्यवस्थाके नाम टे फेरली मने प्रवृत्ति नैफिरल । ‘सेटेड माइण्ड’के कथन, भाष्यहे मानक मानल पली बा । नयाँ ‘सौन्दर्य’के निर्माण करना जागरुकहुकनहे पहिले जातिवादीके ट्याग भिराजाइठ कि टे बिखण्डनकारीके । मानव अधिकारके निम्नतम सर्तसे मनै वञ्चित पली बाटैं ।

एकजाने लिम्बू अपन सांस्कृतिक बाजा च्याब्रुङ बनाइक लाग मरल गैयक छाला कट्लेसे जेल जाइपरठ, उबेला कौनो नागरिक अगुवा देखा नैपरठैं । सक्कु चेपाङ वस्तीमे राज्य आगी लगाइठ, उबेला कौनो नागरिक अगुवाके मन नैजरठ । एक चेपाङ युवा घोँघी बिटोरलेसे राज्यसे मारजाइठ, उबेला क्रान्तिकारी कहुइयन माक्र्सवादी सर्जकहुक्रे साझा विज्ञप्ति निकरना हिम्मत नैकरठैं । मधेसमे मनै मारजाइठ, राज्यके लाग टे उ रुखवासे गिरल आँम जस्टे किल लागठ, उबेला नागरिक अगुवा मौन बैट्ठैं । विभेदकारी शिक्षा बनाइल बा, दलाल नाफाके व्यापार करटी बाटैं, जनताके रिढ सेकल बा । विद्वानहुक्रे, चिन्तक कहुइयन चुप पली बाटैं । राज्य स्वास्थ्य सेवा डेहेपरना हो, व्यवसायी उत्पादन करटा– कोइ नैबोलठ ।

आम मनैन्हे और और कुरुप जात–व्यवस्थाके शिकार बनैठैं । समुदायमे हतोत्साह लादल बा । जस्टे कि थरुहट आन्दोलनयहोर और फेन थारू समुदायमे उच्च मनोबल तयार हुइ सेकल नैहो, यहोर नागरिक समाजके ध्यान जैबे नैकरठ । धर्म निरपेक्षता कना मने एक धर्मके कानून लगाके मनैन्हे सजाय डेना हुइटी बा, यहोर कोइ चिन्ता नैकरठ ।

हो, आज ‘ओलीतन्त्र’के विरुद्ध जरुर लरना बा । मने, ‘ओली’हे अधिनायक बनैना मतियार (प्रवृत्ति) विरुद्ध टे और लरना बा ।

तब, ‘नेताके लाग नाइ, नीतिके लाग,’ ‘नियम किलके लाग नाइ, सामाजिक न्यायके लाग’ आन्दोलन करना हो । एकल जातीय वर्चश्वसे अधिनायकवाद हुर्कना हो, यकर विरुद्ध पूर्ण समानुपातिक पद्धतिके लाग विमर्श करटी आन्दोलन करना हो । यी मुलुकमे अप्ने नेतृत्व करे सेक्बी, हम्रे नेतृत्व करे सेक्बी ! कुछ अभिजात वर्ग वा जातके किल बपौती नाइहो देश । साझा भाष्य निर्माण करी, मनोबल उच्च बनाइ ! हमार लाग टे इतिहाससे आजसम निरन्तर प्रतिगमन हुइटी बा, लरटी बाटी । प्रत्येक धोखाके कठोरतापूर्वक समीक्षा करी ! सब मेरिक ‘अधिनायकवाद विरुद्ध अग्रगमन’के आन्दोलन करी ।

लेखक आदिवासी जनजाति लेखक महासंघके अध्यक्ष हुइटैं ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू