संविधान, आइएलओ १६९ ओ आदिवासीनके अधिकार

क) परिचय
अन्तर्राष्ट्रिय श्रम संगठनक् महासन्धि संख्या १६९ अन्तरगत आदिवासी तथा जनजाति सम्बन्धी महासन्धि, १९८९ म पारित हुइलक हो । अन्तर्राष्ट्रिय श्रम संगठनक् महासम्मेलनसे, अन्तर्राष्ट्रिय श्रम कार्यालयक् संचालक निकायमसे जेनेभम बलागैल ओ ७ जुन १९८९ म आफन् ७६ औ ंअधिवेशन सम्पन्न कर्ल रह । जेम्न आदिवासी तथा जनजाति सम्बन्धी महासन्धि तथा सिफारिश, १९५७ मा समाविष्ट अन्तर्राष्ट्रिय मापदण्डह स्वीकार कैख ओ मानव अधिकारक् विश्वव्यापी घोषणापत्र, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकार सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रिय प्रतिज्ञापत्र, नागरिक तथा राजनीतिक अधिकार सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रिय प्रतिज्ञापत्र ओ भेदभाव निवारण सम्बन्धी धेउर अन्तर्राष्ट्रिय लिखतक् व्यवस्थाह समेत आत्मसाथ कैक यी महासन्धि आइल हो । इहिम जातिय पहिचान कायम कर्ना ओ विकास कर्ना आकांक्षाह मान्यता डेल बा ।
विश्वके कैयन भागम बसोबास करल आदिबासी जनजातिहुक्र राज्यभिट्ट अन्य जनता सरह आफन मौलिक मानव अधिकारहरु उपभोग करक् लाग असमर्थ रहल ओर्से, हुकन्हक कानून, मूल्य, परम्परा र दृष्टिकोण प्रायः हरैटी बा । असिन अवस्थाम, यी महासन्धि सांस्कृतिक विविधता ओ मानव जातिन्हक सामाजिक ओ पर्यावरणीय सामन्जस्यताम अन्तर्राष्ट्रिय सहयोग समझदारीम आदिवासी जनजाति हुकन्हक पुगाइल विशिष्ट योगदान ओर ध्यानाकर्षण कर्ल बा । अन्तर्राष्ट्रिय श्रम संगठनके चौथो कार्यसूचीके रुपम रहल आदिवासी जनजाति सम्बन्धी महासन्धि, १९५७ (संख्या १०७) के आशिंक संशोधन कैख आदिवासी ओ जनजाति सम्बन्धी महासन्धि, १९८९ आइल हो । यी महासन्धि भाग १० ओ धारा ४४ म विभक्त हुइल बा ।
महासन्धिके प्रमुख लक्ष्य:
धारा १ म निम्नानुसार लिपिबद्ध कैगिल बा ।
१. सम्वन्धित जनतनन् आफन् जीवन, आस्था, संस्था ओ आध्यात्मिक कल्याण ओ हुकन्हक चर्चल् वा और किसिमले बेल्सल भूमिम प्रभाव पर्ना विकासक् प्रकृयक् लाग आफन् प्राथमिकता निर्धारण कर्ना ओ संभव हुइलसम्म आफन् आर्थिक, सामाजिक ओ सांस्कृतिक विकास उपर नियन्त्रण कायम कर्ना अधिकार हुइने बा । याकर अतिरिक्त, हुकन् प्रत्यक्ष रुपम प्रभाव पार सेक्ना, राष्ट्रिय, क्षेत्रीय विकासक् योजना ओ कार्यक्रमक् तर्जुमा, कार्यान्वयन ओ मूल्याङ्कनम हुकन्हक सहभागिता हुइने बा ।
२. प्रभावित जनतन्के सहभागिता ओ सहयोगम हुकन्हक जिन्गि ओ कार्य अवस्था, स्वास्थ्य ओ शिक्षाके तहमा सुधार अन्ना विषय, हुकन्हक बसोबास कर्ना क्षेत्रके समग्र आर्थिक विकास कर्ना योजना प्राथमिकता पैने बा । असिन क्षेत्रके विकासक् लाग तय कैजैना विशेष आयोजना समेत असिन सुधार प्रवद्र्धन कर्ना किसिमले तय कैजैने बा ।
३. सरकार उपयुक्त हुइल अवस्थाम सम्वन्धित जनतनके सहयोगम योजनाबद्ध विकासक् कामकारवाहीमसे हुकन पर्ना सामाजिक, अध्यात्मिक, सांस्कृतिक आ वातावरणीय प्रभाव मूल्याङ्कन कर्ना, अध्ययन संचालन कर्ना बाट सुनिश्चित कर्ने बाट ।
४. सरकार सम्वन्धित जनतनके सहयोगम, हुक्र बसोबास कर्ना, भू–क्षेत्रके वातावरण संरक्षण ओ बचावट कर्ना उपाय अपनैने बाट ।
जस्ट कि यी महासन्धिके धारा १३ ठेसे १९ सम्ममा आदिबासी जनजातिनके जल, जमिन, जंगल ओ खनिज पदार्थ उपरके अधिकारह प्रत्याभूति कर्ल बाट । जौन निम्नानुसार बाः
१. महासन्धिक् यी भागक् व्यवस्थाह लागू करबेर सरकार सम्वन्धित जनतनहक् संस्कृति ओ अध्यात्मिक मूल्यक् लाग अवस्थानुसार हुकन्हक आवादी वा और कोनो फे किसिमले बेल्सल भूमि वा भू–क्षेत्रह वा दुनु पक्षमा हुकन्हक सम्वन्ध ओ खास कैख याकर सम्वन्धम सामूहिक पक्षह विशेष सम्मान करुइया बा ।
२. सम्वन्धित जनता परम्परागत रुपमा जोतभोग कर्टी आइल भूमिम निहित हुकन्हक् स्वामित्व ओ भोगाधिकारह मान्यता डे जैना बा । याकर अतिरिक्त, सम्वन्धित जनता एकलौटी रुपम नै लेख जिविकोपार्जन ओ परम्परागत गतिविधिक् लाग परम्परागत रुपम पहँुच प्राप्त करल् भूमि प्रयोग कर्ना हुकन्हक अधिकारक् रक्षा करक् लाग उपयुक्त अवस्था अपनइने बाट । यी सम्वन्धम फिरन्ते जनता ओ घुमन्ते किसानन्हक अवस्था उपर विशेष ध्यान डे जैने बा ।
३. सम्वन्धित जनतनहक भूमि सम्बन्धी प्राकृतिक स्रोत जस्ट कि जल, जंगल, जडिबुटि ओ खनिज पदार्थके अधिकारह विशेष रुपम सुरक्षित कैजैने बा । असिन अधिकारम असिन श्रोत उपयोग, व्यवस्थापन ओ संरक्षणम सहभागी हुइना जनतनहक् अधिकार समेत समावेश कैजैने बा ।
४. खनिज पदार्थ वा अन्य भूमिगत श्रोतके स्वामित्व वा भूमि सम्बन्धी अन्य श्रोतके अधिकार राज्यम निहित रहना अवस्थाम राज्य असिन जनतनहक भूमि सम्बन्धी असिन श्रोतके अन्वेषण वा उपयोगके लाग कौनो फे कार्यक्रम संचालन करबेर संचालन कर्ना अनुमति डहलसे पहिल हुकन्हक हित प्रतिकुल प्रभाव पर्ना वा नैपर्ना वा पर्ना हुइलसे कौन हदसम्म प्रतिकुल प्रभाव पार सेक्ना हो वाकर निर्धारण कर्ना उद्धेश्यले जनतन्हक परामर्श कर्ना कार्यविधि स्थापित कर्ना वा कायम कर्ने बा । सम्वन्धित जनतन् संभव हुइलसम्म असिन कामकारवाहीसे हुइना लाभम सहभागी हुइना बा ओ असिन कामकारवाहीके कारणसे कौनो हानी, नोक्सानी हुइलसे मुनासिब क्षतिपूर्ति पैना अधिकार बा ।
५. सम्वन्धित जनतन्हक अवाद करल् भूमि सम्बन्धी दावी समाधान करक् लाग राष्ट्रिय कानून प्रणालीम पर्याप्त कार्यविधिके व्यवस्था कैजैने बा ।
६. सरकार सम्वन्धित जनतन्हक परम्परागत रुपम चर्चल भूमि पहिचान करक लाग, हुकन्हक लाग स्वामित्व ओ भोगाधिकारके प्रभावकारी संरक्षण प्रत्याभूति डेहक लाग आवश्यक कदम चाल सेकठ । ओस्टख महान्धिक् धारा २० ठेसे धारा २३ सम आदिवासी जनजातिन्हक मुल प्रवाहिकरण ओ रोजगारी सम्वन्धि अधिकार, धारा २४ ओ २५ म सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य अधिकार, धारा २६ ठेसे धारा ३१ सम शिक्षा ओ संचार सम्वन्धि अधिकार ओ धारा ३२ म सीमा वारपारके सम्पर्क ओ सहयोग सम्वन्धि अधिकारह प्रत्यभूति कर्ल बा । जेहिम आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, अध्यात्मिक ओ वातावरणीय क्षेत्रम कैजैना कृयाकलाप लगायतक् क्षेत्रम सीमा छेउछाउक आदिवासी जनजातिन्हक वीचक सम्पर्क ओ सहयोग सहज बनाइक लाग सरकारसे अन्तर्राष्ट्रिय सम्झौताके उपयुक्त उपाय अप्ना जैना बा व्यवस्था कैगिल बा । ओस्टख धारा ३३ ठेसे धारा ४४ सम अधिकार प्रत्याभूति सम्वन्धि प्रशासनिक पक्ष ओ कार्यविधि सम्वन्धि सामान्य ओ अन्तिम प्रावधान व्यवस्था कैगिल बा ।
ख) नेपालके सन्दर्भमे आइएलओे १६९ के स्थिति
आदिबासीहुकन्हक आपन संस्कृति, चालचलन, भाषा रठा । यदि राज्य यहीह मान्यता निडेहल ओ मौलाइ डेना अवसर नि डेहल कलसे रस रस लोप होक जैठा । ओस्टख हम्र हुकन्हक परम्परागत पेशा ओ व्यवसायह फे संरक्षण कर्ना जरुरी बा । सामान्यतया गरिबीके लाइनसे टर रहलक जनता सामाजिक रुपम पख्वा लगा जाइ सेक्ठ । उहओर्से यी महासन्धि आर्थिक सशक्तिकरणह फे विशेष जोर डेल बा ।
नेपालम १२६ मेरिकक् आदिवासी जनजाति बाट । हुकन्हक जनसंख्या नेपाले कुल जनसंख्यक् ४७ प्रतिशत रहल बा । विश्वक कम देशम् केल असिन खालके सांस्कृतिक विविधता बा । यदि हम्र विगतके दशकौं लम्मा द्वन्द्व हेर्बी कलसे आदिवासी जनजातिन्हक वहिस्करणले ओ असन्तुष्टिले प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुपमा युद्धह सहयोग कर्ल बा । उहओर्से आइएलओ यी महासन्धिह अनुमोदन करक लाग नेपालह दशकौसे अनुरोध कर्टी आइल रह । याकर फलस्वरुप सन् २००७ म आक नेपाल यहीह अनुमोदन करल । असिक नेपाल यी महासन्धिह अनुमोदन कर्ना दक्षिण एशियाके पहिला ओ एशिया महादेशके दोश्रा देश बन्ना अवसर पाइल । यी नेपालके लाग केल नै होक एशिया महादेशके गर्वके बाट हो । म्यानमार, बंगलादेश, इन्डोनेशिया ओ फिलिपिन्स जसिन देशम अत्यधिक मात्रामा आदिवासी जनजातिहुक्र बसोवास कर्टी अइलसे फे उ देश अम्हिन फे महासन्धिम अनुमोदन नै कर्ल हुइट ।
आझुक भारी विडम्बना आइएलओे नेपालक् राष्ट्रिय योजना बनाइक लाग सहयोग ट करल ट फे दुर्भाग्यबस मन्त्रिपरिषद यहिह कार्यान्वयन कर्ना अग्रसर नै हो ।
यी महासन्धि आदिबासी जनजातिन प्राथमिकता डेल रलसे फे यी सक्कुजहन समान महत्व डेठा । भूमिके समान वितरणले यहाँक् आदिबासी हुक्रकेल लाभान्वित हुइना नै हो कि सक्कु देशवासी जो लाभान्वित हुइठ । आजकाल प्रचुर मात्राम जनजातिनके राजनैतिक सहभागिता बहर्टी बा । सरकारी विद्यालयम मातृभाषाम शिक्षण सुरु हो रहल । तर आम्हिसम आदिबासी जनजातिन्के आर्थिक सशक्तिकरणके लाग् राष्ट्र ठोस निति ओ कार्यक्रम आन नै सेक्ल हो । आइएलओके आर्थिक सहयोगम स्थानिय विकास मन्त्रालयके साझेदारीम रामेछाप जिल्लाम कौनो परियोजना मार्फत जनजातिन्हक् आर्थिक गतिविधि संचालन कर्लसे फे ओहिन प्रर्याप्त मान नि सेक्जाइट ।
ग) संविधानम आइएलओ १६९ के प्रतिविम्व
नेपालक् संविधान २०७२ के प्रस्तावनाम सक्कु मेर्के विभेद ओ उत्पीडनक् अन्त्य कर्टी; बहुजातीय, बहुभाषिक, बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक भौगोलिक विविधतायुक्त विशेषताह आत्मसात् कैक विविधता बिचके एकता, सामाजिक सांस्कृतिक ऐक्यबद्धता, सहिष्णुता ओ सद्भावहे संरक्षण एवं प्रवर्धन कर्ना उल्लेख बा । ओस्टक वर्गीय, जातीय, क्षेत्रीय, भाषिक, धार्मिक, लैङ्गिक ओ सक्कु मेरिक् जातीय छुवाछूतके अन्त्य कैक आर्थिक समानता, समृद्धि ओ सामाजिक न्याय सुनिश्चित करक् लाग समानुपातिक समावेशी ओ सहभागितामूलक सिद्दान्तक् आधारम समतामूलक समाजके निर्माण कर्ना संकल्प कइगइल बा । लोकतान्त्रिक मूल्य ओ मान्यताह अवलम्बन कैक समाजवादके आधार बनाइक् लाग प्रतिबद्ध हुइटी, संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रात्मक शासन व्यवस्थाके माध्यमसे दिगो शान्ति, सुशासन, विकास ओ समृद्धिके आकांक्षा पूरा करक् लाग संविधानसभा मार्फत यी संविधान जारी होक घोषणा कर्ली कना व्यवस्थाले आदिवासी जनजातिनके हकाधिकारके सम्मान करल बिल्गट ।
संविधानके धारा ३.“बहुजातीय, बहुभाषिक, बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक विशेषतायुक्त, भौगोलिक विविधताम रहलक समान आकांक्षा ओ नेपालके राष्ट्रिय स्वतन्त्रता, अखण्डता, राष्ट्रिय हित ओ समृद्धिप्रति आस्थावान् रहिक एकताके सूत्रमे आबद्ध सक्कु नेपाली जनता समष्टिम राष्ट्र हो ।” कना व्यवस्था कैक आदिवासी जनजातिन आउर नागरिक सरह समान हैसियत डेल बा ।
धारा ६. मा “नेपालमा बोलिने सबै मातृभाषाहरु राष्ट्रभाषा हुन् ।” तथा धारा ७.को उपधारा (२) मा “नेपाली भाषाको अतिरिक्त प्रदेशले आफ्नो प्रदेशभित्र बहुसंख्यक जनताले बोल्ने एक वा एकभन्दा बढी अन्य राष्ट्रभाषालाई कानुन बमोजिम प्रदेशको सरकारी कामकाजको भाषा निर्धारण गर्न सक्नेछ ।” कना व्यवस्थाले आदिवासी जनजातिके भाषा सक्कु भाषा सरह समान हैसियतके सम्मान ओ प्रवर्धन सम्वन्धि अधिकार पैले बटाँ कलेसे धारा ३४ के उपधारा (२) धर्म, प्रथा, परम्परा, संस्कार, प्रचलन वा अन्य कौनो आधारमे कौनो फेन व्यक्तिहे कोनो मेरिक शोषण करे नइ मिलि कना व्यवस्था केके आदिवासी जनजातिके शोषण विरुद्धक हकके प्रत्याभुति कर्ल बा ।
धारा ३६ के उपधारा (५) म नेपालम बसोबास कर्ना प्रत्येक नेपाली समुदायह आपन मातृभाषाम माध्यमिक तहसम्म शिक्षा पैना ओ कानुन बमोजिम स्कुल ओ शैक्षिक संस्था खोल्ना ओ सञ्चालन कर्ना हक बा कलसे धारा ३७.के उपधारा (१) म प्रत्येक व्यक्ति ओ समुदायह आपन भाषा प्रयोग कर्ना हक बा । उपधारा (२) म प्रत्येक व्यक्ति ओ समुदायह आपन समुदायक् सांस्कृतिक जीवनम सहभागी हुइ पैना हक बा । उपधारा (३) म नेपालम बसोबास कर्ना प्रत्येक नेपाली समुदायह आपन भाषा, लिपि, संस्कृति, सांस्कृतिक सभ्यता ओ सम्पदाके संरक्षण ओ संवर्धन कर्ना हक बा ।
धारा ४१ के उपधारा (२) म कानुन बमोजिम बाहेक कौनो फे नागरिकह स्वामित्वम रहल वासस्थानसे हटैना वा अतिक्रमण नि कैजाई कना व्यवस्थाले लोपोन्मुख आदिवासी जनजातिनके ठाटथलो सम्वन्धि व्यवस्थाह सुनिश्चित कर्ल बा । धारा ४७ के उपधारा (१) सामाजिक रुपले पाछ परल महिला, दलित, आदिवासी, जनजाति, खस आर्य, मधेशी, थारु, अल्पसंख्यक, सीमान्तीकृत, मुस्लिम, पिछडावर्ग, लैङ्गिक, यौनिक अल्पसंख्यक, युवा, किसान, मजदुर, उत्पीडित वा पाछ परल क्षेत्रक् नागरिक हुकन समावेशी सिद्दान्तक् आधारम राज्यके संरचना ओ सार्वजनिक सेवाम सहभागिताके हक बा । उपधारा (२) म आर्थिक रुपले विपन्न ओ लोपोन्मुख समुदायक् नागरिकके संरक्षण, उत्थान, सशक्तीकरण ओ विकासक् लाग् शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, रोजगारी, खाद्यान्न ओ सामाजिक सुरक्षाम विशेष अवसर ओ फाइदा लेना हक बा । उपधारा (४) म प्रत्येक किसानन् कानुन बमोजिम कृषि कार्यके लाग भूमिम पहुँच, परम्परागत रुपम प्रयोग ओ अवलम्बन कैगिल स्थानीय बिया, कृषि प्रजातिके छनौट ओ संरक्षणके हक बा । इ व्यवस्थाले आदिवासी जनजाति हुकन सामाजिक ओ न्यायको प्रत्याभूति डेल बा । ओस्टख धारा ४८ ले आर्थिक रुपले विपन्न, अशक्त आ असहाय अवस्थाम रहल एकल महिला, अपाङ्गता हुइल लर्कापर्का, आपन हेरचाह अपनेहे कर नि सेक्ना ओ लोपोन्मुख जातिक् नागरिकन् कानुन बमोजिम सामाजिक सुरक्षाके हक बा ।
घ) आइएलओ १६९ के कार्यान्यन, अवसर ओ चुनौति
भख्खर घोषणा होक जारी हुइल नेपालके संविधानम आदिवासी जनजातिन्हक अधिकार सम्वन्धि महासन्धी १९८९ (आइएलओ १६९) म व्यवस्था हुइल ढेउर अधिकार संवोधन हुइल बा । उहओर्से वर्तमान संविधानके प्रभावकारी कार्यान्वयन हुइलसे आदिवासी ओ जनजातिनके आपन हकधिकारम ससम्मानपूर्वक जिए पइहि मने संविधानके प्रभावकारी कार्यान्वयन नैहुइलसे हकाधिकार कागजम केल सिमित हुइना संभावना बा । ओहेसे सक्कु आदिवासी जनजातिहुक्र वर्तमान संविधानके प्रभावकारी कार्यान्वयनम राज्यह सहयोग करे पर्ना जरुरी बा ।
ओस्टख महासन्धिम हुइल व्यवस्था ओ वर्तमान नेपालक संविधानह सँगसँग देशव्यापी रुपम अन्तिरक्रया ओ छलफलक् विषयबस्तु बनैना नितान्त जरुरी हुइल बा । बोलिभिया, ग्वाटेमाला ओ लेटिन अमेरिका यी मामलाम ढेउर आग बाट । बोलेभियाम आधासे ढेउर जनसंख्या आदिवासी जनजातिनके हकाधिकारके सुनिश्चितताले ओहाँ द््रुतगतिम आर्थिक विकास हुइटी बा । ओस्टख ग्वाटेमाला फे दु्रत गतिम आर्थिक विकास कर्टी बा ।
नेपालक् हकम हरेक विकासक् चरणम चुनौति डेख परल बा, टफे कुछ विशिष्ट चुनौति फे विल्गल बा । नेपाली आदिवासी जनजातिहुकन निर्णायक तहम अर्थपूर्ण सहभागिता करैना बहुट जरुरी बा । हुइना ट आदिवासी जनजातिनके न्यूनतम सहभागितक् लाग निति नियम बनल बा ट फे उपलव्धि एबडम कम बा । डोसर चुनौति जनजाति सम्वन्धि राष्ट्रिय कार्ययोजनाके कार्यान्वयन नै हुइना हो । योजना बा टफे कार्यान्वयन हुइ नि स्याक्ठो । स्थिर राजनैतिक अवस्था हुइलसे यहिह कार्यान्वयन कर सेक्जैने रह ।
महासन्धिह अनुमोदन कैक उहिम् रहल प्रमुख प्रावधानह देशके मुल कानून नेपालक् संविधानके मौलिक हक खण्डम व्यवस्था कर्ना नेपालके शान्ति ओ पुनर्निमाण प्रकृयाके लाग भारी उपलव्धि हो । टफेन यहिह व्यवहारम कार्यान्वयन कर सेक्लसे और उडाहरनिय ओ चमत्कारिक उपलव्धि हुइने रह । आझुक भारी विडम्बना आइएलओे नेपालक् राष्ट्रिय योजना बनाइक लाग सहयोग ट करल ट फे दुर्भाग्यबस मन्त्रिपरिषद यहिह कार्यान्वयन कर्ना अग्रसर नै हो ।
निम्जल ।
(लेखक अधिबक्ता हुइट ।)
