थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १५ बैशाख २६४९, सोम्मार ]
[ वि.सं १५ बैशाख २०८२, सोमबार ]
[ 28 Apr 2025, Monday ]

थारु हो, पाछे हट

पहुरा | २० माघ २०७७, मंगलवार
  • रामसागर चौधरी

थारु समुदायके बारेमे कुछ खिट्कोरु कि कहिके लेख लिखल हो । थारु वंश कोचिला हो । कुल थारु ओ थाक खाँ हो कलेसे उप थाकमे कुहे खाँ, फकिर खाँ, करणीमाझी खाँ हो । थारु समुदाय अपनहे थारु कुलके कठैं । थारुहे जात टे शासकहुक्रे ठोपर डेहल हुइट । ‘ताक परे तिवारी नत्र गोतामे’ कहेजस्टे थारु संग काम लेहे परलेसे फुस्लाके क्षेत्री बना डेना ओ जब थारुहे काम परके सहयोग मग्लेसे शुद्र जस्टे व्यवहार करल डेखाइठ । थारुके बारेमे ‘टोर घर आइमटे का का खवैबे ओ मोर घर आइबे टे का का लेके अइबे’ कहाइ ओस्टे बनल नैहुइ ।

थारु समुदायमे हिन्दुवर्णाश्रम जस्टे जात, गोत्र, प्रवर, थर विभाजन नैहो । हिन्दु वर्णाश्रम अनुसार ४ जात ब्राहमण, क्षेत्री, बैश्य ओ शुद्र किल बा । तथापि थारुहे कश्यप गोत्र कहिके पुजापाठ, कर्मकाण्ड करेबेर पुरोहित ब्राहमणसे संकल्प करेबेर पह्रना ओ कना करल बा । थारु समुदाय ब्राहमण ओ बैश्य पक्का फेन नाइहो । शासक वर्ग थारुहे क्षत्रीयमे कौन कारणसे गनगिल ? शासन सत्ताके लग्गे रहल ब्राहमण, क्षेत्री ओ बैश्यहुक्रे थारुहे क्षत्रीय सम्मान ओ व्यवहार करल पाइल नैडेखाइठ ।

थारुहे डरछेरुवा, गोरु, कामचोर, ज्यानमाराके लान्छाना लगाके जब फेन अपमानित ओ तिरस्कार करके सरकारी सेवा ओ सुविधासे वञ्चित करटी बाटैं । अत्रा नैपुगके झुठा मुद्दा लगाके, जालझेल करके टरे करैटी आइल बाट जगजाहेर बा ।

भगवान बुद्ध थारु कुलके हुइट कना प्रमाण ढेरजे डेलैं । बुद्ध जस्टे शान्ति प्रिय, सच्चा, इमानदार, वचनके पक्का, अपन करके खैना, नोनके सोझ चिटैना, छलकपट नैहुइल, सोझ इत्यादि गुणसे मान पाइल हुइट । यिहे सोझ व्यवहारके करण सरकारमे रहल कुटिलहुक्रे हरेक टिगडम लगाके डबाइ लागल बाट इतिहास साक्षी बा ।

सामाजिक दुव्र्यवहार खेपटीरहल थारुहे लौंगिक हिंसाके बाट करके डलर खेती करुयाहुक्रे, करिया सिसा हुइल गारी भित्तर नेंग्ना ओ बरवार होटलमे मानव अधिकारके डिङ हकुइयन मानव अधिकारवादीहुक्रे रेशम ओ लक्ष्मणके बारेमे बोलेबेर जागिर जाइहस नोन खाइल मुर्गीहस झोँक्र्याइल बाटैं ।

भ्रष्टाचारके राग अलपुइयाहुक्रे पारदर्शीके नाममे गछदारहे किल डेखेले बाटैं । औरेहे सोनपानी छिके चोखा बनाके पवित्र भैसा बनाके पशुपतीहे हेरुइया बनैले बाटैं । अस्टेक सती शासकहे सरापल हो, देशहे नाइ । छट्टु गिडारभर यिहिनहे सतीसे सरापल देश हो कहिके अपव्याख्या करके अप्ने चोख्याल बाटै ओ शासन करना च्याखे दाउ ठपल करठैं ।

छिमेकि मित्रहुक्रे फेन धोती ओ टोपीके बाट जोरजोरसे उठैंठैं, बैठैंठै मने जब लंगौटियाहृ दुःख डेके अन्यायमे परलेसे मुसुमुसु दुःखके बाट खिट्कोर खिट्कोरके पुछ्ठैं ओ नैजानलजस्टे मजा लेके सुन्ठैं ओ उ लंगौटिक बाट हो मानके कुछ नैजानल जस्टे चुपचाप बैठ्जिठैं । विचारा लंगौटीहे न टेक्ना भुइया बा न उप्पर पकरना डहिया बा । दुई खुरापाती ढुंगाके बीचमे डबल तरुल हस न बह्रे सेकठ, न हटे सेकठ ।

लोभी पापीहुक्रे थारुके नाममे पद पैसा बिटोरठैं । राजनीतिमे स्थापित हुइ चहठैं । गोहीके आंस गिरैठैं । भिडमे खुसुक्कसे डेखापरठैं ओ अन्टे काम बा कहिके लुसुक्क प्रभुके डगर पकरठैं । सिकारके चोक्टा ओ डारुके अड्डामे जाके रहटसम पिठैं ओ बिहान बाघेक छाला ओह्रके निक्रठैं ओ थारु एकता जिन्दावाद कहिके मुर्गिनहे चिल्हार झुक्याइलजस्टे चिल्लैठैं– जय थरुहट । थारु हो पाछे हट । टबे पाखण्डी ओ डन्टे फेन हप्कैठैं– थारू हो पाछे हट । जनता एकडम सत्य का हो, बुझे नैसेक्के जिल्ल परठैं ।

इटहरी–१२, सुनसरी

जनाअवजको टिप्पणीहरू