थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ थारु सम्बत २१ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं २१ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 04 May 2025, Sunday ]
‘ कथा ’

जोखुक् जिन्गी

पहुरा | २४ माघ २०७७, शनिबार
जोखुक् जिन्गी

कौनो प्राणी इ धरतीम पौली टेक्लक बाद यमराजके यात्रामे सरिक हुइना निश्चित रहठ । मने बाट अट्रे हो कि कोइ कर्रक कोइ ढिरेक । इ सक्कु बाट जन्टी जन्टी, बुझ्टी बुझ्टी एक्काइसौं शताब्दीमे विश्वबह्माण्डके इ चेतनशील उपनाउँके पात्र ऐस, आराम, लोभलालच, सुखसयल ओर लग्ठाँ । मानो कि यमराजसंगे जाइबेर धनसम्पत, झोलीझम्टा लेके जैम । इ फेन नैजन्लक बात टे नै हो, टब्बोपर बहुट भारी इच्छा, आकांक्षा, लक्ष्य आखिर केकर लग ? कबो कबो बहुट गहिंरसे प्रश्न मनेम छल्बलाइठ लेकिन जवाफके अंश खोजेबेर कजरिक बन्वामे हेराइलहस लग्ठिस जोखुहे ।

जोखु एक मुक्तकमैया हो । ऊ आढासे ढेर जिन्गी जिमडारन घर बिटैले बा । छोटहीसे कमैया बैठलक मनै सुखसयल ऐसआरामके कौनो अनुभूति नैहुइस । सब डिन दुःख, पीडा, यातना सहके आपन जिउक बाजी ढैके काम करे । इ सब आपन भाग्य सम्झे ऊ । जोखु एकदम मेहनती फेन रहे । सायद आपन बुडुबुडीसे सिख्लक पाठ हुइहिस । जिमडारनके काम सेक्के घरक काम करे । का करे कि ओकर घरेम काम करुइया फेन कोइ नइ रहिस । डाइ लाल मुरै लेहे गइले तीन चार बरस हु रले रहिस, दिदी फेन भोज कैके पराइ घर गइ रले रहिस, भइवनके छोटछोट रहिस । का कइही विचारन् । ओकर बाबक् का बाट कहे, गुरुवा मनै गुरैपाटी, टोक्टा कैटी ठिक्के । उप्परसे टोंटासम सोख्के बर्बरैटी डिन बिट्ना । लर्कन्के कौनौ पर्वाह नै ।

जस्टे टस्टे जिन्गी बिट्टी गइल । डिनभर काम कइलेसे फेन सन्झा सकारे छाक पुगैना कर्रा पर्ना समस्या ओस्टे रहिस । घरक अवस्ठा डेख्के छिमेकीन् फेन सोगाइट । भोज कर्लेसे ठोरबहुट मजा हुइ कना सल्लाह अनसार छोटे उमेरमे भोज कइना बाड्य हुइल जोखु । ‘सक्कु चिज सोंचलहस नइ हुइठ । लिल्हारीम जौन लिखल रहठ, उहे हुइठ’ । आझ जोखु फेन इ कहकुटसे डुर रहे नै सेकल । जनेवा लेहल टे झन समसिया बह्रगइलिस, कारन ओकर जनेवा सारीसाह डेरा ढैले रना । टब्बोपर जोखु हिम्मत नइ हारल । उ उमेरसे छोट रलेसे फेन शारीरिक ओ मानसिक रूपमे बल्गर हो रले रहे । का करे कि छोटहीसे काम कइलक खेहल रहे । मेहनत कैलेसे फल मिठ मिलठ कना जानल उ मेहनत कैटी गइल । ढिरेढिरे प्रगटि हुइटि गइलिस । ओहेसे छुटकी भइवा ओ आपन लर्कन्हे पह्राके भविस्यमे भारी मनै बनैना सपना डेखठ । सब चिजके अलग अलग समय रहठ । उ समयसंगे नेंगे परठ, टब गन्तब्यमे पुगे सेकजाइठ, जोखु इ समयहे मजासे पकरले बा । समय अनसार चलल कारन आपन डुइ छाइनहे डस–डससम पह्राके भोज कैडेहल । आप टे बर्का पटुहियक नाटि खेलैना फेन सोंच्ले बा उ ।

यहोर कुछ समय आघे मझ्ला भइवा पाँच/छ बरस विदेशसे आके नेपालेम व्यस्त जिन्गी विटाइटिस । सक्कुजाने आपन आपन जिन्गीक् आधार बनइले बटाँ । ओँहोर छुट्की भइवा फेन विदेशमे पाँच/छ बरससे कामेम लागल बटिस । जोखु एकदम खुशी बा । पहिलक पइलक दुःख सम्झठ, पस्ना चुहइलक बाट सम्झठ । इ सब मेहनतके नतिजा हो मनमने बोलठ । उ किल नाइ ओकर सक्कु परियार सुखके महसुस करटी बटाँ । आझ काठमाडौंहस महँगा ठाउँमे लर्कन्हे घरहींसे खर्च पुगैटी बा ।

जोखु टरटिउहारमे प्रदेशी भइवनहे याद करठ । सँगे रटि टे खैटीपिटी, हहरइटी…। टब्बो उ छाती फुलाइठ आपन भइवनपर, ठोरचे हुइलेसे फेन वैदशिक मुद्रा भिट्रुवाके अर्थतन्त्र बल्गर बनैलकमे । सँगसँगे सोंचठ– “जवान लवन्डा÷लवन्डी विदेश पलायन हो जइही कलेसे देशके हालत का हुइ ?” मन भिट्टर गुम्सल रिस सुन डेहुइया कोइ नइ हुइस । विदेशमे जटरा नेपाली बटाँ, आपन रहरले गइलक नैहुइट । परियारसँगे बैठना, हँस्ना, रमैना ओइनके फेन इच्छा बटिन । गाउँघर छोरके प्रदेशीक पात्रके सुचीमे नाउँ लिखैना केक्रो रहर नैहो । आनक नोकर बन्ना इच्छा केकर रहठ । इ सब डोस राजनीतिक अस्थिरतक हो । आझ स्थिर राजनीति रहट टे नियम कानुन बनट, कार्यान्वयन हुइट नाराजुलुस, बन्दहड्ताल, लोडसेडिङ, खानेपानीक समसिया रबे नैकरट ।

‘हेलो… हेलो… बाबा महिहे अप्कि टनिक ढेर रुप्या चाहल बाबा, हालि व्यवस्ठा करहो” जोखुक् बर्का छावा कालुराम एक्के सांसमे बोलल् । “का हुइल फेन पैसा माँगटे ? अह्मिक्के टे पठा डेले रहुँ”जोखु कहठ । “काम बा बाबा, मोर जिन्गीक सवाल बा, महि डिभी परल बा अमरिका जैना…” कालुराम बोल्टी बोल्टी फोन कट्गइलिस् ।

छावक् बारेम जोखु आपन जन्नीसे सल्लाह करठ, मने निस्कर्स निकारे नैसेकठ । कुछ डिनिम गाउँभर हल्ला फैलल, मुर्गीनके रोग फैललहस । बठिन्यन् बट्ओइठाँ– “अहोइ गोही कालुराम टे अमरिका जाइटा हुन्” एक बगाल बनोहरिनके आवाज ओकर कानेम ठक्कर खैठिस् । ऊ चिमचाम रहठ । “अरे जोखु आब टैँ मालामाल होजइबे, टोर छावा अमरिका जइटी बा कटि” पहिलक जिमडरवा बधाइ डेटी कहठिस । जोखु नोन खाइल म’र्गीहस रहिजाइठ, कारन विदेश जाके पस्ना चुहइलकसे मजा अपने गाउँम काम कैना ठिक मानठ उ । मने छावा नैमान्के अमरिका उरजैठिस ।

जिन्गी सुखदुःखक बगिया हो, अक्केमेर नैरहठ । डाइक मैया पियासल जोखु बाबक् सहारा फेन टुटगैलिस । घरक सहारा, ढुरखम्बा परयार ओ धर्तीमसे लाल मुरै लेहे भगनवा बला लेलिन । आप जोखु जाट्टिसे टुअर हुइल बा, इ घटनासे ऊ शोकमे बुरल बा, भावविहालमे बा । कारन बाबा टे कालगतिले संसार छोरके चलगैलाँ । ओहोर सब भइवा, छावा फेन देश छोरके बिदेश चलगइलाँ । काल्हके डिन जोखु पैसा नैहोके दुःखमे रहे, आज पैसा होके फेन सुखमे नैहो । पल्रामे जोख्टी बा जोखु जिन्गीक् हिसाब किटाब । पैसा बरा कि परियारके मैया ?

महदेवा, दाङदेउखुरी, हालः अमेरिका

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