थारू पत्रकार ओ भासिक पत्रकारिताके अभ्यास

ओंरवा लेहेबेर
नेपाल भर थारु पत्रकार कठेक बटाँ ? महि लागठ, यकर ‘लेटेस्ट’ यकिन तथ्यांक थारु पत्रकार संघ नेपालके ठेन नै हुइस । थारु पत्रकारन्के यकिन संख्या ओ कौन थारु पत्रकार खास कैके अपन थारु मातृभासम पत्रकारिता करटि बटा ? थारु पत्रकार संघ नेपाल परटेक बरस ‘अपडेट’ करक चाहि । टब किल ओइनके बृत्तिविकास कसिक हुइ सेक्हिन, योजना बनैना सजिल रहि ।
थारू समाजके समाचार थारू भासामे बिहाने जो छापामे टब पह्रना सम्भव हुइ, जब थारू भासक् दैनिक पत्रिका प्रकासन करे सेक्जाइ । धनगढी, कैलालीसे थारू भासक् दैनिक पहुरा निकरना सम्भव बा कलेसे थारुन्के उद्गम भुमि दाङदेउखरसे काजे नै ? दाङदेउखरमे ३२ प्रटिसट थारून्के बसोबास बा । लौव अग्रासन परटेक अठ्वार मंगरके रोज प्रकासन हुइठ । हाल थारु पत्रकार संघ नेपालके केन्द्रीय अध्यक्ष रहल सन्तोष दहितके सम्पादन, प्रकासनमे अइटि रहल लौव अग्रासन साप्ताहिकहे दैनिक बनैनामे काजे चिन्तन मनन नै कर्ना ? थारु केन्द्रित पत्रपत्रिका, अनलाइन, रेडियोके संख्या जटरा ढेर बह्रटि जाइ, पत्रकारन्के संख्या ओट्रे बह्रटि जैना हो । थारु मातृभासम पत्रकारिता काजे कमजोर बा, यकर बारेम गहन छलफल करैनामे थारु पत्रकार संघ नेपाल अग्रगामी भुमिका खेले सेक्ना चाहि ।
नेपाली पत्रिकामे थारु पत्रकारिता
कृष्णबहादुर महरा सञ्चार मन्त्री हुइलाँ टे गोरखापत्र दैनिकमे नेपालीबाहेक अन्य भासा भासीक् दुइ पन्ना प्रत्येक रोज छप्ना व्यवस्था हुइल । २०६४ असोजमे सुरु हुइल भासाभासी पृष्ठ समावेसी लोकतन्त्रके, लावा नेपालके एक सुन्दर पहुरा हो कना महि लागठ । मैँ सुरुसे गोरखापत्रमे थारू भासा पृष्ठके संयोजक रहुँ । थारु भासाके मानकताके विवादले २०७७ पुससे महि जिम्मेवारि मुक्त कैगैल बा । मोर मनेम सडा एक प्रस्न उठे । जब गोरखापत्र भासाभासिक् पृस्ठ डेहे सेकठ कलेसे स्थानीय स्तरमे प्रकासिट हुइना नेपाली दैनिकमे यकर अभ्यास काजे नै कैना ? खुसि लागठ, आझ दाङके गोरक्ष दैनिक ओ नयाँ युगबोध दैनिकमे थारू भासक् एक पृस्ठ सामग्रि ठाउँ पैटि बा । यकर अभ्यास थरुहट क्षेत्रसे प्रकासिट हुइटि रहल आउर नेपाली पत्रिकामे फेन होए । यकर लग हम्रे ‘म्यानपावर’ टयार बटि कहिके थारु पत्रकार संघ भुमिका खेलक चाहि ।
थारु पत्रकारिता ओ लेखन अभ्यास
मातृभासाके थारु पत्रकारिता कमजोर रहल ओर्से यकर लेखन अभ्यास खन्गर हुइ नैसेकठो । मोरङसे भोलाराम चौधरी विगट एक बरससे टिहकारी साप्ताहिक थारु भासामे चलैटि बटाँ । भर्खर थारु आयोगके सदस्यमे सपठ लेहल भोलाराम आयोगके जिम्मेवारिमे आ सेक्ले बटाँ । ओहेसे इहो पत्रिका बन्ड हुइना संघारमे बा । खुसिक बाट बा, आयोगमे सिफारिस होके चलो एक पत्रकारके टे सम्मान हुइल ।
दाङसे लौवा अग्रासन साप्ताहिक ओ कैलालीसे पहुरा दैनिक निकरटि रहल प्रसंग उपर आ सेकल । साहित्यिक पत्रिकाके बाट बट्वइना हो कलेसे दाङसे लावा डग्गर ओ कैलालीसे निसराउ साप्ताहिक, हर्चाली त्रैमासिक पत्रिका नियमित बा । इ चारु पत्रिकाके सम्पादक हमार लेखनमे कसिन सैलि अपनैना चाहि सामुहिक छलफल, बैठक करल इ कान सुने नै पैले हो ।
आदिवासी जनजाति उत्थान राष्ट्रिय प्रतिष्ठानसे दाङके घोराहीमे ‘डंगौरा थारु भासाके वर्ण पहिचान’ गोस्ठि हुइल रहे । २०७३ साउन १ से ३ गटेसम हुइल इ गोस्ठिमे लौवा अग्रासनसे सन्तोष दहित, पहुरा दैनिकसे लखन दहित ओ लावा डग्गरसे छविलाल कोपिला सहभागि रहिट । लौवा अग्रासन ओ पहुरा दैनिकमे उहे गोस्ठिसे बनाइल सैलि बहुट हदसम लागु बा । ओस्टक लावा डग्गर ओ गोरखापत्र थारु भासामे उहे गोस्ठिसे बनाइल सैलि हुबहु लागु कैगैल । गोरखापत्रमे चार बरस लागु हुइल उ सैलिबारे खासे कुछ प्रतिक्रिया नै रहल । मने २०७७ साउन १० गते गोरखापत्रमे आइल महेश चौधरीके ‘थारु भाषिक शुद्धतामा प्रश्न’ सिर्सक लेखमे मोर एक लेखमे कमेन्ट कैटि करिब एक सय गल्टि डेखागैल । जबकि उ लिखाइ ‘डंगौरा थारु भासाके वर्ण पहिचान’ अनुसार बेलस गइल रहे । उहे लेखन सैलि लानल हम्रे अन्टिम इहे हो कना डावि नै कर्ले रहि, प्रस्टाविट लेखन सैलि कले रहि । मने उहे कारन थारु कल्याणकारिणी सभा (थाकस) समेटके सिफारिसमे तात्कालीन पृष्ठ संयोजक मै सर्वहारीहे हटा गैल ।
थाकस मानक भासाके लग विज्ञ टोली बनैना क्रममे बा । उ टोलीके सुझाव अइना समय लागि । ३ महिना रोक्के लानल पुस २९ के गोरखापत्रके थारु भासा पृष्ठके ‘थारु मानक भाषा बनैनामे सक्रिय बा थारु कल्याणकारिणी सभा’ सिर्सकके समाचारमे देखैले, बतैले बातैं, एक्थो, अस्तके, दुसरा, धरल, बात, देले, हुइती, बातिन्, कर्ती लगायट सब्ड बेलस गैल बा । जबकि पहुना सब्ड भर सकेसम नै बिगरना ओ बाँकि हम्रे जस्टे बोल्ठि ओस्टे ठेट थारु सब्ड बेल्सनामे सबकोइ एकमट बटाँ । इहे अभियान अन्टर्गट बहुट लम्मा अभ्यास कैटि आइलमे मै फेन पहुना सब्ड जस्का टस लिख्ना सहमट रहुँ । मने गोरखापत्रके २०७७ पुस २९ के लिखाइले फे २०२८ सालमे निक्रल गोचालीओर घुमा डेले बा । का इहे हो टे थारु भासाके अग्रगामि लेखन ?
सबकोइहे पटा बा, सबसे ढेर लेखन अभ्यास डंगौरा थारु भासामे बा । ‘डंगौरा थारु भासाके वर्ण पहिचान’के क्रममे विज्ञलोग जा सिफारिस कर्ले रहिट, उ मन्हि पर्ना जरुरि नै रहे । यकर बारेम बल्ले छलफल आगे बह्रल रहे, प्रटिक्रिया अइटि रहे । मने गोरखापत्र व्यवस्थापन थाकसके बोंका सिंउरके उल्टे इ बहसमे बेंन्ढ्वा लगा डेहल । १३ बरस जिम्मेवारिमे रहल गोरखापत्र थारु भासा पृस्ठ संयोजकहे हटाइबेर इ सवालमे थारु पत्रकार संघ नेपाल फेन कुछ नै बोलल् । का ओकर बोल्ना जिम्मेवारि नै रहिस ?
२०२८ सालमे निक्रल गोचालीके समय गन्ना हो कलेसे पहिला अंक निक्रल ५० बरस पुग सेकल । भासा विज्ञानके हिसाबसे हम्रे अपन बोलि अन्सार लिखाइमे जैना कि उहे ५० बरस पुरान नेपाली खस्मोरल थारु भासामे ? बहसके ढकढिउरि इहे हो । भासिक पत्रकारिताके अभ्यास बह्रटि जैना क्रमसंगे कौन लेखन सैलि आगे बह्रि जरुर टुंगो लग्बे करि । मने यकर लग छापा, अनलाइनमे कसिन लिखाइ बेल्सना ? आइ लेखनमे लागल थारु पत्रकारलोग फेन बहस करि । भख्खर थारु आयोगके सदस्यमे आइल भोलाराम चौधरी थारु ब्याकरन लेखन ओ टिहकारी साप्ताहिक सम्पादन, सुबोधसिंह थारु फुलवार दैनिक ओ थारु टिभी कार्यक्रम चलासेकल ओर्से उहाँलोग थारु मानक भासाहे एकठो टुंगोमे पुगैना बटाबरन बनैहि कना अस्रा करि ।
अन्टमेः
थारु पत्रिकामे समसामयिक लेखरचनाके कमि बिल्गठ । थारु मातृभासम लिखुइया लेखकलोगनके कमिके कारन नेपाली भासम लिखल लेख उल्ठा कैके पन्ना भरना बाध्यता बटिन सम्पादकलोगन । इहिसे हमार इस्यु टे हेरैना स्वभाविक हो, कबुकाल्ह टे जनजातिन गरियाइल लेख फेन हमारे पत्रिकामा ठाउँ पाइल विडम्वनापुर्न अवस्था बा । ओहेसे पत्रिकामे लेख, स्तम्भ लिख्ना मन बनाइल म्यानपावरहे हौस्यइना तालिमके खाँचो बिल्गठ । इ बिसयमे फेन थारु पत्रकार संघ नेपालक ढ्यान जैना चाहि । ओस्टक लिखुइयन ठोरबहुट गोझु खर्च डेहे सेक्लेसे बल्ले इ विसयमे लिख्डि कहिके पत्रिकाके प्रकाशक, सम्पादकलोग लेख माँगे सेक्ना अवस्था रहि ।
समसामयिक इस्युके बाट बट्वइना हो कलेसे आज थारून्के धरम कौन ? थारू समुदाय बिलखन्दमे बा । थारू हिन्दु नै हुइट कना आदिवासी जनजाति उत्थान राष्ट्रिय प्रतिष्ठान परिभासित करठ । ओहोर थारू बौद्ध धर्म लिखैना चाहि कना थारून्के साझा संगठन थारू कल्याणकारिणी सभा उर्दी जारी करठ । असलियत इ बा कि हरेक थारून्के घरेम गुर्वावा स्थान पाइठ । ओ अन्तमे, जनगणनामे जम्मेहस थारू हिन्दू लिखैठाँ । थारू धरमके इ भुँरियाइल अवस्थाहे गहिंर चिन्तन अब्बे नै कर्लेसे कब्बे कैना ? विद्वान संघरिया अशोक थारू २०६८ के जनगणनामे आपन ओ आपन परिवारके धरम गुर्वावा लिखाइल सार्वजनिक कैले रहिट । २०७८ सालके जनगणना अइटि बा । थारु पत्रकारलोग यकर बारेम संयुक्त रुपमे बहस कब करैना ?
chaligochali@gmail.com
