थारुनके थर ओ जनगणनामे थारु पहिचान

थारु आयोगसे थारु जातिके थर सुचिकरण सम्बन्धि पहिल मस्यौदा सार्वजनिक हुइल बा । सुखके रोज काठमाडौंमे आयोजित एक कार्यक्रमके बिच डा. कृष्णराज सर्वहारीके नेतृत्वमे संकलन करल थारुनके थर सार्वजनिक हुइलक हो । त्रिभुवन विश्वविद्यालयके मानवशास्त्र विभाग थर सुचिकरणके जिम्मेवारि लेले रहे ।
७ प्रदेशमे खटल अनुसन्धानकर्ताहुक्रे थारुनके थर, उपथर ओ थर बन्नाके मिथक फेन संकलन कर्ले बटैं । आयोगसे छलफलके लाग प्रस्ताव करल कार्यपत्रअनुसार कैलालीमे ३५७, कञ्चनपुरमे २२९, सुर्खेतमे ५३, बर्दियामे ३७९, बाँकेमे १३६, दाङमे १४३, कपिलवस्तुमे १६, रुपन्देहीमे १७ ओ नवलपरासी पश्चिममे २१ ठो थर फेला परल बा । ओस्टहक नवलपरासी पूरुवमे २२, चितवनमे २३, मकवानपुरमे ६, पर्सामे २१, बारामे २३, रौतहटमे १५, सर्लाहीमे ९, महोत्तरीमे १२, धनुषामे ३, सिरहामे ६६, सप्तरीमे १४५, उदयपुरमे ४४, सुनसरीमे ७७, मोरङमे ५१ ओ झापामे ५५ थर फेला परल तथ्यांक बा ।
कैलाली, कञ्चनपुर, बर्दिया लगायट जिल्लामे थारुन्के थर ढेर बिल्गाइलमे सुचिकरण करेबेर डोह्¥याइल ओर्से ढेर हुइलक जनागइल बा । ओहेसे इहे सुचि अन्टिम नै हो । जस्टेकि कैलाली, कञ्चनपुरमे कुश्मी किल ८० से ढेर ओ कुसुम्या किल डुइ डर्जनसे ढेर बाटै । कुश्मीनहे एक्के कोलममे ढैलेसे कैलालीक् करिब एक सयसे ढेर थर संख्या ओस्टे घटे सेकठ ।
कुश्मी, कुसुम्या, कोसम्या एक्के फेन हुइ सेक्ठाँ । इ डोसर अनुसन्ढानके विसय हो । मने पहिचानके आन्डोलनमे आइल थारु समुदाय अपन अलग अलग पहिचान डेखैनामे लागल बा । थारु आयोगसे थारु जातिके थर सुचिकरण सम्बन्धि पहिल मस्यौदा सार्वजनिक हुइल पाछे दाङ, घोराहीके युवा अधिकार चौधरी सामाजिक सन्जालमे प्रटिक्रिया डेले बाटैं, ‘कुसुम्या, ओ कोसम्या फरक हो ।’ दाङ, बर्दिया, सुर्खेत, कैलाली कञ्चनपुरमे कोसम्या गोट्यार रलक उहाँक कहाइ बा ।
भख्खर कञ्चनपुरमे कुश्मी गोट्यारनके सम्मेलन ओराइल बा । ओस्टक दाङके कचिलामे रत्गैया गोट्यारनके सम्मेलन फेन निम्जल बा । मने सम्मेलनसे कुश्मी भिट्टर कठेक उपथर बा, रत्गैया भिट्टर कठेक उपथर बा, यकर कोनो निक्र्यौल निकारल नैहो । केक्रो थरके पहिचान थारु आयोग, थारु कल्याणकारिणी सभा लगायट निकाय कर्नासे फेन अपन गोट्यार भिट्टर कोन कोन थर बा, उ थर नाउँ पर्ना कारन का हो ? पटा लगाइ पर्ना जरुरि बा । काजेकि थर नामकरनमे फेन उ जातिक इतिहास नुकल रहठ । हम्रे अपन इतिहास नुकैना कि उजागार कर्ना सम्बन्ढिट गोट्यार चनाखो हुइ परल ।
डोसर बाट २०७८ सालके जनगणना अइटि बा । यम्ने जे जे दहित, रत्गैया, सत्गैया, चिल्रह्वा लगायट अपन थर किल लिख्ठि, टे सबजे थरपाछे थारु लिखैना फेन जरुरि बा । नागरिकता बनाइबेर फेन अपन थर किल नै लिखाके थारु लिखैना अपरिहार्य बा । नैटे थरले किल थारु पहिचान खुल्ना कर्रा बा ।
