भजहरके मौलिकता

भजहर कैलाली, कन्चनपुरबाहेक आउर जिल्लाओर मनाइल खासे नै डेख्जाइठ । कैलाली, कन्चनपुरमे किल राना थारु ओ कठरिया थारुन्के बसोबास बा । उहेसे उहाँक् डंगौरा थारु समुदाय राना, कठरिया थारुन्के टिउहार अप्नैलाँ ओ पाछे यम्ने अपन मौलिकता ठप्लाँ कि कना अनुमान करे सेक्जाइठ । यकर बारेम् ठप अध्ययन, अनुसन्धान जरुरि डेखाइठ ।
भजहर टिउहार कैलाली, कन्चनपुरओर डंगौरा थारु, राना थारु ओ कठरिया थारु टिनु समुदायम भग्ना चलन बा । चैट महिनम चिरैं भजहर ओ वैशाख महिनाम बरका भजहर भग्ना यकर उपरि अर्ठ हेर्ना हो कलेसे यम्ने चिरैंन्के पुजा कैजाइठ । चिंरै जहाँ जहाँ उर्क जैंहि, उहाँ उहाँ आपन पख्नासे बेनिया डोलैही, ओस्टक रोग विरोग, दुःख, कष्ट लैजिहि कैक चिरैनके पुजा करटि आइल डेखजाइठ ।
हम्रे संस्कृति, संस्कार जेकर लि, उ मजा हुइ परल । हमारे समुदायमे नै मजा संस्कार बा कलेसे उहि हटाइ परल । संस्कृति समय अनुसार परिवर्तन नै हुइठ कलेसे उ विकृतिके रुपमे डेखाइ लागठ । भजहर संस्कृति अपनेमे अनुपम बा । चिंरै स्वतन्त्रके प्रतीक हुइट । बरस भर घरेम कुर्भराइल रना जन्नि मनै भजहरके बहानामे एकडिन हुइलेसे फेन नाचे गाइ पैना, गाउँभरिक समुहसे सुख्ना डुख्ना बट्वाइ पैना, मन लागल चिज मिल बाँटके खाइ पैना इ संस्कृति बहुट सोहावन बा । चैट, वैशाखम बडल्टि रलक मौसमके कारनसे मेरमेरिक महामारी भगैना ओ आपन गाउँम आइ नैडेना उद्धेश्य फेन हो भजहरके । कोरोना जैसिन महामारीसे पुर्खन पहिले जो जानकार रहिट कना इ संस्कृतिले डेखाइठ । बटकोही बटैना, खिस्सा कहानी सुनैना, सजना गैना इ कुल चलन थारु समुदायसे हेराइ लागल बा । भजहरके बहानामे इ लोकसंस्कृति फे डोस्रे लौसार जाइठ । ओहेसे भजहर संस्कृति कैलाली, कन्चनपुरमे किल नाइ सारा डेसभरिक थारु समुदायमे छिटकाइ पर्ना जरुरि बा । कुछ समय पहिले सखी समुह धनगढीमे सामुहिक रुपमे चिरै भजहर कार्यक्रम करे, सहरमे फे इ निरन्टरटा पाइक चाहि ।
भजहरमे सबजे घरसे लैगिल खाना मसे ठोर चेचे लेक गुरुवा, भर्राह पुजा करक लाग डेठ । पुजा कैक सेक्क प्रसादके रुपम सक्कु जनहन डेठ । इहिसे अपने भोग लगैनासे पहिले गुरुवा मार्फट प्रकृटिहे प्रसाद चह्राइक परठ कना आस्था डेखाइठ । भजहर पहिल टिन रोज भागिट, आब एक रोजमे सिमिट हुइटा । घर आइबेर पुजापाठ डेसबन्ढिया करठ, टब डगरम नघान काटक केल घर आइ पैठ । ओस्टक राना कठरियाम ओइनके भल्मन्साके घर जाक भर्राके साजल पानी खाक केल घरे जाइ मिलठ । इहिसे भजहरमे गुरुवक् बरवार महत्व फेन डेखाइठ । थारु गाउँक् संरक्षक हुइट गुरुवन् । ओइन भजहर, हरेरि, गुरै लगायट पुजापाठमे केल नाहि आगेपाछे मान करे परठ कना शिक्षा फे डेहठ इ टिउहार ।
