थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
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[ वि.सं २ असार २०८२, सोमबार ]
[ 16 Jun 2025, Monday ]

कविता

पहुरा | ११ बैशाख २०७८, शनिबार
कविता


कविता मोरिक संगीत नै हो गीत हो
पेशा मोरिक रहर नै हो बाध्यता हो ।

फूला जैसिन जोवन तुहाँर चढल बा जवानी
चाहे मै जैसिन रहुँ तुहु हुइतो मोर मनके रानी
छोडके नेंगठो भुट्लाटे भौरा गुनगुनैठै–२
भरल तोहार जवानी देख्के साराजे तडपठैं ।
गोहर गुलाबी गाल तोहार काहे मुक्सुरैठो ?
धसाक धसाक जिउ धरकाक काहे दुर दुर भग्ठो ?

तुह मोर गीत हुइतो तुह मोर संगीत,
यदि तु हाँ कबो ते हमार हुइजाई हित
हमार हुइजाई हित ।

धनगढी, कैलाली

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