थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 27 Apr 2025, Sunday ]
‘ लघु खिस्सा ’

बिष

पहुरा | ९ श्रावण २०७८, शनिबार

असौं जेठेमे खेटी लगागील खेट्वाम धान हाली लगा सेक्ली मनो अब ओहे जिउक जन्जाल बने हस
करटा । समयमे पानी नाई बर्साठो घाँस खुब जामे लागल कैसिक घाँस पनैना हो कर्रा हुगील । हुईना गल्टी हमारे हो ।

अस्टे बाट करटी श्याम ओ सुरेश चिया पियाटहै । टबही होट्लौहौ कहठ डाडुनके का चिन्टा लेहे परल एग्रोभेटमे जाई घाँस मुवैना टमाम मेरिक डवाई मिलठ एकचो छिट्बी घाँस सब सफा का पनैना झन्झट करबी । जवाफमे श्याम कहठै कहाँ बनि हो भाई ऐसिक हर बालीमे हम्रे अपन सजिलेक लग मेरमेरिक डवाई छिट्ठी मनो यकर हानि का हो कैहके कबु बुझ्न कोसिस नाई करठी । यिहीसे खेट्वाम रहल असंख्य किरा बिना कारण सखाप हुजिठै ओम्मेसे टमाम हमार बाली उब्जनीमे साठ डेहुईया किराफे रठै । ओ डोसर बाट हमरे जौन डवाई छिट्ठ ऊ मनैन लग फे एकठो खटरनाक बिष हो । आझकल हमार किसान भैयैह टमाम मेरिक खेटी टिना फलफूल आग्र्यनिक कैहके उब्जैठै । ढेर नाफा कमाईक लग बालीमे डवाई छिट्ठै चाहे ऊ भिटामिन जानके कहो किरा मुवैना ।

ओहे खा खाके हमार शरिरमे बिषके भण्डार बनगिल । टबमारे किसान प्रकृटिक अन्सार खेटी करे परल खेट्वामे गोटगाट घाँस रहि टबे टो पश परोहन पालब । सेकल सम मेहनट करके घाँस पनैना हो कबु घाँस मुवैना कबु भिटामिन कैहके छिट्ना जहर विस्ठापिट करैना चाही । हमार पुर्खनके आयू सौ डेर्ह सौ साल रहे काहेकी ओई बिष नाई डारल अन्ना खाईह हमार साठी हुईल हमार लर्कानके चालिस करटी मानव सभ्याटै ओराजाई । सुरेश कहठ सहि बाट कलि हो गुरभाई चलि अब खेट्वा ओर ओहरी घाँस पनाब ।

जोशीपुर–५, सिमराना, कैलाली

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