थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ वि.सं २२ असार २०८२, आईतवार ]
[ 06 Jul 2025, Sunday ]

टिकापुर थरुहट थारुवान विद्रोहके ६ वर्ष

पहुरा | ३२ श्रावण २०७८, सोमबार
टिकापुर थरुहट थारुवान विद्रोहके ६ वर्ष

माननीय रेशम लगायत राजबन्दी रिहाईके माग
पहुरा समाचारदाता
धनगढी,३२ सावन ।
टिकापुर थरुहट थारुवान विद्रोहके ६ वर्षके पूर्व सन्ध्यमे थरुहट÷थारुवान राष्ट्रिय मोर्चा केन्द्रिय संयोजन समितिसे टिकापुर जनविद्रोहके आस्थाके राजबन्दीहुकनके न्याय ओ सम्मानजनक रिहाईके माग करले बा । मोर्चासे सोम्मारके रोज सार्वजनिक अपिल जारी करटी माननीय रेशम चौधरी लगायत टिकापुर राजबन्दीहुकनके रिहाईके लाग अपिल करल हो ।

देश संघीयकरणके प्रक्रिया रहल, संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रके संविधान जारी हुई लागल वेला उ क्षेत्रमे का कैसिन प्रदेश रचनाकैना उपयुक्त हुई कना राष्ट्रिय बहसके सन्दर्भमे वि.स. २०७२ साल भदौ ७ गते कैलाली जिल्लाके टिकापुरमे हुइल जनविद्रोहसे घटना हुइल रहे । ‘उ दिनके टिकापुर जनप्रदर्शन ओ सभामे ३० हजारसे ढेर स्थानीय जनसमुदायसे भाग लेहल रहिट,’ अपिलमे कहल बा,– ‘ओइने उत्तर–दक्षिण ‘सुदुरपश्चिम’के सट्टा पूर्वपश्चिम सीमाञ्कनमे आधारित ‘थरुहट’ प्रदेशके माग करले रहिट ।’

लोकतान्त्रिक राज्यमे सक्कुहुनहे अपन धारणा, विचार ओ माग रख्ना अधिकार रहठ, उ दिन टिकापुर प्रदर्शन ओ जनसभामे सामेल जनताहेफे अपन विचार, धारणा माग रख्ना अधिकार रहे । लोकतन्त्रमे धारणा मिले ओ नइमिले सेकठ मने धारणा रख्न अधिकारसे कुहीहे बञ्चित करे, दमन करे नइमिली अपिलमे उल्लेख बा ।

देश करिब ७० बर्ष नम्मा जनसंघर्ष, आन्दोलन ओ क्रान्तिके प्रक्रियासे ‘संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र’ मे रुपान्तरण हुइटी रहल विशिष्ट कालखण्डमे उहाँक जनता अपन विचार, धारणा ओ माग धारके अन्दोलन कैना कौनो अन्यथा नइहुके लोकतन्त्रके सुन्दर अभ्यास रहल कहल बा । टिकापुरमे केल नाही, देशभर यैसिन जनसंघर्ष, विद्रोह ओ क्रान्तिकारी घटना हुइल रहे । थारु समुदायके उल्लेखनीय सहभागिता रहटी रहटीफे उ प्रदेश रचनाबारे फरक धारणा रख्न सक्कु समुदायके साझा आन्दोलन रहे ।

टिकापुर जनविद्रोहके पृष्ठभूमिमे माओवादी जनयुद्ध ओ मधेश जनविद्रोहसे निर्माण करल मनोविज्ञान समेत जोरल बा । माओवादी शसस्त्र जनयुद्धसे अलगे ‘थरुहट प्रदेश’के सपना डेखाइल रहे । यी सपनाके लाग यी क्षेत्रके थारु लगायतके टमान समुदायके लउण्डा लउण्डी जनयुद्धमे भारी योगदान ओ बलिदान करले रहिट । थारु ओ मधेश जनविद्रोहमे यी क्षेत्रके ओत्रे भारी सहभागिता रहे ।

माओवादी जनयुद्ध ओ मधेश जनविद्रोहहे राज्यसे शान्ति प्रक्रिया ओ संविधान संशोधन मार्फत् राजनीतिक क्रान्तिके मान्यता डेहल परिप्रेक्ष्यमे टिकापुर जनविद्रोहहे केल उहीसे अलग करके फरक ढंगसे हेरे नइमिली, यकर दोहोरो मापदंड सर्वथा अन्यायपूर्ण हुई अपिलमे कहल बा ।
टिकापुर जनविद्रोहके क्रममे एक वालक सहित ७ जानेक निधन हुइना निश्चय दुखद ओ दुर्भाग्यपूर्ण रहे । मने उ न आयोजकके ओरसे प्रयोजित घटना रहे न जनप्रदर्शन ओ सभामे सामेल जनसमुदायके उद्धेश्य अनुरुप नइरहे । उ कुछ तत्वसे अबान्छित तबरसे आन्दोलनहे बदनाम कैना, राजनीतिक मुद्धाहे अपराधिक करार कैना करल षडयन्त्र केल रहे ।

दुर्भाग्यके बाट राज्य अपनही यी षडयन्त्रमे सामेल हुइल । घटनाके अन्तर्यमे जैनाके सट्टा ओटरा भारी आमजन विद्रोहहे एक अपराधिक घटनाके रुपमे चित्रण कैना ओ मनैनहे फसैना काम कैगिल । टिकापुर जनविद्रोहबारे जनसमुदायके राजनीतिक धारणा का कैसिन रहे उ ओकरपाछेक आमनिर्वाचनके परिणामसेफे प्रष्ट हुइठ ।

टिकापुर जनविद्रोहमे दूर्भाग्यवंश रहल हिंसात्मक घटनाके लाग षडयन्त्रपूर्वक फसाइल रेशम चौधरी बारेस मार्फत् २०७४ सालके आम चुनावमे सहभागिता जनैलै । उहाँ कैलाली–१ से ३४ हजार ३ सय ४१ भोट नानके अपन निकटतम् प्रतिद्वन्द्वीहे २१ हजार ढेर भोटके मार्जिनसे पराजित करलै । यदि उ ‘सामान्य अपराध’ रहे कलेसे जनतासे रेशमहे काहे भोट डेलै ? उ फे ओटरा फराकिलो अन्तर सहित ? उ निर्वाचन क्षेत्रके जनसंख्यायिक बनौट हेरेबेर सक्कु समुदायके समर्थन विना ओटरा निर्वाचन परिणाम आई नइसेकी । लोकतन्त्रमे निर्वाचनहे जनअभिमत व्यक्त हुइना वैधानिक प्रक्रिया मानजाइठ । टिकापुर जनविद्रोह वैधानिक निर्वाचनके लोकतान्त्रिक प्रक्रियासे समेत अनुमोदित बा ।

मने मानवीय रेशम चौधरी अभिन जेलमे बटै । माननीय चौधरीसंगे टिकापुर जनविद्रोहके और टमान निर्दोष व्यक्ति व्यक्तित्वहे राज्य फसैले बा । राजनीतिक संघर्षके अन्तर्राष्ट्रिय मापदंड, मानवअधिकारके विश्वव्यापी मूल्यमान्यता ओ जनविद्रोहके सार्वभौम अधिकारके दृष्टिकोणसे हेरेबेर माननीय रेशम लगायतके निर्दोष व्यक्ति निसन्देह ‘आस्थाके राजबन्दी’हुक्रे हुइट ।

राजनीतिक मुद्धाके समाधान राजनीतिक तबरसे कैना देशके प्रचलित परम्परा ओ मान्यताके सट्टा टिकापुर जनविद्रोहहे सामान्य न्यायिक प्रक्रियासे निरुपण कैना जुनप्रयास हुइल बा, उ स्वीकार्य हुई नइसेकी । अपनही भारी भारी क्रान्ति, संघर्ष ओ जनविद्रोहके प्रक्रियासे सत्तामे आइल अब्बेक शासकसे अटरा सरल यथार्थहे बुझ्े नइचाहना ओ दोहोरो मापदंडके अभ्यास कैना किमार्थ उचित नइहो । दुखके बाट अब्बे सामान्य न्यायिक प्रक्रियासे रेशम चौधरी लगायतके राजबन्दीहे जन्मकैदके फैसला सुनैना काम करल बा ।

टिकापुरके जनविद्रोह केबल टिकापुरके विद्रोह नइहो, यी सक्कु शोषित, उत्पीडित वर्ग ओ समुदायके जनताके साझा जनविद्रोह हो, टिकापुरके राजबन्दी सिंगो देशके आस्थाके बन्दी हुइट निर्दोष राजबन्दीहुकनके न्यायके लाग आवाज बुलन्द कैना सक्कुहुनके कर्तव्य हो अपिलमे कहल बा । ओइनके रिहाईके लाग आ अपन ठाउँसे आवाज डेना सक्कु न्यायप्रेमी, लोकतन्त्रवादी ओ मानवअधिकार पक्षधरहुकनके साझा कर्तव्य ओ दायित्व रहल थरुहट थारुवान÷राष्ट्रिय मोर्चा
केन्द्रिय संयोजन समितिसे जारी अपिलमे कहल बा ।

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