थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 27 Apr 2025, Sunday ]

टीकापुरः अदृश्य कथा

पहुरा | २ भाद्र २०७८, बुधबार
टीकापुरः अदृश्य कथा

रमदैयाके घर पुगेबेर अन्ढार होसेकल रहे । हुकहान घरक आजरपाजरके घरम बत्ती बरसेकल रहे । रमदैयक् घर भर अध्यार रहिन् । आपन घरक पन्जेर घरक बरल बत्तीक आजरारमे, रमदैया आपन अंग्नम बेरी पकाइटही फु फु आगी फुक्टी ।

टीकापुर घटना पहिले रमदैयक घर राटीक बेला फे ओजरार रहिन । हुकहार घरेम फे बत्ती रहिन । काहेकि हुकहार थरुवा बत्तीक बिल टिरिन् । मनो टीकापुर घटनाके दोषी करार करटी थरुवा गिरफ्तार परल पाछे हुकहार घरक बत्तीक तार काटगिलिन् । स्कूल परहे जइना हुकहार तीन छावाछाइ आजकल अध्यार हुइनासे पहिले होमवर्क ओरवाइ पर्ठिन ।

मोबाइलके टर्च बारके रमदैयक घरक बहरिम बैठ्ली ओ बाट सुरु करली ।

रमदैयक संग उ बाट हुइल जोन बाट करक लाग कथित सभ्य कहगिल समाजमे बर्जित करगिल बा । यि उहे समाज हो जहाँ आधासे ढेउर जनसंख्या महिलन्के बा, मनो उहे महिलन्के सत्य कथा पाइपरना ध्यान नइ पइठै । रमदैयक कथा सुनक लाग एक अदम्य साहास चाहठ काहेकि हुकहान कथा डरलग्टिक बाटिन् ।

टीकापुरिक आदिबासी थारु महिलाहुक्रे टीकापुर घटनापाछे दिनरात ओइनके गाउमे सुरक्षाकर्मीहुक्रे छापा मारेबेर यातना ओ शोषणके सामना करेपरलिन । सुरक्षाके खोजीमे अधिकांश थारु पुरुष भारतओर गइला टे कोही आपन आटपाटन घर । घरव्यवहार हेरेपरना ओ महिलाके लाग टे सबसे गम्भिर बाट, बालबच्चा स्याहार परना हुइलक ओरसे महिलाहुक्रे घर छोरे सेक्ना स्थिती नइरहे । घरेम महिला ओ बालबच्चाकिल रहल अवस्थामे, टीकापुर घटनाके अपराधी खोज्ना निहुँमे सुरक्षाकर्मीन्के गस्तीके बेला सबसे ढेउर थारु महिला आतंकित बने पुग्लै ।

सोधपुछके क्रममे अत्यन्त त्रसित ओ आतंककित बनागिल एक पात्र हुइ रमदैया । रमदैया आपन घरक बहरिम ढारल कुठ्ली डेखैटी कहली ओइने (पुलिस) कुठ्ली फुटाडेलै । कुठ्लीम ढारल ढान, गहु आउर चाउर सक्कु एक्केम मिलाडेलै । नेपाली बोले अक्को नइ जन्ना रमदैया डरैटी अइसिक ना कराडेउ कहिके बिन्ती करली टे ओइनके जवाफ रहिन् टोर थरुवा पुलिस मारल् । हतियार कहाँ नुकाइल बा बटा कहटी रमदैयक छातीमे बन्दुक ढरलै । ओइनके बोलल नेपाली भाषा रमदैया उेढर नइ बुझ्ली । मनो ओइने आक्रोश, गरयाइल शब्द, ‘मा तिमी थारुहरु… ’ कलक हुकहिन सम्झना बाटिन् । रमदैयाके सम्झनामे उ क्षण हुकहार जीन्दगीक सबसे भयानक क्षण हो । ओइने रमदैया हे ओ हुकहार लरकन जिन्दा छोरही कना हुकहिन नइ लागल रहिन् ।

जात्तिसे थारु महिलनके भोगाइ का रहलिन टे कना बारेमे चासो नगन्य मात्रामे रहल । कफर््यु जारी करके महिलाउप्पर कइसिन प्रकारके हिंसा हुइल कना प्रश्नके उत्तर सहजै उपलब्ध नइहो । ना उ महिलन्के कथा सार्वजनिक छलफलके रुपमे आगे लानगिल । काहेकि सामाजिक सांस्कृतिक र अन्य बहुत कारणले महिलाहुक्रे आपनउप्पर हुइल उत्पिडनबारे बोले नइसक्ठै ।

रमदैयक बाट सुनेबेर आगेक साल बर्दियामे भिख्नीदेवीहे भेट करल याद आइल । उ अक्षर नइचिहिन्ठी, ना नेपाली बोले जन्ठी । माओवादी कलक का हो पटा नइ रहिन् । अभिनसमफे एकठो पार्टीक नाउ हो बाहेक ढेउर बाट पता नइ हुइन् । उ टे मजासे माओवादी उच्चारण करेफे नइ जन्ठी, ‘माबाडी’ कहठी । मनो हुकहारश्रीमान् माओवादीमे रहिन । टबे हुकहार घर प्रत्येक बिहान ओ साँझ सरकारी बन्धुकधारीन्से घेरल रहिन । उहिनहे सद्धे पुछजिना प्रश्न रहे टोर श्रीमान् खोइ ?हतियार कहाँ नुकाइल बा ? घरभिट्टर हतियार नुकाइल आरोपमे हुकहार निपल घरेक भुँइया, कोद्राले बारी कोरेअसक कोरडिइट । थारु महिलाहुक्रे राज्यके ऐतिहासिक उत्पीडनसंग प्रत्यक्ष सम्बन्ध रहल जीवन्त उदाहरण हुइट रमदैया ओ भिख्नीदेवी ।

रमदैया थारु भाषा बोलेबेर फे ढिरेसे, सानो स्वरमे बोल्ठि । पुछल प्रशनके जवाफफे थोरचे वाक्यमे डेठी । हुकहार बोलीसे उेढर हुकहार आँश बोल्ठिन । उ आपन भयानक स्मृति सुनाइबेर हुकहार ढेबर लरबराइटहिन् । उ आघात बोकके अभिनसम यातनामे बाँचल रमदैयाहे डेखके मै एकघचिक सोचमे परगिनु नेपाली बोले नइसेक्ना रमदैया, रातके अँध्यारमे आक्रोश ओ बन्दुकले सपरके आइल पुरुषहुकनसंग कइसिक सामना करल हुइही ?

राज्य प्रायोजित अपराध :

२०६२/६३ के जनआन्दोलन पश्चात नेपालके पुर्नसंरचनाके बहस सबसे गहन रुपमे आगे बरहल । गणतन्त्र आइल । धर्मनिरपेक्ष नेपाल बनल । एकीकृत राज्यप्रणालीसे देश संघियतामे गइल । नेपाल बहुत किसिमले नयाँ बनल ?थारु महिलन्के लाग का नेपाल नयाँ बने सेकल ? नइ सेकल ।
शसस्त्र द्धन्द्धके बेलामे भोगल थारु महिलन्के भोगाइ ओ टीकापुर घटनापाछे भोगल थारु महिलन्के भोगाइम का बा असमानता ? रातके समयमे एक महिला केवल पुरुष बन्धुकधारीहुकनसे घेरल बटि ओ उ बन्धुकधारीन् आपन्हे कुछु फे करे सेक्ना ( बलात्कार फे) त्रास उ महिलकमे पैदा हुइठ कलेसे उ (यौन) हिंसा नइ हो का ?

२०६२ पहिलेके, विशेष कइके शसस्त्र द्धन्द्धकालके, थारु महिलनके भयानक भोगाइके अन्त्य द्धन्द्ध समाप्तीके हस्ताक्षरसंगे कहाँ हुइ सेकल र । पुरान राज्य संरचनासे थारु महिला उप्पर करना बर्बरता, २०७२ मे टीकापुरके थारु महिलाके भोगाइमे, बिडम्बना फेनसे जीवित बनके आइल । राज्य प्रायोजित सरकारी बन्धुकधारीहरुको यातना र शोषणबाट आधात होके जिटीरहल कैयौं महिलाहुक्रे, उ बर्बर निरन्तरताके गवाही बटै ।

राज्य अपराधके रुपमे सबसे गम्भीर गैरकानुनी हत्या ओ वेपत्ता परना काम थारु समुदायमे हुइल बा । टीकापुरमे कफर््यु जारी करके उ क्षेत्रके थारु हुकनक घर, पसल, एफएम, रिसोर्ट लुटगिल ओआगी लगागिल । कुछ थारुनके घर जरइबेर, घरक भिट्ट मनैन बन्द करगिल रहे । झ्यालओरसे भागके वा घर पाछक ढोकाओरसे या अन्य अउरे तरिकासे भागके मनै आपन ज्यान बचैलै । अइसिक ज्यान बचुइयामे गर्भवती महिलाफे रहिट । ओहे समयमे डगरिम उपस्थित राज्यके बन्धुकसे सुसज्जित प्रतिनिधहुक्रे मुकदर्शक बन्लै । सम्भवत मजा लेलै । मिठ मानके हेरलै । साएद पुलिसन्के हुइल मृत्युके बदला थारुनसे अस्टके लेहे परना सबसे उत्तम उपाय रहिन् ओइनके लाग ।

कफर््यु लगाइल अवस्थामे थारुन् उप्पर हुइल राज्य आतंकके विषय गैर थारु वृत्तमे साएदै बहसके विषय बनल हुइ । थारु समुदाय भिट्रेफे सत्ता समर्थक थारुहुक्रे यि विषय नइ उठैनामे ढेउर फाइदा डेख्ठै काहुन, अनौपचारिक भेटघाट बाहेक सार्वजनिक फोरममे यि बाट उठैना हिम्मत नइ करठै । अभिन आन्दोलनमे करटी बटी कहुइया थारु, थारुन्के सम्पत्ति लुटगिल ओ जरागिल विषयमे खुला कार्यक्रम आयोजना करके करिया दिनके रुपमे सम्झना करटी आइल बटै ।

टीकापुर घटनामे थारु महिलाउप्पर बर्बरता बर्सइना काम सुरक्षा बलके कर्मचारी करलै, जे न्याय प्रणालीके अंश हुइटै । अइसिन अवस्थामे आपनउप्पर हुइल हिंसाके रिपोर्ट महिलाहुक्रे कहाँ करहि ? जब राज्यके प्रतिनिधिहुक्रे हिंसा करठै, सर्वसाधारणहुक्रे न्याय मग्ना ठाउँ कहाँ रहठ ? । जब राज्य खास समुदाय लक्षितहोके अपराध करठ, वहाँ कानूनी सुरक्षा प्राप्त करना क्षमता नइ रहठ ।

जात्तिसे थारु महिलनके भोगाइ का रहलिन टे कना बारेमे चासो नगन्य मात्रामे रहल । कफर््यु जारी करके महिलाउप्पर कइसिन प्रकारके हिंसा हुइल कना प्रश्नके उत्तर सहजै उपलब्ध नइहो । ना उ महिलन्के कथा सार्वजनिक छलफलके रुपमे आगे लानगिल । काहेकि सामाजिक सांस्कृतिक र अन्य बहुत कारणले महिलाहुक्रे आपनउप्पर हुइल उत्पिडनबारे बोले नइसक्ठै । OHCHR के अनुसार ‘सशस्त्र द्धन्द्धके क्रममे बहुत महिला बलात्कृत हुइलै, तर मुद्धा दर्ता नइ करगिल । यकर मतलब यि नइ हो कि यौ हिंसा हुइल नइ रहे ।’ ओस्टके बहुत अनुसन्धानले पत्ता लागल बा कि सरकारी लडाकु वा विद्रोही पक्षसे आम महिलनहे दण्ड डेहकलाग यौन हिंसा करना एक सामान्य प्रचलन हो । थारु समुदायके महिला ओ सीमान्तकृत समूहके महिला विरुद्ध राज्य हिंसा लम्मा समयसे बा । ओहे अनुरुप उ महिलाहुक्रे व्यापक ओ लगातार रुपमे प्रभावित हुइटी आइल बटै ।

द्धन्द्धके अवधिमे हुइल गम्भिर मानवअधिकार उल्लंघनके घटना जस्टे कि हत्या, वेपत्ता पारगिल ओ यातना डेना काम व्यापक रुपमे रिपोर्ट करगिल बा ओ व्यवस्थित रुपमे अभिलेख करगिल बा । यि विषयमे अनुसन्धानफे हुइल बाट । मनो महिलाउप्पर हुइल यौन हिंसाके दस्तावेजके अभाव बा । यिहिनसे यौन हिंसा कबु नइ हुइल कना संकेत नइकरठ । राष्टिय तथा अन्तराष्टिय संस्थाहक्रे ओ महिला अधिकार तथा मानव अधिकार जइसिन संस्थाहुक्रे बहुत हद सम महिलनके सवालहे वेवास्ता करले बाटै । जबकी महिलाउप्परके यौनहिंसा अभूतपूर्व तहमे रहल रहे । सत्य निरुपण आयोगमे बलात्कार एक सबसे कम रिपोर्ट करगिल अपराध हो । यौन हिंसाके कुछ घटना रिपोर्ट करगिल रलेसेफे, उक्त तथ्यांक यौन हिंसाके महामारीके अनुभवहे समेटे नइसेकल । ओइसिक टे अन्तराष्टिय समुदायसेफे युद्धके यौन अपराधके प्रश्नहे अनुत्तरित परले बटै । बरु जवाफसे प्रश्न ढेउर खडा करल बटै ।

टीकापुर घटनामे फे थारुनके सम्पत्ति ध्वस्त पारगिल अभिलख ढिरेसे हुइलेसेफे व्यवस्थित करगिल । क्षतिपुर्तिके नाममे कुछ राहत उपलब्ध करागिल । मनो थारु महिलाहुक्रे भोगल कथाव्यथा कहुफे उल्लेख करल नइपाजाइट । यकर मतलब का थारु महिलन्के कउनो भोगाइ नइहो ?

यौन हिंसा विभिन्न रुपमे अनुभव करजाइट, शारीरिक, भावनात्मक वा मौखिक रुपमे । उप्पर कहल जइसिन रातके समयमे जब एक महिला केवल पुरुष बन्दुकधारीन्से घेरल रहिहि ओ उ पुरुषहुक्रे आपनहे कुछुफे कराइसेक्ना÷ हुइसेक्ना त्रास उ महिलकमे पैदा हुइट कलेसे उ हर्कत (यौन) हिंसा हो । राज्य प्रायोजित यौन अपराधके चक्रहे टीकापुरसम राज्य निरन्तरता डेहटीरहल । यि किसिमके राज्य आतंक दुर्घटनावश हुइल नइ हो । पितृसत्तात्मक संरचना, संस्था ओ पितृसत्तात्मक भ्याल्यूले सम्भव बनागिल राजनीतिक हिंसाके कार्य हो । यकर परिणाम पीडित महिलाहुकनके व्यक्तिगत भोगाइसे ढेउर दुर सम जाइट । यि टे पुस्तौसम हानी पुगाइट ।

द्धन्द्धकालमे राज्य ओ गैर राज्य पक्षसे हुइल गम्भिर अपराधके घटना छानबिन करकलाग बनागिल आयोग सुल्झाइ नइसेकल । सक्कु अपराधके घटना राजनीतिक पृष्ठभूमिके रहे, टबेमारे आयोगफे राजनीतिक तबरले स्वतन्त्र हुय नइसेकल । अपराध उजागर करना पहलमे जो खोट डेखपरल, बरु अपराध नुकइनाओर लग्लै । अइसिक करेबेर यौन हिंसामे परल महिला सबसे ढेउर अन्यायमे परलै, उ महिला जे आपनउप्पर हुइल हिंसाबारे बोल्ना सहास करल रहै । राज्य संयन्त्र उ महिलनके अपराधीहे कानूनके दायरामे लाने नइसेकल । अइसिक द्धन्द्धकालके यौन अपराधीहुक्रे पाइल उन्मुक्तिके कारण यौन हिंसाके लाग टीकापुरसम पुगेबेर, राज्यके भूमिका उत्प्रेरकके रुपमे रहल ।

सामाजिक सांकृतिक लान्छाना, असुरक्षा, अपराधी बदला लि कना डर लगायत बहुतसे कारणले यौन हिंसामे परल महिला कानूनी रुपमे रिपोर्ट करक लाग निरुत्साहित हुइठ । न्याय प्रणाली चलुइयन प्रायः यौन हिंसा हुइनामे महिला अपनहे जिम्मेवार रहठै कना धारणा व्यापक रुपमे ढरले रठै । यी अवरोधहे पार कइके अपने यौन हिंसाके शिकार हुइल रिपोर्ट महिला का चिजके आडमे करना, जबकी ओइनहे पता बाटिन कि ओइने न्याय नइपइठै । यी भावना उबेला झन् भारी विश्वासमे बड्लठ जब हिंसा करनामे सरकारी मनैन्के संलग्नता रहठ ।

टीकापुर घटनामे थारु महिलाउप्पर बर्बरता बर्सइना काम सुरक्षा बलके कर्मचारी करलै, जे न्याय प्रणालीके अंश हुइटै । अइसिन अवस्थामे आपनउप्पर हुइल हिंसाके रिपोर्ट महिलाहुक्रे कहाँ करहि ? जब राज्यके प्रतिनिधिहुक्रे हिंसा करठै, सर्वसाधारणहुक्रे न्याय मग्ना ठाउँ कहाँ रहठ ? । जब राज्य खास समुदाय लक्षितहोके अपराध करठ, वहाँ कानूनी सुरक्षा प्राप्त करना क्षमता नइ रहठ ।

जातीय लिंगीय शक्ति संरचनामेआधारित समाजमे खास समुदाय ओ कमजोर लिंगके रुपमे रहल महिलाउप्पर हो व्यापक अपराध हुइना । द्धन्द्धकालपूर्वके समयहेरना हो कलेसे थारु बस्तीमे जमिन्दार शासकहुक्रे प्रत्यक्ष क्रुर शासन करिट, ओ थारुन्के कमैया कम्लहरी बनाके ढरले रहिट । उ जमिन्दारी प्रथामे जिम्डरवा थारु गाउँके कउनो फे महिलासंग सुटे (बलात्कार करे ) सेके । जिम्डरवक घरम कमैया रहल थारु पुरुष भोज करल पहिल रात आपन जन्नीहे जिम्डरवकसंग सुटे पठाइपरिन् । ओइसिक नइ करलेसे थरुवाहे सजाय भोगे परिन्, जन्नी जुन बलात्कृत हुइ परिन् । अइसिन नियति भोगुइया थारु कैलाली, बर्दिया लगायतके थारु गाउँमे अभिन जीवित बटै । तत्कालिन नेकपा माओवादी जनयुद्धके उद्घोष करके जिम्डरवन्हे कार्वाही करना सुरु करलपाछे जिम्डार शहरबजार (काठमाण्डौ) भागल रहै । १० वर्षे द्धन्द्धकालमे थारु महिलाउप्पर वस्टे किसिमले निर्मम सरकारी अत्याचार हुइल । टीकापुरमे फेन से वहे डेखपरल । थारु महिलाउप्पर दण्डहीनताके साथ अत्याचार हुइटीरहल । यि अपमानजनक बाट हो कि राज्य प्रायोजित यौन हिंसामे परल महिलाहुक्रे ओइनहे दुव्र्यवहार करुइयन वा बलात्कार करुइयनहे न्यायके कठघरामे कबुफे ठर्याइल डेखे नइपइलै/नइपइठै ।

सशस्त्र द्धन्द्धके बेला होस् कि टीकापुर घटना, राज्य आतंककारीन्हे खटम करम कहना कलक जातीय ओ लिंगीय राज्यके रक्षा करना कथा किल रहे । यि अभ्यास लौव नइ हो । सदियौसे शासकहुनके युद्ध हिंसा ओ साम्राज्य निर्माणसंग सम्बन्धित अभ्यास रहे । इतिहाससे निरन्तर विरासत बनल शासकहुकनके विभेदकारी नीति महिलाउप्पर अस्टे प्रभाव पारठ ।

पीडित महिलाहक्रन् अट्रा पटा बाटिन कि, पितृसत्तामे आधारित कानून प्रणाली बा, जोन अभिन विद्यमान बा । उ पीडित महिलाहुक्रे अइसिन न्याय प्रणालीमे आपनहे अदृश्य रहल महसुस करठै ओ बुक्रल बाटै कि ओइनके आवाज सुनुइया कोइ नइ हो । ओइनके मुद्धा गम्भिरतापूर्वक सम्बोधन नइ करजाइ । यहाँ विडम्बनाके बाट डोसर का फे बा कलेसे, न्यायके लाग पीडित महिलाहक्रनके मागहे उहे सरकारके सदस्यहुक्रे किल सम्बोधन करे सेकठै, जे सिपाही परिचालन करले रहे ।

आज बहुटसे आदिबासी थारुविश्वास करठै राज्यसंरचना काल्हिक रहे या आजके, यि देशके राज्यसंरचना थारुहक्रन्के सुरक्षासे ज्यादा हानि उेढर करठ । थारुहक्रनके राजनैतिक, सामाजिक ओ आर्थिक सीमान्तकरण ओ आदिबासीजनप्रति राज्यके पूर्वाग्रह नीतिके इतिहाससे प्रमाणित करट, टीकापुरसम्म आइपुगट सम सामुहिक रुपमेथारु महिलाहुक्रे हिंसाके शिकार बनल बटै । समुदाय लक्षित यौन हिंसा अन्य अवसरवादी जस्टे नइ रहट कि कि कउनो महिला अकेली नेगटी, ओ ओकर फाइदा पुरुष उठाइ सेक्ठै । राज्य संरचनामे आधारित थारु महिलाउप्परके यौन अपराध राज्य निर्देशित रहे, अपराधमे सहभागी सिपाही टे केवल कर्ता किल रहिट । महिलाउप्परके अइसिन राज्य आतंक, लैंगिक असमानताहे आउर सुदृढ बनइनामे जोर डेहट।

टीकापुरके सेलेक्टिभ कथा :

राज्य थारुन्के आन्दोलनहे आन्दोलनके रुपमे नइ लेहल । बरु आन्दोलनकारी थारुन्हे आंतककारी कहिके घोषणा करल ।आतंककारीन्हे परास्त करक लाग डर धम्की, उत्पीडन, गिरफ्तार, यौन हिंसा सक्कु करे बनट । खतरनाक आतंककारी कलहपाछे सामाजिक सुरक्षाके लाग खतराके रुपमे खडा करे मिलठ । वर्ग ओ जाती मतभेदके आधारमेपहिलेहेसे सिमान्तकृत रहहल व्यक्ति ओ समूहके खुल्लमखुला नियन्त्रण करे मिलठ । थारुन्हे आतंककारी घोषणा कइके राजनीतिक भूमिकासे विकृत बनागिल । राजनैतिक सक्कु मागहे आतंकवादीके मागके रुपमे डेखइना प्रउास हुइल । ओ अन्तराष्टिय रुपमे बदनाम करना प्रयास हुइल । काहेकि सत्ता सञ्चालकहुक्रे बुझ्ले बटै कि आतंकवादी क्रियाकलाप विरुद्ध राज्य आतंककेजइसिन कदम उठैलेसे फे वाहवाही मिलठ ।

जस्टे कि,सामाजिक सुरक्षा कायम करना नाममे थारु समुदायउप्पर पूर्ण रुपमे सरकारी नियन्त्रण करगिल । सुरक्षाके नाममा जातीय लिंगिय कट्टरपन्थी विधिसे राज्य निर्देशित शक्तिशाली आतंक मचागिल ।का सुरक्षा कना चिज अन्य केक्रो असुरक्षामा निर्मित हुइना विषय हो ?थारु समुदायहे असुरक्षित बनाके केकर लागसुरक्षा प्रदान करक खोजगिल रहे ?रमदैयाजस्टे कैयौं थारु महिलाहहुक्रे सुरक्षाकर्मीसामु असुरक्षित महसुस कललै ।थारु महिलान्के अनुभवके दृष्टिकोणसे हेरना हो कलेसे सुरक्षाके परिभाषानै बदले सेकठ ओ ओइनके लाग सुरक्षा, विकृत असुरक्षामे परिवर्तित हइ जाइठ ।

टीकापुर घटनापाछे महिना दिनसम जारी करगिल कफर््युके बेला टे बर्बरता रहे नै, तत्पश्चात लम्मा समयसम थारु समुदाय, सुरक्षा घेराभिट्टर भयभित जीवनयापन करलै । अट्वारी लग्गे रहे । २०७२ के अट्वारीमेटीकापुर ओ धनगढीके थारु महिलाहुक्रे अग्रासन डेखे समेत नइपइलै । ओकरपाछे डशिया आइल । अन्य समुदाय धुमधामके साथ दशैं मनइलै । उ वर्ष थारुहुक्रे भर डशिया मनाइ नइसेक्लै । आन्दोलनकारी थारुहुक्रे ‘करिया डशिया’ कार्यक्रम बनाके एक महिनासम अभियान चलइलै । टीकापुर लग्गेक कउनो थारु गाउँमेडसियक मन्डरा नइबजल । थारु महिलाहुक्रे सखिया, झुम्रा नाचे नइपइलै । घर निपे नइपइलै । मच्छी मारे नइपइलै । कट्रा महिलाहुक्रे त्रासके कारण घरेम सुटे नइसेकके धान लगाइल खेट्वक बिच्चे रात काटल अनुभव बटिन् । ओइनके अनुभव कहट, ‘अइसिन भयावह स्थिती टे बरु माओवादीके पालामे फे नइरहे । थारुन्के लाग किल कफर््यु टे लगागिल नइरहे ओ छान्छान्के थारुन्के घर टे नइ जरागिल रहे ।’

थारु समुदायहे आतंककारी घोषणा करगिलपाछे उ (आतंककारी) समुदायके महिलाउप्पर बर्बरता बर्सइनाहे वैधानिक बनाइ पाजाइट । सशस्त्र द्धन्द्धके बेला फे माओवादीहे आतंककारी घोषणा करलपाछे कुछुफे करना छुट रहे । द्धन्द्धके समयमे थारु कलक आतंककारी (माओवादी) रहिट राज्यके नजरमे । आतंककारी महिला कहलपाछे बर्दियाकेगर्भवती सम्झना चौधरी लगायत अन्य बहुट महिलन्हे सामुहिक बलात्कार करके गोली ठोकके हत्या करे सेकगिल । राज्य आतंकके अइसिन घृणित कामहे वैधानिक बनाइ सेकसगल ।

सशस्त्र द्धन्द्धके बेला होस् कि टीकापुर घटना, राज्य आतंककारीन्हे खटम करम कहना कलक जातीय ओ लिंगीय राज्यके रक्षा करना कथा किल रहे । यि अभ्यास लौव नइ हो । सदियौसे शासकहुनके युद्ध हिंसा ओ साम्राज्य निर्माणसंग सम्बन्धित अभ्यास रहे । इतिहाससे निरन्तर विरासत बनल शासकहुकनके विभेदकारी नीति महिलाउप्पर अस्टे प्रभाव पारठ ।

टीकापुरके घटनापश्चात गाउँके थारुहुक्रे दुख पाइबेर, अ‍ेहे समयमे काठमाण्डौंसे आन्दोलनके उद्घोष करुइया थारु नेता मन्त्री बनल ओर रमदैया संकेत करटही । शक्ति आर्जन करकलाग डेमागग नेताहुक्रे थारुन्हे उक्साइल ओ ओकरपाछे आन्दोलनके शक्तिहे सर्वाधिक दुरुपयोग करल आन्दोलन हो थरुहट थारुवान थरुहट थारुवान (टीकापुर) आन्दोलन ।

कउनो फे समुदायहे आतंककारी बनाइलपाछे राज्य आतंकके जइसिन फे रुपसम्भव बनाजाइट । थारुहुक्रे प्रहरी मरलै कहिके हल्ला करटी ओकर बदलामे थारु महिलाउप्पर सरकारी पुरुषत्वके प्रदर्शन का उत्तम विकल्प रहे ?हमार जइसिन देशमे जहाँ जातीवाद, सांस्कृतिक रुढिवाद, राजनैतिक साम्राज्यवाद विचारधाराके वेभ वास्तवमै कडा बा । जेकर कारण बहुधु्रव समाज निर्माण हुइट । लिंग, वर्ग ओ जातीय जटिल असमानतामे जडित रहल समाजमे, एकठो समुदायमे राज्यके आतंक प्रयोग हुइटीरहल बेला अभिजात वर्ग ओ समुदाय मुस्कुराइट । अइसिन धु्रवीकृत अन्तरिक्ष बिचके दुरी मेटइना प्रयासरत लडाइहे राज्य जबफे आतंककारी डेखट ।

राज्य आतंकसे ग्रसित रमदैया, भिख्नीदेवी, सम्झनाओ आइनअसक कैयौ ै महिलाहुक्रे भोगल कथा कबुफे पारदर्शी नइहुइल । काहेकि यी महिलाहुकनके कथा, आधिकारिक कहानीहे काउन्टर करठ । यी महिलाहुकनके कथा, घटना वा युद्धके कथामेराज्यके विकृत पहिचान लाने सेक्ना क्षमता ढरठै ।

महिलाके कथा कबुफे बाहर नइ अइना नइ हो । महिलन्के कथा उबेला लेखजाइठ, जोनबेला ओइनके कथा राज्यसत्ताहे फाइदा पुगाइठ । राज्यद्धारा समर्थित आतंकहे समर्थन करकलाग ओ ओकर राजनीतिहे वैधता डेहकलाग महिलन्के कथा प्रयोगमे लानजाइट ।

महिलाके कथा स्वीकार्य उबेला हुइट, जब ओइने देशभक्ति मिशनके सेवा करठै, जब ओइने राज्यके शक्तिशाली विचारहे सुदृढ परठै । जब महिलाके कथा ओइसिन करना असफल हुइट, ओइनके कथा विभिन्न माध्यमसे मौन बनइना प्रयास करजाइट । ओ उ प्रयास बहुट हदसमसफल बनाजाइट फे । यि बाट टीकापुरके सन्दर्भसे प्रष्ट हुइट ।

टीकापुर घटनापाछे तयार पारगिल सरकारी कथा, प्राथमिक तरिका बनल थारुन् प्रति नकारात्मक अर्थ उत्पादन करक लाग, थारुन् प्रति गलत अभिप्राय ढारक लाग ओ टीकापुर घटनापाछेके सरकारी कार्यहे वैधानिक बनाइक लाग । उ सरकारी कथा, राजनीतिक शक्तिके प्रतिनिधित्व करठ जोन नितान्त रुपमे शक्तिके आडमे आविष्कार करगिल रहे ।

इतिहाससे चल्टि आइल नेपाली कथाके सम्झना ओ बिस्रइना क्रम एकल जातीय पुरुषप्रधान इतिहासहे वैधता प्रदान करठ । ओइनके इतिहासहे वैधता डेहक लाग बिस्रागिल सिमान्तकृतहुनके कथा खटरा बने सेकठ । टबेमारे वास्तविकतासे ठीक विपरित काल्पनिक कथा आविष्कार करगिल । के अभिनेता समावेश करना वा नइ करना ओ किहिनहे कइसिक समावेश करना कना बाट बरा कलात्मक रुपमे सम्पादित करगिल ओ विभिन्न माध्यमसे बाहर लानगिल ।

वहे अनुरुप टीकापुरकेथारु महिलन्हे डेगिल यातना वैधानिक बनाइक लाग एकथरि महिलन्के आँशु छापामे ओ अनलाइनमे व्यापक बनागिल । मानौउ महिलन्के आँशुहे न्याय डेहकलाग थारु महिलन्हे यातना डेना आवश्यक रहे । आधिकारिक रुपमे आइल समाचारके कथा, राज्य निकटके महिलन्के लाग नयाँ ठाउँ सिर्जना करल कलेसे थारु महिलन्के रोदनहे वेवास्ता ।

राज्यसञ्चालकहुकनके अइसिन गन्दा, विरोधाभासी ओ गोप्य राजनीतिसे मानवअधिकारकर्मी ओस्टके महिला अधिकारवादीहुकनमे समेत हानिकारक प्रभाव परल । नइ हो कलेसे,टीकापुरमे कर्पm्युके बेला थारु महिलाउप्पर का का हुइल कना बाट काहे खोजीके विषय बने नइसेकल । युद्ध वा घटनामे हुइना मृत्युमहिलाउप्परके व्यभिचारहे वेवास्ता करलक हो ?सदियौं से जातीय लिंगिय राज्यके उत्पीडन भोग्टीरहल थारु महिलाहुक्रे अन्वेषणके केन्द्रमे कबु नइपरलै । ओइनके कथा जन्ना बुझ्ना चेतना ओ इच्छाके अभाव रहे । थारु महिलाउप्पर हुइना राज्य आतंकके कथाबारे सूचना डेना गाह्रो बा काहेकि ओइनके कथा बिरलै समाचार बनाइट । बरु ओइनके मृत्युके कथा सुघ्घर सुन मिलठ, तरपीडित महिलाके कथा उपेक्षित होके अभिनसम जीवित बटै ।

रमदैया ओ हुकारअसक कैयौ महिलाहुक्रे आपनउप्पर हुइल व्यभिचारके रिपोर्ट नइ करनामे ओइनके सचेत छनौट से पहुँचके कमीले ढेउर भुमिका खेल्ले बा । राज्य ओओकर अंग, जस्टे मानवअधिकारवादी संस्था, मिडियासे जइसिक टीकापुर घटनापश्चात थारुन् बारे एकपक्षीय गलत प्रचारबाजी हुइले, उहिनसे थारु ओ राज्यहे विपरितार्थजइसिन बनाडेहल । थारुहुक्रे हत्यारा हुइटै कहटी बहुसख्ंयकके कल्पना शक्तिहे अइसिक पालिस करगिल कि सामाजिक वास्तविकता जन्नाइच्छुकता जागे नइ सेकल ।

एकपटक सत्ता पुग्ना उद्येश्य पूरा हुइलपाछे जनयुद्धमे‘वीर क्रान्तिकारी’कहगिल थारु, राजनीतिक क्षमता नहुइल थारुमे परिणत करगिलै । टबोफेन थारुहुकनके ऐतिहासिक भूगोलहे विभाजित करुइया नायकहुकनके राजनैतिक कमैया बन्टीरलै थारु सम्भ्रान्तहुक्रे ।

विडम्बना टे का कलेसे, थारु माहिलाउप्पर का कइसिन व्यभिचार हुइल कहनाओर केक्रो ध्याने नइगिल, ध्यान डेना आवश्यक नइ ठानगिल । दिनभर काम करके परिवारहे खाना खवइना रमदैया ओ हुकारअसक कैयौ महिलन्केश्रीमान्के गिरफ्तारीपाछे उ महिलाहुक्रे कइसिक जीवनयापन करटै कना बाट खोजीके विषयनै बनल । आँशु टे आँशु हो, पीडासे निकरना । मनो सजातीयहे समर्थन करना आँशु मिडियामे मज्जाले बिक्री हुइल । रमदैयाहुकनके आँशु ओइनके आँखीमे सुखाइल ।

ज्या होए, औपचारिक कथामे विश्वास करना इच्छुकता राजनैतिक शक्तिहे मजाले चित्रण करट । औपचारिक कथाके विपरित पर्याप्त ठोस प्रमाणके बाबजुदफेन राज्यके वास्तविक राजनीतिक छलकपट विरुद्ध जइना सहास महिला÷ मानवअधिकारकर्मीमे नइ हुइलक हो साएद । नइ टे ऐतिहासिकतासे थारु महिलाहुक्रे भोग्टी आइल संरचनात्मक हिंसाके विषय विश्लेषणके केन्द्रमे अवश्य पर्ने रहे । ओइसिक हुइ नइ सेकल पाछे थारु महिला कौन समयमे का का भोग्लै ओ कट्रा महिला प्रभावित हुइलै कना बाटके तथ्यांक हुइना बाटे नइ हुइल । महिलावादी साहित्यमे फे थारु महिलाके कथा अटाइ नइ सेकल ।

राजनीतिक सम्भ्रान्त र पितृसत्तात्मक सम्झौताः

सुरुसुरुके प्रत्येक भेटमे रमदैया रुइट । रोइट रोइट आँशु फेनसुखाइट काहुन, अब्बे हुकार आँखीमसे आँशफे नइ झर्ठिन । रमदैया सुनइठी हुकार ठरुवा साइकल व्यापार करिन् ।साइकलमे चिप्स, सुर्ती, चुरोट आदि बोकके गाउँगाउँमेबेचिन् । हुकार ठरुवा कबुफे आन्दोलनमे नइगैलिन् । ठरुवक् दिनभरके व्यापारसे बिमार रमदैया ओ तीन छाइछावान्के पेट भरेपरिन् । खेती करकलाग जग्गा नइहुइन् । आधा कठ्ठा किल नाममे रहल जग्गामे छोटी घर बा ओ बचल ठोरचेमे टिना लगइठै । रमदैयाके ठरुवा नेपाली भाषा बोले नइ जन्ठिन् । हुकार अत्यन्त सोझ ठरुवा जिहिनहे कबुफे थारुन्के आन्दोलनके मतलब नइ रहिन् ,टीकापुर घटनाके दोषी कहटी गिरफ्तार कइके जेलमे डरलिन् । रमदैया कहठी— ‘अन्डोलन करुइअन मन्ट्री बन्लइ, संसद बन्लइ । मोर मनैन् जेलम् डरलै । ’

टीकापुरके घटनापश्चात गाउँके थारुहुक्रे दुख पाइबेर, अ‍ेहे समयमे काठमाण्डौंसे आन्दोलनके उद्घोष करुइया थारु नेता मन्त्री बनल ओर रमदैया संकेत करटही । शक्ति आर्जन करकलाग डेमागग नेताहुक्रे थारुन्हे उक्साइल ओ ओकरपाछे आन्दोलनके शक्तिहे सर्वाधिक दुरुपयोग करल आन्दोलन हो थरुहट थारुवान थरुहट थारुवान (टीकापुर) आन्दोलन ।

स्वभाविक रुपमे सामान्य मनै युद्ध करक नइचाहठै । गरीब ओ मध्यम किसानहुक्रे आपन ज्यान जोखिममे डरनासे फे खेट्वामे काम करक रुचइठै । मनो नेताहुक्रे हुइटै जिहिनहे नीति निर्धारण करकलाग जनतन्के साथ चहठिन् ओ जनतन्हे सपना डेखाके आपनहोर टन्ठै । अब्बेके राजनीतिमे साझा धारणा यि बा कि जनता ओ पार्टीके नाममे राजनीति व्यक्तिगत हइटी गइल बा । ओहे अनुरुप थारुभिट्टरके राजनीतिक सम्भ्रान्तहुक्रे ग्राउण्डमे रहल थारुन्हे कइसिक प्रयोग करठै कहिके एक गतिलो उदाहरण बनल टीकापुर घटना । १० वर्षे जनयुद्धसे यि क्रम निरन्तरता पाइल बा । थारुवान् स्वायत्त राज्यके लाग हजारौं थारुहुक्रे आपने जीवन आहुती डेलै, हजारौं वेपत्ता पारगिलै, कट्रा थारु महिला बलात्कृत हुइलै ओकर कउनो लेखाजोखा नइ हो ।थारुवान राज्य प्राप्तीके लडाई लरक लाग हौस्यइना युद्ध नायक ओ उहे नायकके कपारिक मोल लगुइयन आखिर कागजी सम्झौतामे हस्ताक्षर करटी मेलमिलाप करलै । थारुहुकन टुक्राटुक्रा,कैँयौ टुक्रा परलै । एकपटक सत्ता पुग्ना उद्येश्य पूरा हुइलपाछे जनयुद्धमे‘वीर क्रान्तिकारी’कहगिल थारु, राजनीतिक क्षमता नहुइल थारुमे परिणत करगिलै । टबोफेन थारुहुकनके ऐतिहासिक भूगोलहे विभाजित करुइया नायकहुकनके राजनैतिक कमैया बन्टीरलै थारु सम्भ्रान्तहुक्रे ।

१० वर्षे लडाईसे प्राप्त करे नइसेकल थरुहट थारुवान प्रदेशके लाग पुन आन्दोलनके उद्घोषकरगिल रहे ।उ आन्दोलनमे उल्लेख्य मात्रामे महिलाहुकनके सहभागिता रहे । चरम उत्कर्षमे पुगलथरुहट आन्दोलनमे टीकापुर घटनापाछे केवल मन्त्रीपदके लाग कुछ थारु नेताहुक्रेसम्झौता करलै । यिहीसे संकेत करट कि राजनीतिक सम्भ्रान्तहुक्रे चाहे जोन दलिय विचार वा जातीय समुदायहेप्रतिनिधित्व करिट, ओइने रमदैया जइसिन नम्नवर्गियहुकनके सवाल कबुफे उठे नइडेठै । बरु सारा शक्तिके दुरुपयोग करके ओइनेहे फसइठै, रमदैयाके श्रीमान्हे जसाइल जइसिन ।

केन्द्रसे (काठमाण्डौ) आन्दोलन करे उक्सइना थारु नेतन्मे नैतिकता रटिन् कलेसेथारु महिलाउप्पर हुइल दमनके विरुद्ध वकालत करटै, ओइनके न्यायके लाग आवाज बुलन्द बनइटै, कुर्सीसंग थारु समुदायके मुद्धा नइ सट्ने रहिट । थारु आन्दोलन डबाइ खोजुइया गैर थारु सम्भ्रान्त ओ थारु आन्दोलनके नेतृत्व करुइया थारु सम्भ्रान्त, आखिर टीकापुर घटनापाछे काठमाण्डौमे कागजी सम्झौता करलै । ग्राउण्डके थारुहुकन अपराधी करार करलै ।

थारुहुक्रे मुक्तिके आश करल सक्कु आन्दोलन सम्झौतामे ओराइल । उ सक्कु सम्झौता पितृसत्तात्मक सम्झौतामेआधारित रहे । ओ उ आन्दोलनके अगुवाई पुरुषहुक्रेनै करल रहिट । अभिजात वर्गके (चाहे जोन जातके हुइलेसे फे ) पुरुषप्रधान सम्झौतामे जडित सम्झौताके बुदाँमे महिलाके सवाल कबुफे इंकित नइ करगिल । यि प्रकारके सम्झौतासे विपरित गतिशील यात्रा हुइठ ।

इन्टरसेक्सनालिटीमे थारु महिलाः

राज्यसे कालसे आजसम थारु महिलाउप्पर करटी आइल बर्बरतासे नेपाली राजनीतिके नक्शा क्लियरली परिभाषित करट । शक्तिमे रहलहुकनके अक्षरसे सजातीयहुकनके कथा किल लेखल ओ बोलल । महिला अधिकारवादी आवाज फे महिलन्के विविधताहे सीमान्त बनाइल । थारु लगायत अन्य सीमान्तकृत महिलाहुकनके यौन उत्पीडनके कथा साहित्यमे अदृश्य बनागिल । महिलाबीचके इन्टरसेक्सनालीटी बुझकलाग अपराधी मानसिकताके व्यक्तिले करना अपराध ओ राज्य प्रायोजित अपराधके अनुभवबीच भेद छुट्इना आवश्यक बा । नइ टे सीमान्तकृत महिलाहुकनके कथामौन हुइटी रही, थारु महिलन्के कथा असक ।

रमदैया आपने थारु हुइलकमे ओ खस नेपाली बोले नइ जन्लकमे बजार गइलबेला हेप्वा पाइल कथा सुनइली । कट्रा हो कट्रा पटक, उ गने नइसेक्ठी । हुकार अनुभवमे परम्परागत समाजमे महिला हो के जन्मल ओरसे घरेम जबफेन महिलन्के काम करेपरलिन् ।मनो आपने घरेम चाँहि कबुफे हेप्वा नइ पइली । श्रीमान्संग कबुकाल झग्रा परलेसे फे अउरे कुछ अपशब्द कहलहुइहिन मने ‘टै थारु’कहिके कबु नइ गरैलिन् । मने आपने घरभिट्टर पहिलो पटक ‘तिमी थारुहरु… मा थारुहरु… ’कहिके टीकापुर घटनापाछे उहिनहे सुने परलिन् सिपाहीहुक्रे गस्तीमे आइलबेला । यिहिनेसे उद्द्धत हुइट कि वर्ग, लिंग ओ जातीयताके श्रेणी कट्रा उच्चस्तरमे रहल बा ।

अउरे बाट, टीकापुर घटनापाछे थारुन्के घरमे किल काहे छापा मारगिल कहिके रमदैया प्रश्न करठी ? उक्त घटनाके कउनो छानबिन बिनानै थारुहुक्रे अपराधी हुइट कना फैसला कइसिक सम्भव हुइल ?थरुहट थारुवान् संघर्ष समितिके आन्दोलन रहे, थारुन्के किल नइ रहे । हो, आन्दोलनमे थारुहुक्रे व्यापक सहभागी हुइलै । तर कानूनी राज्यमेकानून मिचके ओ थारुहुक्रेनै अपराधी हुइट कना धारणाके आधारमे किल थारुन्हे अपराधीके बिल्ला भिराइ मिलट ? अनि सुरक्षाके नाममे थारु समुदायके लाग किल कफर््यु लगाइ मिलट ?रमदैया भलै खस नेपाली बोले नइ जन्ठी । यकर मतलब उ विभेद महसुस करे नइ सेक्ठी कना नइहो । उ प्रश्न करे नइ सेक्ठी कना नइहो । हुकार भिट्टर निहित आदिबासी ज्ञान बाटिन् ओ उ साह्रै अर्गानिक बाटिन् । राजनैतिक आडमे सम्पादित विकृत समाचारसे बहुतआकर्षक ।

महिलाउप्पर हुइना संरचनात्मक हिंसामेके व्यक्ति सामेल हुइल, के निर्देशन करल, केकर सरकार रहे कना विषय सहायक बाट हुइल । थारु महिलाउप्पर हिंसा हुइना कलक राष्टिय पूर्वाग्रह हो । द्धन्द्धकालमे आम मनैनउप्पर हुइल बर्बरताके लाग ना टे औपचारिक रुपमे सरकार माफी मागल, ना टे युद्धके नायकहुक्रे ।

कउनो कथा कइसिक विघटन करजाइठ ओ सामाजिक राजनैतिक रुपमे कइसिक अयोग्य बनाजाइठ कना वास्तविकताके सबुत हुइट राज्य आतंकसे पीडित थारु महिलाहुक्रे । छनोटकर्ताके व्यक्तिगत ओ सामूहिक विचलनसे थारु महिलाउप्पर करगिल ज्यादतीके शैली, चरित्र ओ कथानक,कउनो चिजके प्रस्तुतीनइ करट । बरु राजनीतिक शक्तिहे पोष्ना एकल कथा एकढंगिय रुपमे प्रस्तुत हुइल । एकल कथा प्रस्तुती, शक्ति प्रयोगके बलियो उपकारण हो । यि खास कथामेकोन अभिनेताहे कइसिक समावेश करना ओ समावेश नइ करना कना बाट हे सीमित बनाइठ । जइसिक टीकापुरके घटनापाछे सरकारी कहानी निकट महिलन्के जीवनहे गम्भीरताके साथ लेगिल, ध्यानपूर्वक सुनगिल ओ गहिरके लेखगिल । यि प्रकारसे एकल कथामे किल जोर डेना कलक अपनेमे एक प्रकारके हिंसा नइहो ?

टीकापुर घटना (भदौ ७ गते) के चर्चा जोरतोरके साथ हुइल, मनो भदौ ७ आघेक ओ पाछेक घटनाहे सूचना प्रसारके माध्यमहुक्रे महत्व नइडेलै । जबकि टीकापुर घटनाहे सम्पूर्ण रुपमे बुझक लाग उक्त घटना पूर्व ओ पाछेक घटनाहे बुझ्ना जरुरी बा । ओम्नेफे महिलाके भोगाई एक अत्यन्त छुटाइ नइ हुइना सवाल हो ।

रणनीतिक हिसाबलेनै राज्य संचालकहे फाइदा हुइना औपचारिक सरकारी प्रवचनदर्शकसम पुगागिल । तर अपनेहे गठन करल आयोगसे तयार करगिले टीकापुर घटनाके रिपोर्ट अभिनसम नुकाके ढारगिल बा । जट्राफे औपचारिक सरकारी कथा बाहेर सुन्नामे आइले, सक्कु वर्णन स्वभाविक राजनीतिक रहे । कउन वर्णनसे किहिनहे कइसिक फाइदा पुगाइट कनो विशेष संस्करणमे सिर्जना करगिल । जट्राफे प्रवचन तयार करगिल रहे, महिलाके भोगाई कहु फे समावेश नइ करगिल । कउनो फे घटना÷ कथाके एक से ढेउर पोइन्ट हुइ सेक्ना बाटमे कोइफे ध्यान नइडेहल ।

थारु महिलाहुक्रे आपने समाजके फे शिकार बन्लै । द्धन्द्ध पश्चात थारु समुदायके शहिद, वेपत्ता, घाइतेके बारे जट्रा बहसके विषय बनल, थारु महिलाउप्परके यौन हिंसाके विषय वट्रा ध्यान नइपाइल । टीकापुर घटना पश्चात फे अपराधी खोज्ना नाममे राज्यसे थारु महिलाउप्पर बर्सागिले बर्बरताके वेवास्ता ओ कफर््युके बेला थारुके सम्पत्ति जरागिल विषय किल उठाजिना, यि डुनु दृष्टिकोण पुरुषत्व विचारधारासे निर्देशित बटै ।

अन्त्यमे,

थारु महिलाउप्पर हुइल अभिनसमके संरचनात्मक हिंसाहे गम्भिरतापूर्वक लेना ओ पहिचान करना जरुरी बा । काहेकि यि केवल थारु महिलाके मुद्धा केल नइ हो । यदि थारु महिलाके सवाल ध्यानपूर्वक नइसुनजाइ ओ समाधान नइ करजाइ कलेसे यि समस्या सक्कु सबै महिलन्हे आइ सेकी । महिलाउप्पर राज्य आतंकहुइना समाजहे शान्तिमय मन्ना गाह्रो बा । द्धन्द्धकाल पश्चात हुइले वृहत शान्ति सम्झौतासे बन्दुक चुप लाग्लेसे फे महिलाउप्पर संरचनात्मक हिंसा जारीनै रहल । राज्य आतंक भोग्ना अत्यधिक महिलामध्ये वास्तवमे सहासी ठोरचे महिलाहुक्रे रहठै जे आपन कथा अउरे जनहन सुनाइ सेक्ठै रमदैया असक । ताकि ओइनके कथा राज्य आतंकके गवाही बनेसेके ओ राज्यके विकृत अनुहार चिन्हइनामे सहयोग पुगे ।

महिलाउप्पर हुइना संरचनात्मक हिंसाके एक जल्दोबल्दो उदाहरण हो टीकापुर घटनापाछे थारु महिलाउप्पर हुइल राज्यके बर्बरता । टबेमारे एकल कहानीमे विस्वस्त हुइनासेफे टीकापुर घटनाहे सही ढंगले बुझक लाग महिला दृष्टिकोणसे हेर्ना अति आवश्यक बा । यिहिनसे थारु महिलाहुक्रे भोगल आघातहे ठिक परना अवसर ओ नयाँ राजनीतिक अन्तरदृष्टि प्रदान करेसेकठ ।

महिलाउप्पर हुइना संरचनात्मक हिंसामेके व्यक्ति सामेल हुइल, के निर्देशन करल, केकर सरकार रहे कना विषय सहायक बाट हुइल । थारु महिलाउप्पर हिंसा हुइना कलक राष्टिय पूर्वाग्रह हो । द्धन्द्धकालमे आम मनैनउप्पर हुइल बर्बरताके लाग ना टे औपचारिक रुपमे सरकार माफी मागल, ना टे युद्धके नायकहुक्रे ।

पीडितहुकनहे क्षतिपूर्ति डेना ओ राज्य आतंकके लाग राज्य संचालकहुक्रे माफी मग्नानैै समस्याके आधारभूत समाधानके विकल्प हो । सरकार सञ्चालकहुक्रे अपनेहे कफर््यु जारी करल बेला थारुन्के घर, पसल जरेबेर रमिते होके हुरुइया ओसुरक्षा प्रदान करना नाममे थारु समुदायहे (विशेषगरि महिलन्हे) असुरक्षित बनइना कलक सरकारी अपराध हो । अयसिने किसिमके सरकारी बर्बरताकेलाग राज्य संचालकहुक्रे थारु समुदायसे आम रुपमे माफी मो परठ ।

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