थारू मानक लेखन निर्देशिका तयार

काठमाडौं, २ भदौ । थारू भाषाके मानकीकरण कैना आयोजित चार दिने कार्यशाला गोष्ठी बुधके ओराइल बा । गोष्ठीसे १२ बुँदे निष्कर्ष निकरटी थारू मानक लेखन निर्देशिका तयार करले बा ।
भक्तपुरके बोडेस्थित कृषि विकास बैंक, तालिम केन्द्रमे सावन ३१ से सुरु हुइल गोष्ठीसे मानकीकरण करेबर थारु लिपि पत्ता नैलागटसम देवनागरी लिपि प्रयोग कैना ओ थारू लिपि खोजीकार्य जारी रख्ना निर्णय फेन करले बा । थप निर्णयमे वर्णमाला बनाइबर स्वर वर्णके कथ्यमे अ, आ, इ, उ, ए, ओ कैके ६ ठो वर्ण प्रयोग हुइना हुइलेसे फेन लेख्यमे अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं. अः कैके १३ ठो वर्णके प्रयोग कैना निर्णय फेन करले बा ।
उहे अनुसार व्यन्जन वर्णके कथ्यमे क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, स, ह कैके २९ ठो वर्णके प्रयोग कैना निर्णय करल बा । त्रिभुवन विश्वविद्यालय केन्द्रीय विभाग कीतिपुरके भाषा विशेषज्ञ प्रा.डा. दानराज रेग्मी ओ डा. नेत्रमणी दुमीराईके विशेष निगरानीमे लेखन निर्देशिका तयार करल हो ।
थारू आयोग तथा थारू कल्याणकारिणी सभा (थाकस) के संयुक्त आयोजनामे आयोजित गोष्ठीसे लेख्य वर्णमे क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, स ह,लिख्ना, र श, ष, क्ष, त्र, ज्ञ समेत कैके ३६ ठो वर्णके आवश्यकताअनुसार प्रयोग कैना निर्णय फेन करल बा ।
ओस्टके, संवर्णके रुपमे ड., ढ., ङ्ह, न्ह, म्ह, र्ह, ल्ह कैके ७ ठो वर्णके प्रयोग कैना, तत्सम, तद्भव ओ आगन्तुक शब्दहे स्वीकार कैके लिख्ना निर्णय करले बा । थारू मौलिक शब्दहे उच्चारणके आधारमे ह्रस्व ओ दीर्घ डुनुके प्रयोग कैना निर्णय फेन करल बा ।
उहेअनुसार पञ्चम वर्ण ङ, ञ, ण, न, म हे देवनागरी लिपिमे रहल अनुसार लिख्ना, अ, आ ओ उ उच्चारणसे बन्ना शब्दमे चन्द्रविन्दु (ँ) के प्रयोग कैना । अन्यमे शिरविन्दू (ंं) प्रयोग कैना निर्णय फेन गोष्ठीसे करल आयोजक जनैले बा ।
उहेअनुसार पाउ विन्दू, हलन्त ओ अजन्त चिन्हके आवश्यकताअनुसार प्रयोग कैना, स, श ओ ष मध्ये थारू मौलिक शब्दमे स के प्रयोग कैना । तत्सम, ओ आगन्तुक शब्दमे भर श ओ ष डुनु वर्णके समेत प्रयोग कैना निर्णय हुइल बा ।
ओस्टके, कारक ओ विभक्ति चिन्ह शब्दसे जोरके लिख्ना, खातिर ओ लाग विभक्ति छुट्टे प्रयोग करे सेकजैना गोष्ठीसे निर्णय हुइल बा । ओस्टके, शब्दके शुरु ओ बीचमे इकारके लाग ()ि चिन्हके प्रयोग कैना, मने शब्दके अन्त्यमे इकार के लाग (ी) ओ शुरु ओ बीच्चेम ह्रस्व उकार (ु), अन्त्यमे ऊ कार (ू) दीर्घ मात्रा शब्दके अन्तिममे प्रयोग कैना निर्णय करल हो ।
उहेअनुसार थारू मौलिक शब्दमा ह्रस्व प्रयोग कैना, आगन्तुक शब्दमे स्रोेतभाषाके लेखन प्रणालीअनुसार ह्रस्व ओ दीर्घ प्रयोग कैना निर्णय करले बा ।
ओस्टके, संयोजकके प्रयोग करेबर थारू भाषामे काहेकि, तर, मने, मुले, काखरेकि, व, वा, ओ, तबमारे, ओह ओरसे, ओहमार, कि, तौनफे, वा, लेकिन, मनो, क्याम्की, टभुफे, नै टो, हे, तथा, आर, तयो, महज, ताकि, मतर, और, हरे, नै ते, तौन, तौना, फिर, काकरेकि, कणिलेकि, कथिलेत, जब, तब, वकिन, आ, अउर, मगर, अगर, स्वयम्मे, या त, तैयौ लगायत थारू समुदायमे प्रचलित संयोजकके प्रयोग कैना निर्णय करल बा ।
उहे अनुसार संयुक्त क्रियापद जोडके (पदयोग) लिख्ना, मने आवश्यकताअनुसार पद वियोग कैना (छुट्याके लिख्ना) निर्णय फेन करले बा ।
थारू आयोगके अध्यक्ष विष्णुप्रसाद चौधरी थारु भाषा मानकीकरणके पहिल खुड्किलाके काम हुइलमे खुशी व्यक्त करलै । मानकीकरणके काम आभिन बाँकी रहल ओरसे सक्कु जनहनके सहयोग ओ सक्रियतासे मानक भाषा बनैना कामहे निष्कर्षमे पुगैना सहज हुइना बटैलै ।
उहेअनुसार कार्यक्रममे भाषा विशेषज्ञ, प्रा.डा. दानराज रेग्मी, थारू कल्याणकारिणी सभाके महामन्त्री प्रेमीलाल चौधरी, थारू अगुवाहरु भुलाई चौधरी, रामबहादुर चौधरी, लक्की चौधरी, शान्ति चौधरी, सुशीला चौधरी लगायत थारू भाषा मानकीकरणके लाग चार दिनमे बरवार काम हुइल चर्चा करल रहिट ।

