थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १५ बैशाख २६४९, सोम्मार ]
[ वि.सं १५ बैशाख २०८२, सोमबार ]
[ 28 Apr 2025, Monday ]

टीकापुर घटनाके निकास कहिया ?

पहुरा | ७ भाद्र २०७८, सोमबार
टीकापुर घटनाके निकास कहिया ?

टीकापुर थरुहट/थारुवान विद्रोहके आज ठिक ६ वर्ष पुगल । देश संघीयकरणके प्रक्रिया रहल, संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रके संविधान जारी हुई लागल वेला उ क्षेत्रमे का कैसिन प्रदेश सरचना कैना उपयुक्त हुई कना राष्ट्रिय बहसके सन्दर्भमे वि.स. २०७२ साल भदौ ७ गते कैलाली जिल्लाके टिकापुरमे हुइल जनविद्रोहसे घटना हुइल रहे ।

टीकापुर जनविद्रोहके पृष्ठभूमिमे माओवादी जनयुद्ध ओ मधेश जनविद्रोहसे निर्माण करल मनोविज्ञान समेत जोरल बा । माओवादी शसस्त्र जनयुद्धसे अलगे ‘थरुहट÷थारुवान प्रदेश’के सपना डेखाइल रहे । यी सपनाके लाग यी क्षेत्रके थारु लगायतके टमान समुदायके लउण्डा लउण्डी जनयुद्धमे भारी योगदान ओ बलिदान करल रहिट । थारु ओ मधेश जनविद्रोहमे यी क्षेत्रके ओत्रे भारी सहभागिता रहे ।

देश करिब ७० बर्ष नम्मा जनसंघर्ष, आन्दोलन ओ क्रान्तिके प्रक्रियासे ‘संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र’ मे रुपान्तरण हुइटी रहल विशिष्ट कालखण्डमे उहाँक जनता अपन विचार, धारणा ओ माग धारके अन्दोलन कैना कौनो अन्यथा नइहुके लोकतन्त्रके सुन्दर अभ्यास हो । टीकापुरमे केल नाही, देशभर यैसिन जनसंघर्ष, विद्रोह ओ क्रान्तिकारी घटना हुइल रहे ।

टीकापुर जनविद्रोहके क्रममे भदौ ७ गते एक वालक सहित आठ जानेक निधन हुइना निश्चय दुखद ओ दुर्भाग्यपूर्ण रहे । मने उ न आयोजकके ओरसे प्रयोजित घटना रहे, न जनप्रदर्शन ओ न सभामे सामेल जनसमुदायके उद्धेश्य अनुरुप रहे । माओवादी जनयुद्ध ओ मधेश जनविदं्रोहहे राज्यसे शान्ति प्रक्रिया ओ संविधान संशोधन मार्फत् राजनीतिक क्रान्तिके मान्यता डेहल परिप्रेक्ष्यमे टिकापुर जनविदं्रोहहे केल उहीसे अलग करके फरक ढंगसे हेरे नइमिली, यकर दोहोरो मापदंड सर्वथा अन्यायपूर्ण हुइल बा ।

दुर्भाग्यके बाट राज्य अपनही यी षड्यन्त्रमे सामेल हुइल । घटनाके अन्तर्यमे जैनाके सट्टा ओटरा भारी आमजन विद्रोहहे एक अपराधिक घटनाके रुपमे चित्रण कैना ओ मनैनहे फसैना काम कैगिल । मने टिकापुर जनविद्रोहबारे जनसमुदायके राजनीतिक धारणा का कैसिन रहे उ ओकरपाछेक आमनिर्वाचनके परिणामसेफे प्रष्ट हुइठ ।

टीकापुर जनविद्रोहमे दूर्भाग्यवंश रहल हिंसात्मक घटनाके लाग षडयन्त्रपूर्वक फसाइल रेशम चौधरी बारेस मार्फत् २०७४ सालके आम चुनावमे सहभागिता जनैलै । उहाँ कैलाली–१ से ३४ हजार ३ सय ४१ भोट नानके अपन निकटतम् प्रतिद्वन्द्वीहे २१ हजार ढेर भोटके मार्जिनसे पराजित करलै । यदि उ ‘सामान्य अपराध’ रहे कलेसे जनतासे रेशमहे काहे भोट डेलै ? उ फे ओटरा फराकिलो अन्तर सहित ? उ निर्वाचन क्षेत्रके जनसंख्यायिक बनौट हेरेबेर सक्कु समुदायके समर्थन विना ओटरा निर्वाचन परिणाम आई नइसेकी । लोकतन्त्रमे निर्वाचनहे जनअभिमत व्यक्त हुइना वैधानिक प्रक्रिया मानजाइठ । टिकापुर जनविद्रोह वैधानिक निर्वाचनके लोकतान्त्रिक प्रक्रियासे समेत अनुमोदित बा ।

मने मानवीय रेशम चौधरी अभिन जेलमे बटै । माननीय चौधरीसंगे टीकापुर जनविद्रोहके और टमान निर्दोष व्यक्ति व्यक्तित्वहे राज्य फसैले बा । टीकापुरके जनविद्रोह केबल टीकापुरके विद्रोह नइहो, यी सक्कु शोषित, उत्पीडित वर्ग ओ समुदायके जनताके साझा जनविद्रोह हो, टीकापुरके राजबन्दी सिंगो देशके आस्थाके बन्दी हुइट निर्दोष राजबन्दीहुकनके न्यायके लाग आवाज बुलन्द कैना सक्कुहुनके कर्तव्य हो, टबमारे देशमे शान्ति सदभाव कायम कैना हो कलेसे टीकापुर घटनाके हल–हाली निकास कैना जरुरी बा ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू