‘ कविता ’
टीकापुर ओ डेसके बरघरियन
पहुरा |
१२ भाद्र २०७८, शनिबार

अब्बे इ डेसके बरघर
मिस्टर देउवा बटाँ ।
कुछ समय पहिले
मिस्टर ओली रहिंट ।
डेसके बरघर जे जे बनठ
उ कहठ–
‘टीकापुर काण्डमे जेलमे रहल
सब थारु निर्डोस बटाँ ।
‘सांसद रेशम चौधरी निर्डोस बटाँ ।
मने कानुनी हिसाबसे
ओइन छोरे नै मिलि ।’
ओहोर डेसके
सहायक बरघर बन्ना क्रममे
तराई मधेशके अग्वन कहठाँ–
‘सांसद रेशम चौधरीहे रिहा करो
टब बल्ले हम्रे सरकारमे जाब’
मने ओइने उढारि सहमटिमे
सहायक बरघर बन्जैठाँ ।
असिक गैलक ६ बरस यहोर
इ डेसके बरघरलोग
थारुन् भुल्भुलैयामे पर्टि बटाँ ।
……
ए थरुहटके बरघरियन
ए टीकापुरके बरघरियन
आब टे उठो, जागो
कहाँसम रहबो गाउँके
बरघरमे किल हेराइल ?
टुहरे फेन बन्ना हिम्मत करो
इ डेसके बरघर
ओ, हिलाउ इ डेसहे ।
हिलाउ इ डेसहे ।।
