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थारू भाषाहे सुदूरपश्चिम ओ लुम्बिनी प्रदेशमे सरकारी कामकाजके भाषा तोकजैटी

पहुरा | १२ भाद्र २०७८, शनिबार
थारू भाषाहे सुदूरपश्चिम ओ लुम्बिनी प्रदेशमे सरकारी कामकाजके भाषा तोकजैटी

काठमाडौँ, १२ भदौ । भाषा आयोगसे सातु प्रदेशमे सरकारी कामकाजके भाषा सिफारिस तयारी करले बा ।

राष्ट्रिय जनगणना २०६८ के तथ्यांकके आधारमे कामकाजी भाषा तोके लागल हो । वक्ता संख्या अधिक रहल मैथिली, थारू ओ मगर भाषा दुई–दुई प्रदेशमे लागू हुइना डेखल बा ।

ओस्टके तथ्यांकमे १८ जाने किल डेखल खस भाषा कर्णाली प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषाके रूपमे प्रयोग कैना विज्ञ मतैक्य जनैले बाटै । सरकारी कामकाजके भाषा किटान कैना प्रदेशके जनसंख्या, भाषा बोलुइयानके संख्या, एकसे ढिउर पालिकामे बोलजैना भाषा, ऐतिहासिकता, पहिचान, लेखन प्रणाली विकास ओ प्रयोगहे प्रमुख आधार मानजैना बा ।

उहे अनुसार एक लाखसे ढिउर वक्ता रहल भाषा प्रदेशगत रूपमे सिफारिसयोग्य मानल बावै । जेम्ने प्रदेश १ मे मैथिली, लिम्बू ओ बान्तावा भाषा रहल बावै । प्रदेश २ मे मैथिली ओ भोजपुरी, वाग्मती प्रदेशमे तामाङ ओ नेवारी करल बावै । ओस्टके, गण्डकी प्रदेशमे मगर ओ गुरुङ भाषा, लुम्बिनीमे थारू (डगौरा) ओ अवधी रहल बावै । कर्णाली प्रदेशमे मगर ओ खस–नेपाली भाषा ओ सुदूरपश्चिममे डोट्याली ओ थारू (राना) भाषा रहल बावै ।

सरकारी कामकाजके भाषाहे व्यवस्थापिका, कार्यपालिका ओ न्यायपालिकामे विशेष भाषाके रूपमे प्रयोग करजाइठ् । आयोगके अध्यक्ष डा. लवदेव अवस्थी संवैधानिक व्यवस्थाअनुसार बहुसंख्यक जनतासे बोल्न एक वा एकसे ढिउर भाषा सरकारी कामकाजके हुइ सेक्ना मेरके सिफारिस प्रक्रिया आघे बह्राइल बटैलै ।

‘संविधानसे डेहल म्यान्डेटअनुसार प्रक्रिया आघे बह्रैले बाटी, आयोगके कार्यावधि ढिउर नैहो,’ उहाँ कहलै, ‘पाँच बरसभित्रे मुलुकमे बोलजैना भाषाके अध्ययन, अनुसन्धान, अभिलेखीकरण कैके सरकारी कामकाजके भाषा किटान कैना ओ अन्य मातृभाषा संरक्षण, संवर्द्धन ओ प्रवर्द्धनके निम्ति सिफारिस कैके सेकब ।’

तथ्यांकअनुसार मुलुकमे एक सय २३ भाषा बावै । आयोगसे पाछेकचो थप ८ भाषा पहिचान करले बा । उ मध्ये एक लाखसे ढिउर बोल्न १९ ठो रहल बावै । जेम्ने शेर्पा, राजवंशी, राई, बज्जिके, उर्दू, अछामी, बैतडेली भाषा सरकारी कामकाजके भाषा बने नैसेक्ना जनाइल बा । तथ्यांकमे राई भाषा एक लाख ५९ हजार एक सय १४ उल्लेख रहल बा । मने, ‘राई’ जाति किल रहे छुट्टे राई भाषा नैरहल भाषाशास्त्री उल्लेख करल बाटै ।

प्रदेश १ मे १० भाषा एक लाखसे ढिउर बोल्ठै । इ प्रदेशके आदिवासी राजवंशी जाति बोल्ना राजवंशी भाषा एक लाख २१ हजार २ सय ९१ बोल्ठै । इ भाषा विकासमे पाछे रहल सरकारी कामकाजके सिफारिसयोग्य मानल नैहो ।

इहे प्रदेशमे शेर्पा भाषा बोलुइयाके संख्या एक लाख १४ हजार ८ सय ३० बा मने वक्ता बाँटल कारण सरकारी कामकाजके सिफारिसमे परल नैहो । प्रदेश २ मे बज्जिके भाषा बहुसंख्यक ७ लाख ९३ हजार ४ सय १६ बोल्ठै । अभिलेखीकरण ओ विकास नैरहल सिफारिसमे परल नैहुइट । ओस्टके उर्दू भाषा बोलुइयाके कुल संख्या ६ लाख ९१ हजार ५ सय ४६ बा  । इ फेन कामकाजके भाषामा परे सेकल नैहो । बैतडेली, अछामी भाषाके वक्ता संख्या बाँटल रहल ओरसे सरकारी कामकाजके भाषामे सिफारिस हुइल नैहो ।

आयोगसे प्रदेशके भाषा अध्ययन, अनुसन्धान ओ विश्लेषणके निम्ति भाषाविद्सहितके प्रदेशगत प्रतिवेदन समिति फेन बनाइल बा ।‘समुदायके बाहुल्य किलल नैहोके उहाँहुक्रनके स्वीकृतिमे सरकारी कामकाजके भाषा सिफारिस करल हो,’ प्रदेश २ के समिति संयोजक प्रा. योगेन्द्र यादव कहलै, ‘समायानुकूल विकास हुइटी रहल भाषाहे फेनसे सरकारी कामकाजके भाषाके रूपमे थप्टी जाइ सेकजाइ ।’

संविधानके धारा २८७ अनुसार गठन हुइल आयोगके पदावधि ६ बरस रहल बा ।

आयोगसे भाषाहुक्रनके तथ्यांक विश्लेषण ओ स्थलगत अध्ययन करल जनाइल बा । लोपोन्मुख, सीमान्तकृत, अति सीमान्तकृत भाषाहे विशेष प्राथमिकतामे राख्न आयोगसे स्थानीय सरकारके ध्यानाकर्षण कराइल बा । संकटमे परल २९ भाषाके सर्वेक्षण, नमुना विकास, लोकवार्ता संकलन कार्य हुइल बा । भाषाशास्त्री प्रा. माधवप्रसाद पोखरेलसे विगतके जनगणनाके तथ्यांक भाषाके सन्दर्भमा मिथ्यांक सावित हुइल बटैलै ।

‘जनगणनामे एक किल वक्ता रहल दुरा भाषाके वक्ता २ हजारसे ढिउर ओ दुई जाने किल वक्ता रहल कुसुन्डाके वक्ता २८ जाने डेखाइल बा,’ उहाँ कहलै, ‘औरे जनगणना हुइलेसे फेन ओस्टके आँकडा दोहरे सेकी । ओहेमारे प्रत्येक स्थानीय तहसे समन्वय कैके प्रत्येक वडाके मातृभाषीके तथ्यांक लेहे परी ।’

आयोगके उपसचिव डा. लोकबहादुर लोप्चन प्रत्येक प्रदेशमे विज्ञ ओ स्थानीयबीच हुइल छलफलसे सिफारिस प्रतिवेदन बनल हो ।‘आयोगसे जिल्लागत रूपमे क्लस्टर बनाके छलफल करल ओ ओम्ने स्थानीय तहके समेत सहभागिता रहल,’ उहाँ कहलै ।

अन्य मुलुकके अभ्यास

४ सय ४७ भाषा बोलजैना भारतके संविधानमे नेपालीलगायत २२ ठो भाषा सूचीकृत बाटै । हिन्दी ओ अंग्रेजी भाषा संघीय सरकारके कामकाजी ओ प्रदेशगत रूपमे सूचीकृतहे सरकारी कामकाजके भाषाके रूपमे प्रयोग करल बावै । सिक्किमके किल उदाहरण लेहेबर वहाँ गुरुङ, लिम्बू, बान्तवा, लाप्चालगायत भाषा विद्यालय तहसे स्नातक तहसम पह्रैना व्यवस्था रहल बा ।

चीनमे ढिउर बोलुइया मन्डारिन सरकारी कामकाजके भाषा हो । अंग्रेजी ६७ मुलुकमे सरकारी कामकाजमे बा । फ्रेन्च २७, अरबिक २६, स्पेनिस २१, पोर्चुगिज १०, जर्मनसे ६ देशमे सरकारी कामकाजके मान्यता पाइल बा ।

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