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कोरोनासे घटल गौरा पर्वके रौनक

पहुरा | १३ भाद्र २०७८, आईतवार
कोरोनासे घटल गौरा पर्वके रौनक

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १३ भदौ ।
सुदूरपश्चिमके जिल्लामे धुमारी, ढुस्को, डेउडा खेलैना स्थान सुनसान बनल बा । प्रदेशके ९ जिल्लामे ओ भारतके कुमाउमे फेन परापूर्व कालसे नै गौरा मनैना चलन रहटी आइल बा । ९ जिल्लामे फरक–फरक ढंगसे गौरा पर्व मनैना चलन रहल बा ।

गौरा पर्वके पहिल दिन शुकके पञ्चमीके दिन महिला सक्करही स्नान कैके घर घरमे बिरुडा रख्ले बाटै । पञ्चमीके दिनसे घर घरमे बिरुडा राखके गौरा पर्व सुरु हुइल कैलालीके धनगढी उपमहानगरपालिका–२ के पवित्रा पन्त बटैली । ‘कोरोना महामारीसे इ बेर गौरा पर्व खल्लो हुइल बा । घरबाहर मठमन्दिरमे भीडभाड नैहो,’ उहाँ कहली, ‘घरभित्रे परिवारके सदस्य मिलके मनैटी बाटी ।’

गौरा पर्वमे विवाहित महिलाहुक्रनके ढिउर सहभागिता हुइलेसे फेन, इ पर्वमे पुरुषके सहभागिता देउडा खेलके हुइठ् । गौरा मन्दिरमे गाउँ–गाउँके डेउडिया आके खेल्ना करठै । डेढ पाइला आघे आघे डेढ पाइला पाछे कैटी गोल घेरामे पुरुषसे खेलजैना खेल नै डेउडा हो । पहाडी जिल्लामे टे जिल्ला जिल्लासे मजा मजा डेउडिया गौरामे आके रातभरे प्रतिष्पर्धा हुइना करठ् ।

‘अब्बे सामाजिक सञ्चालसे सहजे मनैनहे चिनाजानी होजाइठ्, मने कुछ बरस पहिले गौरामे खेलजैना देउडा खेल नै सामाजिक पहिचान ओ मनोरञ्जन रहे, मनोरञ्जन टे अब्बे फेन’ देउडा गायक नरेन्द्र राज रेग्मी कहलै ।

परापूर्वकालमे राजा सहस्त्रार्जुन आपन धन फिर्ता लेना क्रममे भृगुवंशी ब्राम्हणहे मारडेहल किंवदन्ती बा । ब्राह्मणहुक्रनके देहावसानपाछे विधवा हुइल ब्राम्हणी सन्तान प्राप्तिके लाग गौरीके निराहार व्रत बैठल ओ एक ब्राम्हणी तेजिलो पुत्रके जन्म डेहल रही । उहे पुत्रके तेजसे राजा सहस्त्रार्जुन आँधर हुइ पुगल रहिट ।

आँधर हुयलपाछे राजा आपन पापप्रति पश्चाताप कैटी ब्राम्हणीसे माफी मागल ओ देवी गौरीसे जोरल उ घटनापाछे ओहकान शक्ति ओ महिमाके नाउँमे गौरा पर्व मनैना धार्मिक प्रचलन रहल बा ।

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