थारु राष्ट्रिय दैनिक
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भाषा आयोगप्रति थारु संघ संगठनसे आपत्ति

पहुरा | १५ भाद्र २०७८, मंगलवार
भाषा आयोगप्रति थारु संघ संगठनसे आपत्ति

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १५ भदौ ।
थारू भाषा लगायत १२ भाषाहे सरकारी कामकाजके भाषा बनैना भाषा आयोगसे करल सिफारिस प्रति थारु संघ संगठन लगायत थारु अगुवाहुक्रे आपत्ति जनैले बाटै ।

थारु लगायत १२ भाषाहे सकारी कामकाजके भाषा तोकजैटी शीर्षकमे यिहे भदौ १२ गते कान्तिपुर दैनिकमे समाचार आइल रहे । उहे समाचारके आधारमे भाषा आयोगसे करल सिफारिस प्रति थारु संघ संगठन लगायत थारु अगुवाहुक्रे असन्तुष्ट हुइटी आपत्ति जनाइल हुइट ।

थारु अगुवा तथा थारु नागरिक समाज कैलाली संयोजक अध्यक्ष दिलबहादुर चौधरी फेन आपत्ति जनैले बाटै । उहाँ सामाजिक संजाल फेसबुकमे लिख्ले बाटै–‘१२ भाषाहे सरकारी कामकाजके भाषा तोक्न समाचारसे टमान व्यक्ति खुशी व्यक्त करलै, मने उहीसे महिन नै छुवल । काहे कि मोरमे हरके चिजहे अइसीक काहे नै हुइल ? कहिके प्रश्न कैके हेर्ना, बुझ्ना पागलपन बा ।’

उहाँ आघे लिख्टी कहले बाटै–‘सरकारके कामकाजी भाषा तोक्न आधार हेरेबर हास्यास्पद लागल । उहाँहुक्रे अब्बे फेन फुटाऊ ओ राजगरके रणनीतिहे छोरे मानल नैहुइट । भाषा आयोग होए वा लोकसेवा आयोग, न्यायालय समेत फुटाऊ ओ राजगरके रणनीतिहे अख्तियार करल डेखजाइठ् ।’

सुदूरपश्चिम प्रदेशके हकमे डोट्याली भाषा पाछे चौधरी थारु भाषीके संख्या ढिउर रहल बा । मने सरकारसे राना थारु भाषाहे सिफासिर करलप्रति संयोजक चौधरी आपत्ति जनैटी प्रश्न करले बाटै ।

उहाँ लिख्ले बाटै,–‘सुदूरपश्चिम प्रदेशमे डोट्याली भाषापाछे चौधरी थारु भाषीके संख्या ढिउर रहल बा । मने भाषा आयोगसे रानाथारु भाषाहे सिफारिस करल । बहुसंख्यक चौधरी थारुभाषी उपर अल्पसंख्यक रानाथारु भाषाहे लाडे खोज्न कैसिक न्याय हुइ सेकी ? अइसीक प्रश्न करेबर रानाथारु भाषीहुक्रे रिसैना पक्का बाटै, काहे कि आपसमे फुट लन्ना ओ अन्याय ओ अत्याचारहे दिगो रुपमे जारी रख्ना नै सुदूरपश्चिमेली अर्थात डोट्याली सरकारके मूल उद्देश्य हो ।

थरुहट प्रदेशके मागहे तुहैना जैसिक काँग्रेस, कम्युनिष्ट, माओवादी लागल रहिट । प्रहरीके पुरा शक्ति थरुहट पक्षधरहे दबाइक लाग लागल रहे, आज सरकार बना सेकलपाछे फेन अदृश्य रुपमे उ प्रयत्न जारी बा । मने थारु समुदाय या टे इहीसे अनभिज्ञ बा, या टे बुझके फेन बोले सेकल नैहो ।’

उहाँ आघे कहले बाटै–‘भाषा आयोगसे आपसमे लडैनासे फेन संविधानमे उल्लेख रहल स्वायत्त क्षेत्र, विशिष्ट क्षेत्र निर्धारण कैके अल्पसंख्यक समुदायके भाषा, संस्कृतिके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन करे सेक्ना रहे । मने संविधानके पालना कैना, उहीहे कार्यान्वयन कैना काँग्रेस, एमाले, एकिकृत समाजवादी ओ माओवादी केक्रो रुचि छनैहो । फेनसे उहे लडैना भिडैना खेल जारी रख्ले बाटै ।

पत्रकार किशोर चौधरी फेन भाषा आयोगसे करल सिफारिस प्रति आपत्ति जनैले बाटै । पत्रकार चौधरी फेन आपत्ति जनैटी सामाजिक सञ्जाल फेसबुमे लिख्ले बाटै–‘ थारु आयोगसे रिस करुइया प्रदेश दुईके संघरिया ढिउर रहिट, भाषामे बरवार काम कैटी बा थारु आयोगके बिषयमे ढिउर नकारात्मक बात नकरहो कहिट, हेक्का होए थारु आयोग चोक्टा फेँकके सिकार कैना पल्कल निकाय हो ! दुई नम्बर प्रदेशमे मधेसीके बोलबोला टे रहे नै आब मैथिली ओ भोजपुरी भाषाहे कामकाजी भाषा बनाके थारुके अस्तित्व उपर प्रहार करले बा ।

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दुई नम्बर प्रदेशमे थारुके संख्या ढिउर बा उहाँहुक्रनके छुट्टे भाषा बा कामकाजी भाषाके रुपमे सिफारिस करे पर्ना रहे थारु आयोग खै करल टे ? आज थारु उपर एकपाछे औरे प्रहार हुइटी बा मने नियामक निकाय थारु आयोग ओ थाकस. टुलुटुलु हेर्ना बाहेक कुछ करे सेकल नैहो ! एक दुई जिल्लामे बोलजैना मैथिली भाषा कामकाजी, ८ जिल्लामे बोलजैना थारु भाषाके कौनो महत्व नैहो वहा क्या बात प्रदेश दुई सरकार ! इहीहे कहठै–‘जिसका भैंस उस्का लाठी’ खैर, दुई नम्बर प्रदेशके थारुहे दुखेबर अन्य ६ प्रदेशके थारुहे दुखल बा, ओहेमारे सक्कु जाने एक जुट होके ओकर विरुद्धमे आघे बह्री !!

यहोर थारु कल्याणकारिणी सभा फेन भाषा आयोगके प्रस्ताव प्रति आपत्ति जनैटी ध्यानाकार्षण पत्र बुझैले बा । थाकस फेन थारू भाषा ओ समुदायहे फुटैना मेरके भाषा आयोगसे अलग अलग नाउँसे भाषा सिफारिस करल औंल्याइले बा । आयोगसे सिफारिसके लाग तयार करल प्रस्तावमे लुम्बिनी प्रदेशमे थारू (डंगौरा) भाषाहे सरकारी कामकाजके रुपमे सिफारिस करे लागल ओ सुदूरपश्चिम प्रदेशमे थारू (राना) भाषाहे सिफारिसके प्रस्ताव तयार करल कहटी थाकस आपत्ति जनाइल हो ।

उहे बिषयहे लेके थाकससे थारू भाषा नाउँ डेके सरकारी कामकाजके भाषा सिफारिस कैना माग कैटी भाषा आयोग ओ थारू आयोगहे अँट्वारके ध्यानाकर्षणपत्र बुझैले बा । आयोगसे सात प्रदेशमे १२ ठो थप भाषाहे स्थानीय रुपमे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे सिफारिस करल विषयहे लेके थाकसके पदाधिकारी आयोगहे ध्यानाकर्षणपत्र बुझाइल थाकसके महामन्त्री प्रेमीलाल चौधरी जानकारी डेलै ।

थारू भाषा मुलुकके चौथो ढिउर जनसंख्यासे बोलजैना भाषा रहल ओरसे सरकारी कामकाजमे सिफारिस हुइना खुशीके बात रलेसे फेन फुटाके सिफारिस नैकैके थारू भाषा नाउँ डेके सिफारिस कैना माग करल महामन्त्री चौधरी बटैलै । भाषा आयोगके सचिव लक्ष्मीप्रसाद भट्टराई संविधानसे डेहल व्यवस्थाअनुसार प्रदेशमे एक वा एकसे ढिउर भाषा सरकारी कामकाजमे प्रयोग करे सेकजैना व्यवस्था अनुसार आयोगसे थप भाषा सिफारिसके प्रस्ताव तयार पारल बटैलै ।

एक लाखसे ढिउर बक्ता रहल भाषाहे आधार बनाके आयोगसे प्रदेश तथा स्थानीय तहमे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे प्रयोग करे सेकजैना सिफारिसके प्रस्ताव तयार करल आयोगके सचिव भट्टराई बटैलै । २०६८ के जनगणना अनुसार थारू भाषीके जनसंख्या १७ लाख ३७ हजार ४७० रहल ओ एक लाखसे ढिउर भाषी लुम्बिनी ओ सुदूरपश्चिम प्रदेश बाहेक प्रदेश १, प्रदेश २ मे फेन रहल महामन्त्री चौधरी दावी करलै ।

थाकससे भाषा आयोग ओ थारू आयोगहे अँट्वारके छुट्टाछुट्टे ध्यानाकर्षणपत्र बुझाइल महामन्त्री चौधरी जानकारी डेलै । ध्यानाकर्षणपत्र बुझ्टी आयोगके अध्यक्ष विष्णुप्रसाद चौधरी भाषा आयोगसे आवश्यक छलफल कैके उ बारेम निर्णय लेना थारू मानक भाषा मस्यौदा समितिके संयोजक कुछतनारायण चौधरी जानकारी डेलै ।

भाषा आयोगसे प्रदेश १ मे मैथिली, लिम्बू ओ बान्तावा भाषा सिफारिस करले बा । ओस्टके प्रदेश २ मे मैथिली ओ भोजपुरी, वाग्मती प्रदेशमे तामाङ ओ नेवारी, गण्डकी प्रदेशमे मगर ओ गुरुङ भाषा, लुम्बिनीमे थारू (डगौरा) ओ अवधी करले बा । कलेसे कर्णाली प्रदेशमे मगर ओ खस–नेपाली भाषा ओ सुदूरपश्चिममे डोट्याली ओ थारू (राना) भाषाहे सिफारिस करले बा ।

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