थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १५ बैशाख २६४९, सोम्मार ]
[ वि.सं १५ बैशाख २०८२, सोमबार ]
[ 28 Apr 2025, Monday ]

बेपत्ता पारलहुकनके स्थिति सार्वजनिक खै ?

पहुरा | १७ भाद्र २०७८, बिहीबार
बेपत्ता पारलहुकनके स्थिति सार्वजनिक खै ?

तत्कालिन सरकार ओ विद्रोही पक्षविचमे अगहन २०६३ मे विस्तृत शान्ति सम्झौता हुके ६० दिनभिटर बेपत्ता पारलहुकनके स्थिति सार्वजनिक कैना सहमति करल हुइलेसेफे बेपत्ता परिवारके लाग सम्झौता हुइल १५ बर्ष बिटलसेफे कौनो ठोस प्रगती हुई नइसेकल हो ।

ढिला करके गठन करल संक्रमणकालिन न्याय सम्बन्धि संयन्त्र स्थापना हुइल ६ बर्ष बिटलेसेफे घटनाो सत्य तथ्य उजागर करके पीडितहे न्याय ओ पीडकहे कारवाहीके सिफारिस करे नइसेकल हो । बलपुर्वक वेपत्ता पर्ना कार्य मानवअधिकारके गम्भीर उल्लंघन हुइनाके साथे यी एक गम्भिर फौजदारी अपराधफे हो । जवरजस्ती वेपत्ता बनैना कार्यसे वेपत्ता बनाइल व्यक्तिके केल अधिकार उल्लंघन नइहुके अपन प्रिय जनगुमाइल परिवार एवम् आफन्त पीडा एवं अनिश्चिततासे गुज्रटी रहल बटै । घरके मुली÷घर ब्यवहार चलुइया, मुख्य ब्यक्तिहे वेपत्ता पारलपाछे परिवारके सदस्यहे घर व्यवहार चलैना, बालबच्चाके लालनपालन कैना, शिक्षादिक्षा ओ स्वास्थ्य उपचारमे बहुट असर परटी रहल बा । बेपत्ताके स्थिति पत्ता नइहुके वेपत्ता पारलहुकनके गोसिनीया एकल कि दोकल ? कना प्रश्न ओ कानूनी द्धिबिधा रहल बा । बेपत्ता पारल व्यक्तिके कतिपय गोसिनीय सामाजिक लाच्छना ओ विभेदके सामाना करे परल बा । देशमे दिगो शान्ति स्थापना, दण्डहिनताके अन्त्य, कानूनी शासनके स्थापनाके लाग ओ बेपत्ता लगायतके समग्र पीडितके सत्य, न्याय ओ परिपुरणके अधिकार सुनिश्चितताके लाग सरकार ओ प्रमुख राजनैतिक दल गम्भिर एवं जवाफदेहि बन्न जरुरी बा । पीडितके पीडामे राज्यसंयन्त्र समबेदनसिल बन्नफे ओटरे जरुरी बा ।

न्यायके पक्षमे वकालत कैना उद्देश्यके साथ प्रत्येक बर्ष अग्रेजी महिनाके ३० अगष्टके दिन संयुक्त राष्ट्र संघके महासभासे पारित करके सन् २०११ से मनैटी आइल बेपत्ता पर्ना कार्य बिरुद्धके अन्तराष्ट्रिय दिवश मनैटी बा । वेपत्ता पारल व्यक्तिहुकनके सार्वजनिकरण कैना दवाव सृजना कैना ओ पीडितहुकने न्यायके पक्षमे वकालत कैना उदेश्यके साथ अन्तर्राष्ट्रियस्तरमे वेपत्ता पर्ना कार्य विरुद्धके दिवस मनैटी रहेबेर नेपालके वेपत्ता पीडितहुकनके अवस्था भन झनझन दर्दनाक बन्टी गैल बा । हमार मनै जिट्टी बटै कि ? मुसेक्लै ? कना आशा ओ निराशाके दोसाधमे परल पीडितहुक्रे टमान समस्यासंग जुझटी सघर्षपुर्ण जीवन जीउन बाध्य बटै ।

टबमारे वेपत्ता पारल व्यक्तिहुकनके सार्वजनिकरण ओ नम्मा समयसे न्यायके प्रतिक्षामे रहल पीडितहुकनके सत्य, न्याय ओ परिपुरणके अधिकार सरकारसे सम्बोधन कैना जरुरी बा ।

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