थारू समुदायहे मेडरी नाच लोप हुइना चिन्ता

नवलपरासी, १ अगहन । पूर्वी नवलपरासीमे थारू समुदायके बाहुल्यता बा । थारू समुदायके अपने मौलिक कला ओ संस्कृति बा । उ कला ओ संस्कृतिके जगेर्ना कैना थारू समुदायके अगुवा पहल करटी आइल बटै । अटरा करटी करटीफे ओइनके पुरान मेडरी नाच लोप हुइना अवस्थामे बा ।
थारू समुदायके और नाच युवापुस्तासे जगेर्ना करटी अइलेसेफ मेडरी नाचप्रति भर ओइने चासो नइडेहल थारू अगुवाहुक्रे बटैठै । दैवीशक्तिमे आधारित मेडरी नाच विशेष करके डसिया, डेवारीलगायत पर्वमे नचाजाइठ । और शुभकार्यमेफे यी नाच नाँच्न करजाइठ । पितृ औँसीमे पितृ विसर्जन करलपाछे सुरु हुइना यी नाच प्रत्येक वर्ष हरिबोधनी एकादशीसम नचैना करजाए । पछिल्का समय युवापुस्तासे चासो नइदेखाईबेर मेडरी नाँच लोप हुइना अवस्थामे पुगल पुष्परत्न महतो बटैठै ।
थारूके जातीय पहिचान स्थापित कैनामे यी नाचके बहुट महत्व बा । अब्बेक नयाँ पिँढीसे भर मेडरी नाचका महत्व बिस्रैटी गैल महतोके कहाई बा । ‘पहिले–पहिले मेडरी नाच ढेर नचैना करजाए, गाउँघरमे सक्कु जे मिली नच्न करजाए, अब्बे पुराना पुस्तासे नाच नचाई नइसेक्लै, नयाँसे चासो देखाई छोरल, महतो कहलै ‘अब्बे नाच हेराई लागल ।’
मेडरी नाच कृष्णलीलामे आधारित भवरा नाच, महाभारतमे आधारित महाभारत नाच ओ रामलीलामे आधारित सीताहरण नाच करके तीन प्रकारके रहठ । यी नाचमे कम्तीमे १०० ओ ढेरमे १५० नचनियाहुक्रे गोलाकाररूपमे नाच्न करठै । मेडरी नाचेबेर मन्दरा, झ्याली, तरबार ओ लटठीके प्रयोग करजाइठ । नाचमे विशेषतः पुरुषहुक्रे सहभागी हुइना करठै । नाच सञ्चालन करेक लाग जनशक्ति ढेर ओ खर्चहा हुके सञ्चालन कैना गाह्रो हुइना करल महतो बटैठै ।
थारू समुदायके लाठी नाच ओ झाम्टा नाचप्रति युवापुस्ताके आकर्षण देखलेसेफे मेडरी नाचप्रति चासो नइदेके लोप हुइना अवस्थामे पुगल हो । पछिल्का समय जिल्लामे कौनो विषेश अवसरमे पाकापुस्तासे मेडरी नाच प्रस्तुत कैना करल महतो बटैठै । ‘ढेर जाने चहना ओरसे नाच देखैना समस्या बा, मनै पुगैना गाह्रो बा, खर्च फे ओटरे लागठ, मने फे जैसिक टैसिक कबु कबु देखैना करल बटी, उहाँ कहलै ।
