‘ साहित्य ’
दुई मुक्तक
पहुरा |
२४ पुष २०७८, शनिबार
१.
भरल माघेम घर फोरम सोचल आटो की का।।
एक्के परिवारमे तीन चार डल आटो की का।।
बसल घर उखर्ना सहजे बा उखरल बसैना कर्रा ।
डाडा भैयान बिलल्वाके छोरल आटो की का।।
२.
असौं माघेम मेला घुमे लैजैम प्यारी।।
जत्रा पेटेम अटाई सब खवैम प्यारी।।
यी सपना टो सपनैम रैहगील मोर।
डुर डेश आटु कैसिक घुमैम प्यारी।।
जोशीपुर-५, सिमराना (हाल: गुजरात, भारत)
