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पर्यटकके मन खिच्टी शुक्लाफाँटा

पहुरा | १६ फाल्गुन २०७८, सोमबार
पर्यटकके मन खिच्टी शुक्लाफाँटा

सागर कुस्मी
कञ्चनपुर, १६ फागुन ।
कञ्चनपुर जिल्लाके महेन्द्रनगर बजारसे ७ किलोमिटर यात्रा कैके पर्यटक लोग पुगठैं शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्जमे । वहाँ पहिलचो पुगुइयन कहठैं– ‘अरे वाह ! अट्रा सुन्दर ठाउँ फेन बा ना हमार नेपालमे ।’

‘सुग्गा, मैना, कुइलरियनके कुहुकुहु सोहावन मिठ बोली, मंजोरीनके ढैंचोढैंचो नचाइ, ओ बाह्रसिंगे जानबरिनके बगाल डेखके उडास मनफें चम्पन होजाइठ, हाँ निका इ टे जट्टिके हेर्हि पर्ना ठाउँ हो,’ पहिलचो शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्ज हेरे पुगल सुर्खेतके साहित्यकार मानबहादुर पन्ना बटैलैं– ‘शुक्लाफाँटा फँटुवाके मैदानमे बाह्रसिंगे जानबरिन डेखके दिन बिट्लक पटे नैचलल, हरियर फँटुवाके ट बाट छोरी ।’

बाघ, भालु, जंगली हाँठी, चिरैंचुरुंगी, बाह्रसिंगे, नमहा, घोंटरी, चिट्टर, पख्यारी, जैसिन जानबरिनसे प्रख्यात निकुञ्ज पर्यटकके लाग आकर्षणके गन्तव्य हो । यहाँ घुमे ओ मन बहलाइ पुगुइयनके लाग ओहे संरक्षित जंगली जानबर मन मोहनियाँ लेठैं । उ मन्से बाह्रसिंगेनहे डेखके यहाँ घुमे आइल पर्यटकनके ध्यान खिंच लेहठ । सिङमे १२ ठो कन्टी हुइलक ओरसे पर्यटकनहे सोहावन लागठिन । आँखिक् साम्ने हेरे मिल्ना बाह्रसिंगेनके बगाल डेखके यहाँ पुगुइयनके मन बहुत लोभजाइठ । हरकोइ पर्यटक इ दृश्य (हेराइ) अपन अपन मोबाइल ओ क्यामरामे उटारके छोरठैं ।

इहे निकुञ्ज भिट्रे पर्ना रानीशीर टलुवा, बाबा टलुवा ओ छोट छोट टलुवामे मगर जातके गोह फेन प्रशस्त मिल्ठैं । शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्जके भिट्टर पेल्ना गेट (प्रवेशद्वार) ठनसे २४ किलोमिटर दुर शुक्लाफाँटाके विश्वके सबसे भारी फँटुवा (घाँसे मैदान) फेन बा । जिहि सिंगपुर फँटुवा कहिके चिन्ह्जाइठ । ओहे फँटुवामे हजारौं बाह्रसिंगेनहे जीभर हेरके आनन्द लेहे सेक्जाइठ ।

ओहे फँटुवामे महेन्द्र रजुवा २०२४ सालमे सिकार खेलके, एक रात बास फेन बैठल रहिंट । हाल दुधिया क्याप्प कना ठाउँमे महेन्द्र रजुवा बास बैठल कृष्णपुर नगरपालिका वडा नम्बर ५ के वडाध्यक्ष आशाराम चौधरी बटैंठैं । ओहे फँटुवामे सिंगपुर गाउँ बैठल बस्ती हो । पाछे आरक्ष बने लागल टे उ बस्ती हालके बेलौरी नगरपालिका–७, सिंगपुर गाउँ होझ कहिके चौधरी कहठैं ।

उहाँक् अन्सार उ फँटुवामे बाह्रसिंगेनके बगालिक बगाल बेढक घाम टापट ओ चर्हठ डेखे सेज्जाइठ । ओट्रे किल नाहि शुक्लाफाँटाके उ मैडनुवाँमे घाँसे मेरमेरिक मंजोरिनके नाच डेखके पर्यटक लोगनके मन लोभ्वा डेहठ् । उ फँटुवामे चिटकबररुवा बाघ फेन डेखे सेक्जाइठ । शुक्लाफाँटाके पुरबओर बहना चौधर लडिया, बर्कौला ओ हरियर फँटुवा हेर्ना ठाउँ हो ।

शुक्लाफाँटा घुम्ना खास सिजन फागुनसे असारसम हो । बसन्त ऋतुमे टे शुक्लाफाँटामे फुल्ना रंगीबिरंगी फूला घुमे पुगुइयनके स्वर्ग पुगल महसुस हुइल अवलोकन करे पुगल साहित्यकार प्रकृति पूजा कहठैं ।

उहाँ कहठैं– ‘निकुञ्जभिट्टर टमान छोट–बरा फँटुवा बा । जहाँ मेरमेराइक प्रजातिके चिरैं हेरे सेक्जाइठ, निकुञ्जकके पुरुब ओर हिरापुर फँटुवा बा, वहाँ कृष्णसार संरक्षण कैल बटैं ।’ निकुञ्जके भिट्टर पेल्ना डु ठो डगर बा । एक्ठो रानी टलुवा होके पुगे सेक्जाइठ कलेसे डोसर बर्कौला डगर । फँटुवा हेरक लाग कठुवाके ४ ठो मचान बनाइ बा । मचानमे चहुँरके पर्यटक शुक्लाफाँटाके दृश्य हेरठैं ।

करिब १९९० से आघे उ ठाउँमे सिंहपाल राजा बैठिंट । उ राजाके रानीनके लहैना लडिया हुइलेक ओरसे ओकर नाँउ बभनी लडिया नाउँ परल इतिहास बा । दिनक् तीन बजेभिट्टर निकुञ्ज प्रवेश करे परठ । साँझ अन्ढार नैहुइटसम बाहेर निकरे पर्ना निकुञ्ज प्रशासनके नियम बा । निकुञ्जके महाकाली लडिया पँजरे पिपरियामे हाँठीसार बा । जानकार मनै वीर बहादुर राजवंशी बटैलैं । वहाँ हाँठीनमे चहुँरके जंगल सफारी फेन करे मिलठ ।

शुक्लाफाँटा निकुञ्ज भ्रमणके लाग सार्क मुलुकके नागरिकहे ७ सय रुपैयाँ प्रवेश शुल्क, विदेशी नागरिकके लाग १५ सय ओ नेपाली नागरिकके लाग १ सय रुपैयाँ प्रवेश शुल्क टोकल बा । ओस्टके कारके १५ सय, स्कारपीयोके २५ सय भारी गाडीके ३ हजार प्रवेश शुल्क लेना नियम बा ।

सरकार २०७३ साल फागुन ९ गते शुक्लाफाँटा वन्यजन्तु आरक्ष, शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्जके रूपमे घोषणा कैगैल रहे । वन्यजन्तु किल नाही दुर्लभ वनस्पतिके लाग फेन प्रसिद्ध ठाउँ हो शुक्लाफाँटा । निकुञ्जमे १२ प्रजातिके घस्रने वन्यजन्तु, २० प्रजातिके उभयचर, २४ प्रजातके मछ्छी, ३५ प्रजातिके पुतली, २०१३ गणनाअनुसार ८०/९० ठो निलगाई, ४ सय २४ प्रजातिके चिरैं रहल निकुञ्ज कार्यालय जनैले बा । अझकल आन्तरिक ओ बाह्य पर्यटक लोग अवलोकन करे अइटी रहल बटैं ।

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