महिलनहे काममे विभेद कबसम

नेपालके संविधानसे समाजवाद उन्मुख राज्यके परिकल्पना करले बा । सरकारसे जारी करल राष्ट्रिय लैङिकक समानता नीति, २०७७ से महिलाके घरेलु कामकाजहे आर्थिक पक्षसंग जोरके नइहेरल अवस्था, ओ श्रम बजारमे महिला ओ पुरुषबीच रहल विभेद समाधान कैना लैङिकतामे आधारित श्रम विभाजनके परम्पराहे परिवर्तन करके श्रम बजारमे महिलाके सहभागिता वृद्धि (आर्थिक सशक्तिकरण) कैना रणनीति लेहल बा । मने सरकारसे करल सकारात्मक नीति तथा योजना कार्यान्वयनके लाग पर्याप्त पहल नइहुइल कारण यी कागजमे केल सिमित बटै ।
राष्ट्रिय श्रमशक्ति सर्वेक्षण २०१७÷१८ अनुसार नेपालमे ९०.५ प्रतिशत महिला असंगठित क्षेत्रमे कार्यरत बटै । उहे सर्वेक्षणअनुसार लगभग ७३००० नेपाली घरेलु श्रमिक रहल बटै । जेम्ने झण्डे दुई तिहाई महिला बटै । कामके पहिचान नइहुइल ओ नेपालके श्रम कानुनअनुसार श्रमिकके सुविधा नइपाइल कारण नेपाली घरेलु श्रमिक महिला यौनजन्य हिंसा, समाजिक लान्छना, ज्यालामे असमानता जैसिन समस्या भोग्न बाध्य बटै ।
विगो अक्टोवर २०२० के अनुसार, नेपालके श्रम बजारमे ३० लाख महिला आबद्ध बटै जेम्नेसे ९०.५ प्रतिशत असंगठित श्रममे रहल बटै । देशक प्रचलित अर्थ व्यवस्था ओ आर्थिक नीतिसे महिलाके कामहे मूल्याङकन करल नइहो । महिलाहे घरधन्दा तथा प्रजनन भूमिकामे सीमित राखल बा । जिहीहे श्रम ऐनसे समेटे सेकल नइहो । आर्थिक क्षेत्रभिटरफे विभेदकारी लैङिक भुमिकाके कारण महिलाहुक्रे सेवामूलक काम कैना बाध्य बटै । यिहीहे राज्यसे अनौपचारिक काम कहिके अवमुल्यन करल अवस्था बा । ओस्टेक करके यी कार्यस्थलमे श्रमिक महिला टमान मेरिक लैङिकक हिंसा ओ विभेदके सिकार बन्न बाध्य बटै । महिलासे कैना श्रमके मुल्याङकन नइहुइना कहल महिलाके कामहे काम नइमन्न ओ अस्तित्वहे स्वीकार नइकैना पितृसत्तात्मक सोच हो । ओटरा केल नाही बिध्यमान विभेदकारी संरचनासे महिला कैसिन काम कैना, कहाँ जाके कैना कना अधिकार समेत खोसल अवस्था बा । यिहीसे एकओर ओइनके गतिशिलता ओ अपन शरीरउप्परके अधिकार कुण्ठित हुइल बा कलेसे दुसर ओर ओइने कना श्रमके आधारमे सामाजिक, सांस्कृतिक रुपमे बहिस्करणमे पारल बा ।
यौन श्रमिक, यौनिक तथा लैङिक अल्पसख्यक, अपाङता, दलित तथा सिमान्तकृत समुदायके महिलाके कामहे राज्य, समाज ओ परिवारसे कैना व्यवहार मानव अधिकारविरोधी ओ निन्दनीय हो । अपाङता हुइल श्रमिक महिलाके लाग अपाङमैत्री संरचना ओ व्यवस्था नइहुके ओइने अपने रोजाइ ओ सक्षमताके आधारमे काम कैनासे बञ्चित हुई परल नुपरेको अवस्था जगजाहेर बा । यी कहल महिलाके पहिचानहे स्वीकार नइकैना हो । जबसम महिलाके अपन श्रम, शरिर ओ पहिचानउप्पर अपने अधिकार स्थापित हुई नइसेकी ओ ओकर लाग राज्य, समाजसे नीतिगत ओ व्यवहारिकरुपमे रुपान्तरणकारी भुमिका खेल्टी मानवअधिकारमुखि संस्कृतिके निर्माण करे नइसेकी टबसम सामाजिक न्याय सहितके दिगो विकासके सुनिश्चतता हुई नइसेकी ।
टबमारे टमाम श्रमिक महिलाहुकनके आत्मसम्मान ओ पहिचानसहितके श्रम अधिकारके नीतिगत ओ कार्यान्वयात्मक रुपमे संस्थागत करेक लाग एक चो फेर सक्कु श्रमजीवि महिला, महिला मानव अधिकार रक्षक, महिलावादी ओ मानव अधिकारके क्षेत्रमे कार्यरत व्यक्ति, संघसंस्था ओ न्यायके पक्षधर एकतृत हुके संयुक्त रुपमे महिलाके श्रमके पहिचान, मान्यता एवं रोजाईके काम करे पैना अधिकारके लाग महिला दवाब अभियान जरुरी बा ।
