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चित्रकारितामे भविष्य खोज्टी सुजु

पहुरा | २७ फाल्गुन २०७८, शुक्रबार
चित्रकारितामे भविष्य खोज्टी सुजु

सागर कुस्मी
धनगढी, २७ फागुन ।
भगवान हरेक मनैंनहे कुछ ना कुछ डेके पठैले रहठ । कोइ गीत गैनामे सिपार रहठ टे कोइ नच्नामे । कोइ गोंरी बिन्नामे टे कोइ केम्नो । अस्टेके फरक अदभूत कला रहल प्रतिभावान चित्रकार हुइँट्, सुजु कुस्मी ।

जे समयसे लरठ ओहे जिन्गीमे पार हुइठ । भुख पियास, जारघाम सहके अपन जीवनसे लर्टि कलामे प्राण भरुइया थारु समुदायके प्रतिभावान चित्रकार हुइटैं सुजु कुस्मी ।

‘छोट्टेसे चित्रकला क्षेत्रमे रुचि रहे,’ सुजु कठी– ‘भविष्यमे चित्र बनाके एक्ठो सफल चित्रकार बन्ना भारी सपना बोक्के चित्रकलामे पहुर्टी, संघर्ष कर्टी बटुँ ।’ उहाँ आघे कहठी– ‘एक्ठो सफल चित्रकारके रुपमे चिन्हाँइक लाग जमके मेहनत, लगनशील ओ अनुसासित होके चित्रकला क्षेत्रमे काम करलेसे सफल हुइ सेक्जाइठ् ।’ चित्रकलामे अपन मजा भविष्य रलक ओर्से इ समय मेरमेरिक चित्र बनैना अभिनयमे व्यस्त हुइल बटुँ, मै अब्बेसम एक सौ से ढेर चित्र कोर सेकल,’ उहाँ बटैठी ।

छोट समयमे जो अपन कलाहे ढेर जाने मन परैलकमे खुसी हुइल उहाँ बटैठी । उहाँक् बनाइल चित्र दर्शक, श्रोता तथा समिक्षक ओइने मन पराके सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलल ओर्से इ क्षेत्रमे लग्ना आउर ढेर हौसला, जोश, जाँगर मिलल उहाँ बटैठी । मेहनतके साथ अपन प्रतिभाहे अभिन आउर उत्कृष्ट बनाके चित्रकला क्षेत्रमे स्थापित हुइ सेक्ना उहाँक् विश्वास बा । उहाँ कहठी–‘चित्रकलामे मेहनत, अनुशासन, लगनशील, इमानदारिता ओ धर्यता जैसिन गुण हुइ परठ, ओकर संगसंगे चित्रकला क्षेत्रहे निरन्तरता डेहे सेक्लेसे टब जाके किल भविष्यमे सफलता प्राप्त करे सेक्जाइठ ।’

सफल चित्रकारके आस बोकल सुजुके चित्रकारिता प्रचारप्रसारके कमीके कारण ढेर चर्चा पाइ नैसेकल हो । उहाँक बनाइल सयौं चित्र डराजमे ओस्टे कुरहियाइल बटिन । कोइ चिन्हल मनैंनहे बनाइल चित्र उपहारके रूपमे डेटी आइल बटैं । उहाँक् बनाइल चित्र बजार पैलेसे अपन कला हालि चर्चामे अइना बटैली । ‘मजा अवसर मिल्लेसे चित्रकलासे अपन फरक पहिचान बनाइ सेकम’ उहाँ कहठैं–‘चित्र बनाके फे जीवन चलाइ सेक्जाइठ ।’

स्कूलमे ओ गाउँघरमे कुछु कार्यक्रम हुइलेसे चित्र मनैनामे अव्वल मान्जैना सुजु अवसर नैपाके एक्ठो घरक् कोन्टीमे गुम्सल रहिंट । अग्रज ओइन्के साथ, सहयोग ओ हौसलासे, आब छोट्टे मनिक सपना पुरा करे सेक्ना उहाँ बटैली ।

चित्रकारिता संगसंगे उहाँक् साहित्य लेखनमे फें रुचि बटिन । टमान ठाउँमे कविता गजल प्रतियोगितामे पुरस्कार समेत हाँठ पारल उहाँक् डाइ राजकुमारी चौधरी बटैलैं । उहाँ कहठी– ‘इ छाइक्मे अट्रा ढेर प्रतिभा हुइहिस कना हम्रे जन्ले नैरही, जब अपन प्रतिभा बनाके सामाजिक संजालमे पोस्ट करे लागल टब जन्ली कि इ छाइ फेन कुछ करे सेकी ।’ एकर संगे साहित्य लेखन ओ गीत फेन गैना रुची रहल उहाँ बटैली । उहाँक स्वरमे फरक मेरके जादु भेटाइ सेक्जाइठ । अवसर नैपाके अभिन गीत निकारे नैसेकल दुखेसो सुनैलैं ।

उहाँ अब्बे दुर्गालक्ष्मी बहुमुखी क्याम्पस अत्तरियामे बिएड टिसरा बरसमे अध्ययन कर्टी बटी । पह्राइक् संगसंगे डाइ बाबनके ओ अपन सपना पुरा करम कना विस्वासके साठ सुजु अपन जिन्गिक परगा आघे बर्हैटी बटी ।

उहाँ स्क्रेच ओ पेन्टींग चित्र बनाइलके एक हजार से लेके २ हजारसम डाम लेना बटैठी । मने अभिनसम कौनो फेन बजार नैपाइल बटैली ।
सुजु कुस्मी छोट्टेमे अपन छुट्की फुइक् बनाइल चित्रकलासे प्रभावित होके कलाक्षेत्रमे बिना तालिम लेले साधारण पिलसिंगसे पन्ना रचैैटी आइल बटी । महि सिखुइया कोइ नैहो उहाँ कहठी–‘नैजानल चिज गूगलमे हेरके सिख्ठुँ, मै चित्रकलामे जिनगी बिटैना चहठुँ ओ बिटैम ।’ जिन्गीमे सफलता खोज्ना हो कलेसे सुजु कुस्मीक् चित्रकलासे रंगाइल रंगीन पन्ना उदाहरणके लाग काफी बा ।

के हुइइँट् सुजु ?

कैलाली जिल्लक् गोदावरी नगरपालिका–६, बडेहाँ गाउँक् बाबा रामलाल चौधरी ओ डाइ राजकुमारी चौधरीके कोखसे वि.स. २०५५ साल कुवाँर ८ गते सुजु इ धर्तीमे गोरा टेक्लैं । हुँकार बुडि बुडु, एकठो बहिनियाँ ओ एकठो भैया बटिन् ।

अझ्कल उहाँ बुढीतोला शहरी स्वास्थ्य केन्द्र कैलालीमे स्वास्थ्यकर्मीके रुपमे काम कर्टी बटैं । इहिसे पहिले मालाखेती अस्पताल अत्तरियामे तीन महिना, चापसल्ली शहरी क्लिनिक गोदावरी–१२ कैलालीमे ४ बरसके अनुभव बिटोर सेक्लै बटैं ।

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