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‘ २३ औं वनस्पति दिवस ’

कैलालीमे ८६९ प्रजातिके वनस्पति

पहुरा | २७ चैत्र २०७८, आईतवार
कैलालीमे ८६९ प्रजातिके वनस्पति

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २७ चैत ।
वनस्पति विभागके ६२ औं वर्षिकोत्सव तथा २३ औं वनस्पति दिवसके अवसरमे आझ धनगढीमे अन्तरक्रिया कार्यक्रम हुइल बा । कार्यक्रम ‘वनस्पति सप्ताह’ अन्तर्गत वनस्पति अनुसन्धान केन्द्र कैलालीके आयोजनामे हुइल हो ।

‘वनस्पतिके अनुसन्धान ओ नवप्रवर्तन, राष्ट्रके अन्नयन’ नारासहित चैत २३ से २९ गतेसम वनस्पति सप्ताह मनाइल वनस्पति अनुसन्धान केन्द्र कैलालीके प्रमुख गंगादत्त भट्ट बटैलैं । उहाँ वनस्पति विभागके सोच कलेक नेपालके वानस्पतिक सम्पदाके अध्ययन, अनुसन्धान, संरक्षण, संवद्र्धन तथा सदुपयोग कैके नेपाली जनताके आर्थिक समृद्धि हासिल करना रहल बटैलैं ।

वनस्पति विभाग नेपालमे का कैसिन ओ कै मेरिक वनस्पति प्रजाति बा कहिके यकिन करेक लाग अध्ययन तथा पहिचान ओ वानस्पतिक सम्पदाके संख्या पत्ता लगैना काम करल उहाँ बटैलैं । ओस्टेक, वनस्पति विभाग जडीबुटी तथा आर्थिक महत्व रहल वनस्पति प्रजातिके अभिलेखन तयार, आर्थिक महत्व रहल औषधीय तथा खैना योग्यप्रजातिमे रहल प्रमुख रसायनिक तत्वके पहिचान तथा सिफारिस करना कार्य रहल प्रमुख भट्ट बटैलैं ।

सुदूरपश्चिलगायत टमान ठाउँमे वनस्पति विभाग महत्वपूर्ण काम करल उहाँ बटैलैं । विभागसे खप्तड क्षेत्रमे मिल्ना जडीबुटीके खेती प्रविधि विकासके लाग अनुसन्धान केन्द्रके स्थापना, कञ्चनपुरमे सर्वेक्षण केन्द्र, जुम्लामे केशर खेतीके अनुसन्धान, शिवपुरी ओ बैतडीमे पाइरेथ्रप खेतीके कार्य सुरुवात करले बा । ओस्टेक, बाराके तामागढी, सुनसरीके तरहरा, मोरङके बेलबारीमे लेमनग्रास, सिट्रोलना, पामारोजा ओ मेन्थाके खेती परीक्षण ओ विस्तार, मकवानपुरके दामन ओ टिस्टुङ क्षेत्रमे टमान जडीबुटीके परीक्षणके स्थापना करल उहाँ जानकारी करैलैं ।

ओस्टेक, वनस्पति अनुसन्धान केन्द्र कैलाली विभागके मातहत ओ निर्देशनमे रहिके सुदूरपश्चिम प्रदेशमे मिल्ना वनस्पतिक प्रजातिके सर्वेक्षण, अध्ययन तथा पहिचान करल बटैलैं । जोनअनुसार कैलालीमे मिल्ना ८ सय ६९ प्रजातिके वैज्ञानिक पुष्ट्याईके साथे अभिलेखन ओ डीएचएएन नामक क्षेत्रीय हर्वेरीयम संग्राहलयके स्थापना हुइल उहाँ बटैलैं ।

परम्परागत ज्ञान तथा सीपके अभिलेखीकरण अन्तर्गत ५ सय २ प्रजातिके अध्ययन तथा अभिलेखीकरण, सुदूरपश्चिम प्रदेश क्षेत्रमे मिल्ना औषधीय तथा सुगन्धित वनस्पतिके तेल प्रतिशत निर्धारण तथा प्रमुख रसायनिक तत्वके केन्द्रसे पहिचान करटि आइल बा । कुरिलो, मेन्था, क्यामोमाइल जैसिन जडीबुटी प्रजातिके खेती प्रविधिक विकास तथा विस्तार करल उहाँ बटैलैं ।

ओस्टेक वनस्पति अनुसन्धान केन्द्र कैलाली देवहरिया वनस्पति उद्यान ओ गोदावरी संरक्षण क्षेत्र फेन स्थापना करले बा ।
उ अवसरमे वनस्पति अनुसन्धान केन्द्र कैलालीके प्रमुख भट्ट नेपालमे फूला फुल्ना वनस्पतिके नामाकरणसम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी फे करैले रहैं ।

वनस्पति विभागसे प्रकाशित फ्लोरिङ प्लान्ट डिस्कभर फर्म नेपाल नामक पुस्तकमे सन १८०५ से २०१९ समके अवधिके १ हजार ६ सय ५८ फूला फुल्ना वनस्पति प्रजाति नेपालमे पहिलचो पत्ता लागल उल्लेख करल बा । उहाँक अनुसार नेपालमे लगभग ६ हजार ५ सय प्रजातिके फूला बा । जेम्ने ३ सय १२ ठो टे नेपालमे किल मिल्ना फूला रहल बा ।

नेपालमे २ हजार ४ सय ६७ प्रजातिके च्याउ ओ ढुसी रहल बा । जोनमध्ये ३४ ठो नेपालमे किल मिल्ना च्याउ रहल बा । ओम्नसे १ सय ५९ प्रजातिके च्याउ खाइ मिल्ना ओ ७४ प्रजातिके च्याउ स्वास्थ्यके लाग लाभदायिक रहल बा कलेसे नेपालमे मिल्ना १ सय प्रजातिके च्याउ विषाक्त रहल उहाँ बटैलैं । ओस्टेके, नेपालमे ९ सय ९८ प्रजातिके स्याँउहार (लेउ) रहल बा ओम्नेसे २९ ठो नेपालमे किल मिल्ना लेउ रहल बा ।

ओस्टेक, टिनक रुपमे प्रयोग हुइना कोचिया (निउरो) ५ सय ८२ प्रजातिके रहल उहाँ बटैलैं । ओम्नेसे ३ ठो नेपालमे किल मिल्ना ओ १४ प्रजातिके कोचियक टिना खाइक लाग बजारमे आइल उहाँ बटैलैं । १ हजार १ सय १७ प्रजातिके काइ फेन नेपालमे रहल ओ ३१ ठो नेपालमे किल मिल्ना काइ रहल वनस्पति अनुसन्धान केन्द्र कैलालीके प्रमुख भट्ट बटैलैं । उहाँ नेपालमे ४ सय ४३ प्रजातिके रुखवा रहल जानकारी करैलैं ।

नारायणहिटी आसपासके क्षेत्रसे सन १८०२ जुलाईके २१ तारिकके दिन बुखानन् हेमिल्टनसे संकलन होके सन् १८०५ मे जेम्स इडवार्ड स्मिथसे वैज्ञानिक पुष्ठ्याइके साथ प्रकाशित मगर काँचे (बेगोनिया पिक्टा) नेपालमे पत्ता लागल पहिल वनस्पति प्रजाति रहल उहाँ जानकारी डेलैं ।

कार्यक्रममे नेपाल पत्रकार महासंघ कैलालीके अध्यक्ष हिमालय जोशी संचारमाध्यममे वनस्पतिके उपयोगिताबारे समाचार उठान हुइटी रहल बटैलै । वनस्पति अनुसन्धान केन्द्र कैलालीके अधिकृत मदनराज भट्ट स्वागत करल कार्यक्रममे धनगढीस्थित टमान सञ्चार माध्यमके सञ्चारकर्मीहुकनके सहभागिता रहल रहे ।

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