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रानाथारु समुदायमे सावनके डोला सुरु

पहुरा | ३ श्रावण २०८०, बुधबार
रानाथारु समुदायमे सावनके डोला सुरु

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३ सावन ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके कैलाली कञ्चनपुरमे बासोबास करुइया आदिवासी जनजाति रानाथारु समुदायके सावनके डोला सुरु रौनक हुइल बा ।

दुई हप्तासम डोला (बल्हा) झुल्के मनोरञ्जन कैना रानाथारु समुदाय गाउँ गाउँमे डोला डारके विधिवत रुपम कार्यक्रमक सुरुवाट करटी रहल बाट ।

कञ्चनपुरके बेलौरी नगरपालिका–७ बरहुइयामे सावनके डोलाक उदघाटन संविधान सभा सदस्य तथा सुदूरपश्चिम प्रदेशसभा सदस्य दिवान सिंह विष्ट व बेलौरी नगरपालिका नगर उपप्रमुख जोगराम चौधरी करल रल्ह । पुरन रानाको घरगोस्याम हुइल कार्यक्रमम बेलौरी वडा नं ७/८ क वडा अध्यक्ष नेपाल रानाथारु समाजक जिल्ला उपाध्यक्ष मनोहर राना, बेलौरी नगर भलमन्सा पढना संयोजक सुरेश बडायक,समाजसेवी, बुद्धिजीवी, भलमन्सा, नगरबासीके उपस्थिति रह ।

ओसहेक कैख कञ्चनपुर जिल्ला कृष्णपुर–७, कलुवापुर अगलीपट्टिमे सावनके डोला उद्घाटन हुइल बा । नगरपालिका प्रमुख हेमराज ओझा व नगरपालिका उपप्रमुख द्रोपती राना एक कार्यक्रम विच उद्घाटन कैल रल्ह । कलुवापुर अगली पट्टिक भलमन्सा सुरेश रानाक घरगोस्याम हुइल कार्यक्रमम टमान वडाक वडा अध्यक्ष, वडा सदस्य, बुद्धिजीवी, समाजसेवी, गाउँबासीक उपस्थिति रह ।

सावनके डोला कहलक का हो ट ?

सावन महिनाके सुरुमे रानाथारु समुदायसे गाउँके बीच भागमे दिदीबहिनीयाके लाग डोला (पिङ) रख्ठै । रानाथारु समुदायके परम्परागत चलन हो । राना थारु बसोबास कैना गाउँमे सावन महिनामे सार्वजनिक स्थानमे पिङ रख्ना करजाइठ् । परम्परागत पहिरनमे सजल राना थारु महिला अपने पारामे गीत गैटी पिङमे मचमचके आनन्द लेना करठै । पिङ भर महिला नैरख्ठै ।

सामूहिक भेला हुइना सार्वजनिक ठाउँमे दादुभैया दिदीबहिनीयनके लाग पिङ रख्नना चलन पुरान रहल बा । ‘इ चलन परम्परागत रुपमे चल्टी आइल बा,’ धनबहादुर राना कहलै–‘दिदीबहिनीया पिङमे रमाइलो कैटी मांगलिक गीत गैना करठै । पिङहे रानाथारु भाषमे डोला कहठै । चारठो कठ्वक खम्बामे डोरीमे कठ्वक फलिया बाँधके पिङके रुपमे प्रयोग करजाइठ् ।’
पिङ खेलुइया दिदीबहिनीयाके उत्साह थपक लाग जोरसे दादुभैया गीत गैना चलन इ समुदायमे रहल बा ।

इहीसे दिदीबहिनीया ओ दादुभैयाबीच आत्मीयता बह्रना हुइल ओरसे इहीहे ढिउर महत्व डेना करल राना थारु अगुवा नवलसिंह राना बटैलै । दिदीबहिनीया पानीसमेत नैपिके निरहार बैठके दादुभैयाके दीर्घायुके कामना कैके इ अवसरमे तिज मनैना करठै । निरहार बैठके दिदीबहिनीया प्रसादके रुपमे परम्परागत पकवान सिमही, पपरा, पुरी, गुलगुला बनैना करठै ।

गडरौँदा जातके घाँसमे विवाहिता सात गाँठ ओ अविविहीत पाँच गाँठ पारके चाँदीके गहनासे काटके लडियाके बीच भागमे पुगके बत्तीसँगे विर्सजन कैना चलन रहल बा । विर्सजन कैना बेला दिदीबहिनीया दाजुभैयाहे धन सम्पत्ति, उन्नति ओ लडियाके धारजस्टे दादुभैयाके आयु बढे कहिके बरदान मग्ना करठै । जत्रा डुर घाँस पुहके जाइठ् ओत्रे ढिउर नै दादुभैयाके आयु बह्रना विश्वास इ सामुदायमे रहल बा ।

‘विर्सजन करे जैना बेला गाँउके युवा दिदीबहिनीयाहे डगरामे लम्मा डोरीमे बेरके घेर्र्ना प्रयत्न कैके हस्यौली ठट्यौली ओ मनोरञ्जन लेना करठै,’ राना कहलै, ‘जिहीहे राना थारु भाषामे झुडकी छिरैना कहिजाइठ् ।’ लहेरमे जाके आपन नाटपाट नैभेटे पाइल दिदीबहिनीया इ अवसरके सदुपयोग कैटी भेटघाट करे अइना हुइल ओरसे इहीसे बरसभरके सुखदुःख साटासाट कैना अवसरके रुपमे लेना करजाइठ् । इ अवसरमे घरघरमे बनाइल परम्परागत पकवान सिमही, पपरा, पुरी, गुलगुला बनाके नाटपाटनहे बाँट्टी घरक सक्कु जाने बैठके सँगे खैना चलन इ समुदायमे रहल बा ।

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