आदिवासी थारुके हक अधिकार अछिनल आरोप

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २० सावन । आदिवासी थारुके हक अधिकार समाप्त करके मधेशीमे सूचीकरण कैना बदनीयतके साथ सरकारसे नानल संघीय शिक्षा ऐन संशोधन कैना बनल विधेयकप्रति थरुहट थारुवान राष्ट्रिय मोर्चाके गम्भीर ध्यानाकर्षण हुइल बा ।
नेपाल सरकार मन्त्रीपरिषद्के यिहे सावन १६ गतेके बैठकसे पारित हुइल संघीय शिक्षा ऐन संशोधन कैना बनल विधेयकप्रति थरुहट थारुवान राष्ट्रिय मोर्चाके संयोजक श्रवण थारु विज्ञप्ती जारी करटी ध्यानाकर्षण हुइल जनैले बटै ।
संवैधानिक व्यवस्था अनुसार थारु, मधेशी, मुस्लिम, दलित आदिहे अलग अलग कलस्टरमे सूचीकृत करके उहे अनुरूप आरक्षणके व्यवस्था रहलमे नेपाल मन्त्रीपरिषदसे पास करल संघीय शिक्षा ऐन संशोधन कैना बनल विधेयकके पदपूर्ति सम्बन्धी विशेष व्यवस्था दफा ४६ (ग) तराई मधेशमे बसोवास कैना मधेशी, आदिवासी जनजाति, दलित, पिछडावर्ग वा अल्पसंख्यक मुसलमान समुदाय ओ थारु २२ प्रतिशत आरक्षणके व्यवस्था करके तराई मधेशके नाममे सुनियोजित योजनाके साथ थारुहुकनके अस्तित्व, पहिचान ओ अधिकार समाप्त पारीके सक्कुहुनहे एक्केमे गोलमटोल करके आरक्षण करल व्यवस्थाप्रति घोर भत्सर्ना करटी खेद व्यक्त करले बटै ।

“समानुपातिक समावेशी ओ सहभागितामूलक सिद्धान्तके आधारमे समतामुलक समाज निर्माण कैना संकल्प लेहल प्रस्तावना समानताके हक (धारा १८) आदिवासी जनजाति, थारु, दलित, महिला लगायतके जाति समुदायहे समानुपातिक समावेशी सिद्धान्तके आधारमे राज्यके निकायमे सहभागिता हुइना सामाजिक न्यायके हक (धारा ४२) संवैधानिक अंग ओ निकायमे नियुक्ति करेबेर समावेशी सिद्धान्त बमोजिम कैना सरकारी सेवाके गठन (धारा २८५) आदि मे हुइल न्यवस्था प्रतिकूल हुइना करके ओ समावेशीता ओ आरक्षणके लाग सम्मानित सर्वोच्च अदालतके सम्वत् २०७८ माघ २४ गतेके फैसलाके परमादेश लत्यइटी नानल यी विधेयकमे हुइल आरक्षण व्यवस्था संविधानके मूल मर्म भावना विपरित रहल विज्ञप्तीमे कहल बा ।
संघीय शिक्षा ऐन संशोधन विधेयकहे आदिवासी भूमीपुत्र थारुहुक्रे कौनोफे हालतमे नइस्वीकार्य हुइना कहल बा । यी विद्येयकहे अविलम्ब संवैधानिक व्यवस्था अनुसार संशोधन करके संसदमे प्रस्ताव दर्ता करके अनुमोदन करैना नेपाल सरकारसे जोरदार माग कैगिल बा । यथास्थितिमे विधेयक पारित करे खोजलेसे नेपाल सरकारसे कडा मूल्य चुकाई पर्ना मोर्चासे विज्ञप्ति मार्फत चेतावनी डेले बा ।
