घोरीघोरामे ७३० पशुपंक्षीनके बलि

पहुरा समाचारदाता
सुखड, २ पुस । कैलाली जिल्लाके घोडाघोडी नगरपालिका–१, घोरीघोरा मन्दिर परिसरमे अँटवारके रोज ७३० पशुपंक्षीनके बलि डेगिल बा ।
घोडाघोडी नगरपालिका नगरस्तरीय भलमन्सा कार्य समितिके संयोजक बुधराम चौधरी लवांगी पूजाके अवसरमे घोरीघोरा मन्दिरमे ६ सय ८० मुरगी, ४ ठो छेगरा ओ २ ठो सुव्वर कैके जम्मा ७ सय ३० पशु पंक्षिनके बलि डेहल जानकारी डेलै ।
विगतमे थारु समुदायसे केल बली डेटी आइलम पछिल्का समय गैरथारुहुँक्रफे मन्दिरमे बली डेना करल भलमन्सा बुधराम चौधरी बटैलै ।
थारु समुदायहुँक्रे घोरीघोरा मन्दिरहे कुल देउताके रुपमे वर्ष भर करल खेती ओ जीवन रक्षाके लाग थारु समुदायसे थारु रीतिरिवाज अनुसार पूजा तथा बलि चह्राइलपाछे लौव अन्न भिटरयाके खैना चलन रहल भल्मन्सा बटैलै ।
“भाषा, धर्म, कला, संस्कृतिके करी सम्मान, घोरीघोरा मन्दिर थारुनके देउथानहे चिन्हैन हमार अभियान” कना मूल नाराक साथ यिहे अगहन २९ से पुस १ गतेसम घोरीघोरा लवाङगी पूजा तथा थारु सांस्कृतिक महोत्सव २०८० लागल रहे ।
घोडाघोडी नगर भल्मल्सा कार्य समिति, घोडाघोडी सन्त समागम समाजके सहकार्य ओ घोडाघोडी तथा संस्कृति संरक्षण समाजके आयोजनामे घोरीघोरा लवाङगी पूजा तथा थारु सांस्कृतिक महोत्सव संचालन हुइल रहे ।
कैलालीके ८२ गाउँसहित कञ्चनपुर, दाङ, बाँके, बर्दिया लगायतके जिल्लासे समेत दर्शनार्थी अइना करल बटै ।
घोडाघोडी मन्दिरमे बलि डेना परम्परा परापुर्वकालसे चल्टी आइल ओ वर्षमे एक चो बलि चढैलेसे मानवीय संकटसे दुर हुइना मन्दिरके गुरुवा बटैठै । समुदायके अइसिन सहकार्यसे आपसी भाइचाराके सम्बन्ध कायम हुइना ओ सामाजिक सद्भाव समेत मजबुत हुइटी गैल थारु समुदायके अगुवा बटैठै ।
ओस्टेक जोशीपुर गाउँपालिका वडा नम्बर ४ लालपुर बाँणी गाउँम रहल कुटनी बुढिया मन्दिरम आजसे लवांगी पूजा तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम हुइल रहे । परापूर्वक कालसे चल्टी अइलक लवांगी पूजा अपन कुल देउतनक नामम कैना पुजा हुइलक वरसे यकर गरिमा ओ महत्व जोगाइक लाग हरेक वर्ष लवाङगी पुजा अनिवार्य करपर्ना थारु गुरुवा शंकर कठरिया बटैले बाट ।
थारु समाजम एक वर्षभिटर हरेक चार महिनापाछक एक सामुहिक पुजा कैजाइठ,’ गुरुवा शंकर कहलै, गर्मी सिजनम धुरिया पुजा, वर्षा सिजनम हरेरी ओ हिउँद अर्थात जार सिजनमे लवाङगी पुजा थारु समुदायसे कैठ ।’
लवांगी पुजा हरेक वर्षके अगहन महिनाके शुल्क पक्षके पंचमी तिथिके दिन कैना गुरुवा कठरिया बटैलै । लवाङगी पुजामे चर्तुथदर्शीके साँझ कुल देउथानहे थारु चलन अन्तरगत ढकहेर गुरुवासे रातभर ढाक बजैटी गुरुवाहुँक्र रातभर देउता खेल्न सुसुवइना कैगिल रहे ।
यी वर्षके लवाङगी पुजामे मुङग्हवा नाँच, सखिया, नाँच, झुम्रा नाँच, हुरदुङवा नाँच, दिन नचुवा नाँच, लाठी नाँच, कठघोरी नाँच, कठरिया होरी नाँचक साथे राष्ट्रिय तथा कलाकारहुँक्रनकफे प्रस्तुती रहल रहे ।
