कैलारीमे फागुन १५ गतेसे दादुरा–रुबेला खोप अभियान

पहुरा समाचारदाताा
हसुलिया, १३ फागुन । कैलालीके कैलारी गाउँपालिकामे यिहे फागुन १५ गतेसे दादुरा–रुबेला खोप अभियान सुरु हुइना जनागिल बा ।
अँटवारके रोज हसुलियामे हुइल कैलारी गाउँपालिकास्तरीय खोप समन्वय समितिके बैठक तथा अभिमुखीकरण कार्यक्रममे यिहे फागुन १५ गतेसे दादुरा–रुबेला खोप अभियान सुरु हुइना जनागिल हो । गाउँपालिका अध्यक्ष राजसमझ चौधरीके बरका पहुनामे हुइल कार्यक्रममे उहाँ खोप अभियानहे टिहुवारके रुपमे लेके सक्कु जाने मिल्के सफल बनैना आग्रह करलै । उहाँ कहलै, ‘अब्बे भोजके सिजन चल्टा बालबालिका यहोर उहोर जाई सेक्ठै टबमारे खोपकेन्द्रमे कौन कौन बालबालिका आइल नइआइल मजासे तथ्याङक धारके कुहीहे नई छुटैना मेरिक अभियान संचालन कैबी ।’ खोप अभियान केल लगत्ते सिकलसेल एनिमिया जाँच पडताल अभियान संचालन हुइनाफे उहाँ बटैलै ।

गाउँपालिका उपाध्यक्ष भगवतीकुमारी चौधरी दादुरा–रुबेला खोपसे बञ्चित हुइलेसे टमान रोगके जोखिम हुई सेक्ना ओरसे ९ महिनासे १५ बरषसमके सक्कु बालबालिका यी खोप लगैना जरुरी रहल बटैली । उहाँ जनप्रतिनिधि, कर्मचारी, स्वास्थ्यकर्मी, महिला स्वास्थ्य स्वयं सेविका, शिक्षक, शिक्षिका, यूवा क्लव, भल्मन्सालगायत सक्कु जनहनहे यकर प्रचारप्रसार तथा जानकारी करैना आग्रह करली ।

कार्यक्रममे प्रमुख प्रशासकीय अधिकृत लक्ष्मी दत्त भट्ट खोप अभियान सफल बनैना सक्कु जानेक दायित्व रहल बटैलै । यकर लाग आ अपन ओरसे लगलेसे सफल बनाई सेक्ना बटैलै ।
दादुरा–रुबेला खोप अभियानबारे जानकारी डेटी कैलारी गाउँपालिका स्वास्थ्य शाखा प्रमुख नरेशकुमार चौधरी यी अभियान फागुन १५ गतेसे सुरु करके २२ गतेसम सेक्ना बटैलै । उहाँ कहलै, ‘कैलारीमे ५० ठो खोप केन्द्र बा । पायक पर्ना ठाउँमे खोप केन्द्र धारल बा । कोई विद्यालयसे बाहेर हुइही कलेसे स्वास्थ्य केन्द्रमे चैत ६ गतेसम खोप लगाई सेक्जाई ।’
कोई बालबालिका नछुटिट कहिके अभियानमे छुटल बालिकाहे खोजके पुनः खोप लगैना उहाँ बटैलै । अब्बेसे खोप लगैना निमन्त्रण पठासेकल, विद्यार्थी मार्फत, गाउँठाउँमे भल्मन्सा, महिला स्वास्थ्य स्वयं सेविका मार्फतफे जानकारी करासेकल बटैलै ।

गैल बरषके तथ्याङक हेरेबेर कैलारी गाउँपालिका पूर्ण खोप सुनिश्चित हुइल उहाँ बटैलै । कार्यक्रममे सक्कु वडा अध्यक्ष, कार्यपालिका सदस्य, गाउँपालिकाके टमान शाखाके प्रमुख, सुरक्षकर्मीहुकनहे सहभागिता रहल रहे ।
कैलालीमे दुनु उमेर समुहके २ लाख ४० हजार ७५८ जनहनहे, कञ्चनपुरमे १ लाख ६५ हजार ५३२, डडेल्धुरामे ११ हजार ८२३, डोटीमे १८ हजार २९५, बैतडीमे २१ हजार ३२४, दार्चुलामे १० हजार ४१०, बझाङमे १८ हजार ३७६, बाजुरामे १३ हजार ९४२, ओ अछाममे २३ हजार ३७९ बालबालिकामे खोप लगैना लक्ष्य रहल बा ।
अभियानमे कोइ बच्चा नइछुटिट कहिके प्रभावकारी ढ्रंससे लैजिना योजना रहल ओ ओकर लाग खोप अनुमानित खोप सेसन संख्या ३३ सय ८२, खोप डेहुइया स्वास्थ्यकर्मी संख्या ६ हजार ७६४, स्वयं सेवक संख्या ८ हजार ३४० रहना जनागिल बा ।
दादुरा रुवेला खोप अभियान २०८० फागुन १३ से चैत ७ गतेसम स्वास्थ्य कार्यालय ओ स्थानीय तहसे सेकटसम एक्के चरणमे कार्यक्रम संचालन कैना बा ।

स्थानीय तहमे ९ दिनभिटर ओ जिल्ला तहमे सेकटसम १५ दिन भिटर खोप लगासेक्ना कहल बा ।
लक्षित जनसंख्या ढेर रहल, आवश्यकता अनुसार कोल्डचेन क्षमताके अभाव रहल, खोप डेना स्वास्थ्यकर्मी आवश्यकता अनुसार प्रयाप्त नइहुके एक चरणमे सम्भव नइहुइलेसे २ चरणमे कार्यक्रम संचालन कैना बा । खोप डेना स्वास्थ्यकर्मी ओ कोल्डचेनके व्यवस्था रहल स्थानीय तह–स्वास्थ्य संस्थासे एक्के दिनमे एक से ढेर केन्द्रमेफे खोप केन्द्र संचालन कैना बा । अभियान संचालनके चरण निर्धारण करेबेर नियमित खोपहे असर नइकैना करके योजना बनाई पर्ना बा ।
दादुरा–रुबेला उन्मूलनके लाग रणनीतिक योजनाः २०२०–२०२४ सम नियमित खोपमे दुई मात्रा तथा अभियान मार्फत खोप प्रदान करके सक्कु तहमे कम्तीमे ९५ प्रतिशत प्रगती प्राप्ती तथा निरन्तरता डेके उच्च कभरेजके अवस्था कायम रख्ना, समयमे हरेक दादुरा, रुबेला ओ सीआरएसके सर्भिलेन्स करके सिफारिस करल सुचांक हासिल कैना दादुरा, रुबेला तथा सीआरएस संवेदनशील खोजपडताल प्रणाली विकास ओ दिगोपना कायम कैना कहल बा ।
दादुरा–रुयेला परिक्षणके लाग प्रयोगशाला प्रणाली विकास करके निरन्तरता डेना, दादुरा–रुबेला महामारीके लाग पर्याप्त पूर्वतयारी तथा समयमे व्यवस्थापन÷सम्बोधन कैना, लक्ष्य प्राप्तीके लाग सहयोग ओ सम्बन्ध मजबुत बनैना बहस, पैरवी, सूचना संचार ओ सामाजिक परिचालनमे विशेष जोर डेना बा ।
स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालयके सन २०२२ के तथ्याङक अनुसार नेपाल भर १६ प्रतिशत बालबालिका पूर्ण खोपसे बञ्चित रहल ओ ४ प्रतिशत बालबालिका खोप नइपाइल बा । सक्कु तहमे एकरूपता नइरहल, शून्य खोप तथा ड्रप आउटके संख्या बह्रटी जैना, सुक्ष्मयोजना अद्यावधिक ओ पूर्ण खोप दिगोपना कार्यक्रम प्रभावकारी नइहुइना, खोपसे बचाई सेक्ना रोगके प्रकोप देखा परटी रहना, खोप खेर जैना दर उच्च, सक्कु तहमे खोपके कोल्डचेन व्यवस्थापन ओ गुणस्तर प्रभावकारी नइहुइना, विनियोजित क्रियाकलापके प्रभावकारी योजना, संचालनमे कमि स्वास्थ्य सेवाके कार्यक्रममे स्थानीय सरकारके अपनत्व मे कमि साथे प्राथमिकता नइडेना खोप कार्यक्रमके चुनौती रहल बा ।
