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‘ सखिया नाँच तालिम निम्जल ’

पहिचानसे जोरल सबचिज संरक्षण जरुरी बाः मन्त्री चौधरी

पहुरा | ३१ बैशाख २०८१, सोमबार
पहिचानसे जोरल सबचिज संरक्षण जरुरी बाः मन्त्री चौधरी

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३१ बैशाख ।
सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारके भौतिक पूर्वाधार विकास मन्त्री कैलाश चौधरी पहिचानसे जोरल सबचिज संरक्षण कैना आवश्यक रहल बटैले बटै ।

सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठान धनगढीके आयोजना ओ नुक्लीपुर सामुदायिक होमस्टेके सहकार्यमे १५ दिने सखिया नाँच तालिम तथा सामग्री वितरण कार्यक्रममे समापन कार्यक्रममे बोल्टी मन्त्री चौधरी उ बाटमे जोर डेहल रहिट ।

भाषा संरक्षण करेक लाग अक्कोफे रुप्या पैसा नईलागी,’ मन्त्री चौधरी कहलै, ‘भाषा, कला संस्कृतिके धनी थारु समुदाय हुई मने पहिचानके सबसे महत्वपूर्ण मानजैना भाषा हो । यकर संरक्षण करेक लाग सक्कु जाने अपन भाषाहे बोलल करी । अपन लर्कन सिखाई । यिहीहे मरे नइदि ।’

उहाँ कहलै, ‘घरमे सक्कु जाने अपन भाषा बोले सेक्ठी । ओकर आलाका नेपाली, अंग्रेजी भाषाफे बोले सेक्ठी । जटरा भाषा खिख्लेसे ओटरे मजा हो मने पहिचान जोगाइक लाग मुलभाषा संरक्षण आवश्यक बा ।’

मन्त्री चौधरी भाषासंगे कला, संस्कृतिके संरक्षणफे जरुरी रहल बटैलै । पहाडमे डेउडा लगायत टमान नाँच ओ तराईमे सखिया संरक्षण करेक सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठानसे खेलल भूमिका सह्रनिया रहल बटैलै ।

आधुनिकतामे गैलसंगे थारु समुदायके परम्परागत गीतबाँस हेराइल ओ विदेश संस्कृति अंगल्टी गैल कारण हमार पहिचान धरापमे परलफे मन्त्री चौधरी बटैलै ।

तालिमम समापन कार्यक्रममे महालोक गायक मनिराम चौधरी परम्परा गीतबाँसहे दस्तावेजीकरण कैना आवश्यक रहल बटैलै । उहाँ कहलै, ‘पुरान गीतबाँस गैना सिपार हमार पुर्खा ओरैटी जाइटै । ओइनके गीतबाँस, सीप, कला, संस्कृति पुस्तान्तरण हुई नइसेक्ठो । समयमे दस्तावेजीकरण करे नइसेक्लेसे इतिहासके पाना पल्टाके खोज्न समय आई सेकी ।’

परम्परागत लोक नृत्य संरक्षणके लाग सखिया नाँच तालिमके आयोजना कैगिलक नुक्लीपुर सामुदायिक होमस्टेके अध्यक्ष दिनेश थारु जनैलै । उहाँ तालिममे सहभागी रहल ३० जनहनहे २० ठो थारु लेहंगा, ३० ठो मन्जिरा ओ ३० ठो चोलिया हस्तान्तरण करल जनैलै ।

कैलाली जिल्लाके गौरीगंगा नगरपालिका वडा नम्बर १० मे रहल नुक्लीपुर सामुदायिक होमस्टेमे हुइल सखिया नाँचके अगुवाई ६५ बर्षिय गोटियादेवी चौधरी करल रही । १५ दिनसम सखिया नाँचके मेरमेराइक खोट सिखागैल अगुनिया चौधरी बटैली ।
तालिम समापन कार्यक्रम सुदूरपश्चिम प्रज्ञा प्रतिष्ठान धनगढीके उपकुलपति डा. टिएन जोशीके अध्यक्षतामे हुइल रहे । उहाँ प्रतिष्ठानसे यी प्रदेशके सक्कु समुदायके भाषा कला, संस्कृति संरक्षणके लाग सहयोग करटी आइल बटैलै ।

सखिया शब्द सखी+आ से बनल हो । यकर अर्थ साधी वा सर्वांगिनी हो । यी शब्द कान्हा (कृष्ण) ओ राधा अथवा राधा ओ उहाँक सगिनी अन्य गोपिनीके सन्दर्भमे आइल बा । डसियाके खुसियालीमे संघरीया आइट कना अर्थमे सखियाके प्रयोग हुइल बा । सखिया थारू लोकभागवत् पुराण हो । यी थारू जातिमे डस्या टिहुवारमे थारू महिलासे पैना बृहत् काव्य कोटीमे परठ । यी सामूहिक नृत्यके साथ गाजाइठ । सखिया वृहत काव्य रहल ओरसे डस्या अइनासे एक महिनाआघेसे सिख्ना सिखैना या यम्ने एक ठो गुरु (मोरिन्या ओ पचान्या)से सिखैठी । उहे मोरिन्यासे औहरूबाट अन्य नर्तकीहरूले सिक्छन् । यो डस्याको नवमी अर्थात् गवल्या टीकाको दिनदेखि सार्वजनिक रूपमा नाच्ने÷गाउने चलन छ । सख्याको आरम्भ समरौटीबाट हुन्छ, जस्तै:

डानु डाडा डानु री डाडा डानु डरीउना भली र
सखी र डानु री डाडा डरीउना री कहिले
तोही मै समीरौं सरस्वती मैया
सखी र सरस्वती मैया स्यावा री मोरी लेओ

समरौटी कहल मंगलाचरण हो । यम्ने सखिया नाँच सफलतापूर्वक सम्पन्न होए कहिके देवी देउटाके आधाराण करल बा । यैसिन समरौटी बरका नाँच, बरकीमार करेबेरफे गैना चलन बा । सखियाके मूलकाव्य भागवत् पुराण हो । यम्ने ब्रह्माण्डसे कृष्णसे कंसवधसमके आख्यान जाइठ ।

सखियामे गाउँमे उपलब्ध लउण्डीनके आधारमे दस–बीससे चालीस–पचास जानेसम थारू लउण्डी सहभागी रहठै । लहरमे ठरहयाके नाँच्ना सख्या नाँचके सहभागी बठिन्या चोल्या, गोल्या परम्परागत गरगहनामे सजल रहठै । प्रत्येक नचुनियाके हाथमे रङगीन पताकासा मजिरा रहठ । नचुनियाहुक्रे मडरीयानके मन्डरक तालमे नच्ठै ।

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