धानवाली बचैनाके साथे रितिसंस्कृति संरक्षणके लाग हरेरी महोत्सव

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ५ भदौ । धानवालीहे डहिया, महिया, किराकाँटी, गाँधी, फटिङगा बचैनाके साथे रितिसंस्कृति संरक्षणके लाग हरेरी महोत्सव कैगिल बा ।
देउथान मन्दिर उपभोक्ता समितिक आयोजनामे यिहे भदौ २ गतेसे ५ गतेसम महोत्सव हुइलक हो । धानवालीहन डहिया, महिया, किराकाँटी, गाँधी, फटिङगासे बचाईक लाग ओ थारु समुदायम परापूर्व कालसे पुजजैना ढुरिया पुजा, असारी पुजा, लवाङगी पूजा लगायत हरेरी पूजाहे प्रचारप्रसार एवं सरक्षण सम्वद्र्धन कैना उद्देश्यले महोत्सवके आयोजना कैगिल हरेरी महोत्सव २०८१ मुल आयोजक समितिके संयोजक तथा जाँईक भल्मन्सा कुलविर चौधरी जनैलै ।
महोत्सवमे कृषि क्षेत्रके आधुनिकीकरण कर्ना ओ कला संस्कृतिक संरक्षण तथा प्रवद्र्धन, कृषि क्षेत्रक विकास एवं सम्भावनावारे छलफलक साथे थारु समुदायक लोपोन्मुुख मुुंग्रहुवा नाँच, लठ्ठहुवा नाँच, सखिया, झुम्रा, हुरडुङ्वा नाँच, एकल नाँच, बर्कीमार, एकल नाँच, सजनालगायत टमान सांस्कृतिक कार्यक्रम हुइल उहाँ जनैलै ।
महोत्सवके पहिल दिन भदौ २ गते डेवाल बारगिल, ३ गते हरेरी पूजा, खेतुवाम दूध, खिरबन, छिटना, अखरिया खेल्ना, सुस्वाइना कार्यक्रम हुइल ओ भदौ ४÷५ गते हरेरी पूजाबारे जानकारीके साथे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम हुइलक जाईक गाउँक बुद्धिजिवी विनय चौधरी जनैलै ।
भाषा संस्कृति कला, भेष हमार पहिचान । हरेरी महोत्सव मनैना सक्कु किसाननके अभियान । हरियर खेती हरियार वन हरियर मैदान बनाई । डहिया महिया किराकाँटी गाँधी फटिङ्गासे विउवाली बचाई कना मुल नाराके साथ हरेरी महोत्सवके आयोजना करल बा ।
महोत्सवके उद्देश्य का हो
धनगढी उपमहानगरपालिका–५ जाँई गाउँमे २०७३ सालसे मनैजैटी आइल हरेरी महोत्सवसे थारु समुदायके परापूर्वकालसे पुजजैना ढुरिया पूजा, असारी पूजा, लवांगी पूजा लगायत हरेरी पूजाके प्रचारप्रसार एवं संरक्षणके लाग निरन्तरता डेगिल बा ।
प्रकृतिके जीवनचक्रहे बचैटी कृषि क्षेत्रके आधुनिकीकरण कर्ना ओ कला संस्कृतिके संरक्षण प्रवद्र्धन कैना, कृषि क्षेत्रके विकास एवं सम्भावनाबारे छलफल ओ हरियर कृषि, बनुवा मैदान बनाके वातावरण सन्तुलन बनैना उद्देश्य लेहल समितिके संयोजक कुलवीर कहलै ।
हरेरी पूजाके महत्व का बा टे
थारु समुदाय परम्परासे धानवालीहे किराकाँटीसे जोगाइक अपने टौर तरिकासे औषधि उपचार करटी आइल रहिट उहीहे हरेरी पूजा कैहिके नाउँ डेहल जाँई गाउँक बुद्धिजीवी विनय चौधरी बटैलै ।
थारु समुदाय प्रकृति पुजक रहल कहटी धानवालीमे लग्ना किराकाँटीहे भगाइक लाग जडीबुटिसे तयार पारल औषधि छिटना करल उहाँ बटैलैं । पहिले पुर्खाहुक्रे जडीबुटिसे बनाइल औषधि छिटके धानवालीमे लग्ना किराकाँटी भगाइट,’ उहाँ कहलै, ‘अब्बे मेरमेराइक औषधि, रासायनिक मल आइल बा । जौन औषधि ओ रासायनिक मलसे मानव स्वास्थ्यके लाग एकदम हानिकारक बा ।’ ओस्टेफे, थारू समुदायसे धान, गोहुँक लगायत और खादन्न वालीके वियाहे जोगाइक लाग निमाके पटिया लगायत टमान जडीबुटिके प्रयोग करटी आइल बटैं ।
हरेरी पूजाके कैसिक मनाजाइठ
धनगढी उपमहानगरपालिका–५, जाँई गाउँक बृद्धिजीवी धनबहादुर चौधरी हरेरी पूजाके एकदिन आघे रातभर डेशबन्धिया ओ केशौका गुरुवासे दिवाल जगैना करल बटैलै । उहे रात गुरुवासे धानवलीमे लागल किराकाँटी पकरके नानके गुरै करटी किरुवा खैना चालनफे बा । विहानहे घरेलु औषधि, दूध पानी खेतुवामे छिटना चलन बा । डेशबन्धिया ओ केशौका गुरुवासे गुरै करटी टरासन ठोक्जैना करल उहाँ बटैलै । जिहीसे धानवलीमे लागल किराकाँटी, रोगव्यधी नइलग्ना जनविश्वास बा । उहे दिनसे बर्कीमार, सखियाके नाँचफे सुरु हुइना उहाँ बटैलै । मने कोई कोई गाउँमे कृष्णाजलम अष्टमीसे सखिया सुरु करल पाजाइठ ।
