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चुनौतीके चक्रव्यूहमे नेपाली अर्थतन्त्र

पहुरा | ७ जेष्ठ २०८२, बुधबार
चुनौतीके चक्रव्यूहमे नेपाली अर्थतन्त्र

नेपालके अर्थतन्त्र अब्बे टमान घरेलु ओ बाह्य चुनौतीके दोहोरो चक्रव्यूहमे फसल बा । महामारीपाछेक पुनरुत्थान, वित्तीय अनुशासनके कमी, कर्जा वितरणके विकृति, ओ संस्थागत कमजोरीके कारण आर्थिक प्रणाली अस्तव्यस्त बनल बा । आउर नियमनकारी संस्थाके कमजोरीसे लघुवित्त ओ सहकारी क्षेत्रमे डेखल अव्यवस्थासे अर्थतन्त्रमे गम्भीर संकट निम्त्याइल बा । कर्जाके अत्यधिक प्रवाह, उ फे अनुत्पादक क्षेत्रमे, ओ सरकारी खर्चमे जवाफदेहिताके कमीसे आर्थिक वृद्धिमे अपेक्षित योगदान हुईसेकल नैहो । निर्माण तथा सेवा क्षेत्रके भुक्तानी समस्यासे निजी क्षेत्रके लगानी ओ रोजगारी सिर्जनामे नकारात्मक प्रभाव पारल बा ।

विश्वके ढेर देशसे कोरोनापाछेक वित्तीय ओ राजस्व नीतिके संयोजनमार्फत पुनरुत्थानके प्रयास करलै । मने नेपाल भर मौद्रिक नीतिमे केल निर्भर रहल । यी एकतर्फी दृष्टिकोणसे अर्थतन्त्रमे आवश्यक ऊर्जा भरे नैसेकल । आर्थिक सन्तुलन कायम रख्न आब बहुआयामिक नीति संयोजन अपरिहार्य विल्गाइठ ।

संयुक्त राष्ट्रसंघसे हाल विश्वहे ‘पूर्ण आँधी’के अवस्थामे रहल बताइबेर ओकर असर नेपालमे खुला ओ आयातमे निर्भर अर्थतन्त्रममे झन् गहिर रूपमे परल बा । विश्वभर जलवायु अस्थिरता, द्वन्द्व, शरणार्थी संकट, सैन्य खर्चके वृद्धि ओ सामाजिक असमानतासे आर्थिक स्रोतमे कटौती करसेकल बा । स्टकहोम पिस रिसर्च इन्स्टिच्युट अनुसार, २०२४ मे केल्ह सैन्य खर्च ९.४ प्रतिशतसे बह्रके २.७ ट्रिलियन डलर पुगल बा । यैसिन अवस्थामे स्वास्थ्य, शिक्षा ओ पूर्वाधारमे आवश्यक अन्तर्राष्ट्रिय लगानी घटटी गैल बा ।

धनी देशसे वैदेशिक सहायता कटौती करेबेर नेपालमे यकर प्रत्यक्ष असर विल्गाइठ । अमेरिकासे नेपालमे स्वास्थ्य क्षेत्रमे डेना कहल ९५ अर्बसे ढेरके सहायता रोकल सन्दर्भमे देखल जस्टें, दाताके प्राथमिकता परिवर्तनसे विकास योजना प्रभावित हुइल बा । ओइसिडीके अनुसार सन् २०२५ मे सहायता १७ प्रतिशतसे झरी । यैसिन अवस्थामे घरेलु स्रोत परिचालनके प्रभावकारिता वृद्धि कैना, अनुदानके सट्टा ऋणसे अइना सहायताप्रति सचेत रना अत्यावश्यक विल्गाइठ ।

विकासशील देशमे ऋणमार्फत सहयोग बह्रटी बा । सन् २०२१–२२ बीच अनुदान आठ प्रतिशतसे घटेबेर ऋण ११ प्रतिशतसे बह्रल तथ्यांकले यैसिन संकेत करठ । ऋणके बोझ बह्रेबेर ऋण सेवा खर्चमे जैना रकमसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पूर्वाधार विकासजैसिन क्षेत्र ओझेलमे परटी रहल बा । नेपालके सन्दर्भमेफे कूल गार्हस्थ उत्पादनके ४९ प्रतिशतसे ढेर ऋणके अनुपात पुगल बा ।
कलेसे चालु वर्षके बजेटमे २२ प्रतिशतसे ढेर रकम ऋणके साँवाब्याज तिर्न छुट्ट्याइल बा ।

अमेरिका–चीन व्यापार युद्ध, ओ अन्य राष्ट्रबीचके भूराजनीतिक तनावसे विश्व व्यापार प्रवाहहे अस्थिर बनाइल बा । यैसिन अवस्थामे विकासशील मुलुकके निर्यात क्षमतामे ह्रास आइल बा । विश्वबजारके अनिश्चितता, मुद्रा अवमूल्यन, लगानी प्रवाहमे रोकावटजैसिन समस्यासे नेपाली अर्थतन्त्र प्रभावित हुइटी गैल बा । अन्तर्राष्ट्रिय मुद्रा कोषके अनुसार सन् २०२५ मे विश्वके आर्थिक वृद्धि केवल २.८ प्रतिशत रना बा । यैसिन सुस्त अवस्थासे नेपालजैसिन देशके वित्तीय प्रवाह, विनिमय दर ओ आयात लागतमे गहिर असर पारी ।

जलवायु परिवर्तनसे नेपालके कूल गार्हस्थ उत्पादनमे वार्षिक १.५ से दुई प्रतिशतसमके क्षति हुइटी हल बा । सन् २०५० के दशकसम यी घाटा तीन प्रतिशत पुग्न प्रक्षेपण बा । धान, मकै, बाली उत्पादनमे गिरावट, बाढपहिरोसे पूर्वाधारके क्षति ओ पर्यावरणीय संकटसे आर्थिक पुनर्निर्माणमे भारी बोझ थप्न बा । जलवायु परिवर्तनसे वित्तीय प्रणालीमे जोखिम बढैना बा, जिहीसे सरकारी ओ निजी दुनु लगानीमे असहजता ल्यन्ना सम्भावना बा ।

भारत–पाकिस्तान द्वन्द्व ओ अन्तरक्षेत्रीय अविश्वासके कारण दक्षिण एसियाली क्षेत्रीय व्यापार केवल पाँच प्रतिशतमे सीमित बा । दक्षिणपूर्वी एसियामे यी अनुपात २५ प्रतिशतसे ढेर बा । ओस्टे नीतिगत अड्चनसे साझा पूर्वाधार निर्माण, मूल्य शृंखलामे सहकार्य, ओ क्षेत्रीय निर्यातमे विविधीकरणमे भारी अवरोध खडा करल बा । नेपालके अर्थतन्त्र यैसिन असहयोगी भूराजनीतिक घेरासेफे प्रभावित हुइटी आइल बा ।

नेपालके बजेट निर्माण ओ कार्यान्वयन पद्धति परम्परागत ढर्रामे आधारित बा । उदाहरणस्वरूप, सन् १९८० के दशकमे न्युजिल्याण्डसे अपनाइल परिणाममुखी बजेट प्रणाली आज फे अन्तर्राष्ट्रिय अभ्यासमे अनुकरणीय मानजाइठ । यी ढाँचामे परिणामहे प्राथमिकता डेजाइठ, नीति ओ कार्यान्वयनबीच स्पष्ट जिम्मेवारी बाँडफाँड हुइठ ओ वित्तीय पारदर्शितामे जोड डेजाइठ । नेपालके बजेटमे यैसिन अवधारणा अभिन प्रभावकारी रूपमे कार्यान्वयन हुइल नैहो ।

नेपालके आर्थिक विकासमे सबसे भारी अवरोध कहल कम उत्पादकत्व ओ औद्योगिक क्षेत्रके खस्कटी अवस्था हो । उत्पादन ओ रोजगारी सिर्जना करेपर्ना समयमे उ क्षेत्र सुस्त बटै । पर्यटन, कृषि, ऊर्जाजैसिन सम्भाव्य क्षेत्रमे पूर्वाधार अभाव, नीति अस्पष्टता, ओ निजी क्षेत्रके सहभागिता न्यून बा । रेमिट्यान्समे निर्भरताफे बह्रटी बा । जिहीसे ‘डच डिजिज’ के खतरा बढाइल बा । यिहीसे उत्पादन क्षेत्रमे लगानी घटाइठ ओ आयातमुखी अर्थतन्त्र बनाइठ ।

नेपालके बैंकिङ क्षेत्रसे खराब ऋण, कमजोर नियमन, ओ पारदर्शिताके अभावके समस्या खेप्टी रहल बा । एफएटिएफसे नेपालके नियमन प्रणालीहे असन्तोषजनक मानके ‘ग्रे लिस्ट’मे राखल बा । यिहीसे अन्तर्राष्ट्रिय लगानीकर्ताके भरोसा गुमैना ओ वित्तीय लेनदेनमे अवरोध ल्यन्ना खतरा बनाइल बा । एफएटिएफसे औंल्याइल तीन मुख्य क्षेत्र– घरजग्गा वित्त, सीमापार रेमिट्यान्स, ओ असामान्य वित्तीय लेनदेनमे स्वचालित निगरानी प्रणाली आवश्यक बा । मने, नेपाल राष्ट्र बैंकके क्षमता अभिन सुदृढ बनैना आवश्यक बा ।

विकास खर्चमे बहुट ढिलाइ हुइना, बजेट खर्चके अधिकांश हिस्सा साधारण खर्चमे जैना ओ संघ–प्रदेश–स्थानीय तहबीच समन्वयके अभावसे समग्र अर्थतन्त्रहे कमजोर बनाइ बा । चालु खर्चमे ६५ प्रतिशत बजेट छुट्याइबेर पूर्वाधार विकासके सम्भावना सीमित रहठ । राजस्व वृद्धिके लाग कर प्रशासनमे सुधार, कर छुट नीतिमे पुनरावलोकन ओ आर्थिक क्षेत्रके औपचारिकता आवश्यक बा ।

संघीयताके सफल कार्यान्वयनके लाग संघीय, प्रदेश ओ स्थानीय तहबीचके वित्तीय स्रोतके पारदर्शी वितरण आवश्यक रहठ । मने संघके स्रोत खुम्चेबेर प्रदेश ओ स्थानीय तहके वित्तीय स्वायत्तता संकुचित हुइटी गैल बा । यिहीसे संघीय शासन प्रणालीप्रतिके जनविश्वास घटैना सम्भावना बा ।

नीतिगत समन्वयः मौद्रिक, वित्तीय ओ औद्योगिक नीतिबीच समन्वय आवश्यक बा । परिणाममुखी बजेट प्रणालीः न्युजिल्याण्ड मोडलजैसिन पारदर्शी, जवाफदेही ओ परिणाममुखी बजेट ढाँचा अपनाई परठ । निजी क्षेत्रके परिचालनः लगानीमैत्री वातावरण सिर्जना करटी विदेशी ओ स्वदेशी निजी क्षेत्रहे आकर्षित करेपर्ना बा । संस्थागत सुधारः नियमनकारी संस्थामे दक्षता वृद्धि, स्वचालित निगरानी प्रणालीके स्थापना ओ एफएटिएफके मापदण्डअनुसार सुधार कार्यान्वयन आवश्यक बा ।

जलवायु वित्तः अन्तर्राष्ट्रिय जलवायु कोष ओ अनुकूलन कार्यक्रमसे थप स्रोत परिचालन कैना कूटनीतिक प्रयास करे परल । संघीय वित्तीय प्रणाली सुदृढीकरणः स्पष्ट कार्यविभाजन, स्रोतके समुचित बाँडफाँड ओ वित्तीय अनुशासन अनिवार्य हुई परठ । नेपालके अर्थतन्त्र चुनौतीके चक्रमे फसल अवस्था हो । यिहीसे निकरना ठोस नीति, कार्यान्वयन क्षमताके सुधार, ओ समग्र आर्थिक संरचनामे पुनर्संरचना आवश्यक बा । बाह्य निर्भरता घटैटी उत्पादनशीलता ओ संस्थागत क्षमता विकासमे केन्द्रित हुके केल अर्थतन्त्रहे पुनः लयमे ल्याने सेक्जाई ।

(लेखक अर्थ सवाल साप्ताहिकके सम्पादक तथा नेपाल पत्रकार महासंघ काठमाडौं शाखाके सचिव हुइट ।)

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