हिरगर साहित्यिक बगालके पाँचौ वार्षिक साधारण सभा निम्जल

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ७ भदौ । हिरगर साहित्यिक बगालके पाँचौ वार्षिक साधारण सभा शनिच्चरके रोज धनगढीमे निम्जल बा ।
हिरगर साहित्यिक बगालके अध्यक्ष हिरालाल सत्गौवाके अध्यक्षतामे हुइल पाँचौ वार्षिक साधारण सभाके उदघाटन सत्र सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारके भुमि व्यवस्था कृषि तथा सहकारी मन्त्री विरबहादुर थापाके वरका पहुनामे हुइल रहे ।
उदघाटन सत्रमे सम्बोधन करटी उहाँ समाजमे रहल कुरुति हटाइक लाग साहित्य मार्फत जनचेतना फैलैना आग्रह करलै ।

धनगढीमे थारु साहित्य सबसे ढेर फडको मारल कहटी संस्थागत कैना जरुरी रहल उहाँ बटैलै । पहिले आधुनिक जमाना नैरहे पुर्खा जस्टे सिखैले रहिट उहे अनुसार पाछे पिढी अनुशरण करटी आइलमे अब्बे मोवाइल डिजिटलके जमाना आइल ओरसे यूवा झन आधुनिकता ओर गैल मन्त्री थापा बटैलै ।
युवा पुस्ता लागु औषधमे फस्टी रहल ओरसे साहित्य ओर रुची बह्राइल सेक्लेसे उहीहे न्यूनिकरण करेसेक्ना उहाँ बटैलै । प्रदेश सरकार थारु समुदायके भल्मन्सा प्रथाहे कानूनी मान्यता डेहुवाइक लाग सदनमे विद्येयक दर्ता करल कहटी हाली पास हुइना उहाँ बटैलै । मन्त्री अपने थारु समुदायके रिति संस्कृतिसे चिरपरिचित रहल कहटी भल्मन्सा प्रथाहे कानूनी मन्यता डेहुवाइक लाग सुरुमे सदनमे आवाज उठैटी आइल बटैलै । थारु समुदाय कृषि पेशाओर ढेर जोरसे रासायानिक मलसेफे आग्र्यनिक मलके प्रयोगमे ध्यान डेना बटैलै । रासायनिक मल ओ विषादीके प्रयोगसे मानव स्वास्थ्यमे गम्भीर समस्या पैदा हुइटी रहल मन्त्री थापा बटैलै ।

फेकोफन सुदूरपश्चिम प्रदेश अध्यक्ष झुमा चौधरी आधुनिकरणके नाउँमे थारु समुदायके परम्परागत संस्कृति ओझेलमे परटी गैल बटैली । थारु समुदायके सस्कृति जोगाइक लाग पुस्तान्तरण कैना जरुरी रहल उहाँ बटैली ।
थारु समुदायके मिलजुलके रना ओ जटरा कम खैना चिज रहलेसेफे बाँटके खैना चलन अभिन कायम रहल उहाँ बटैली ।
थारु समुदाय प्राकृतिक पुजारी रहल कहटी रुखुवा बरिख्वा पुज्ना, आगी पानीके समेट पु्जा कैना पुरानेसे चलन रहल बटैली ।
थारु अगुवा तथा बाटचित घरके किसनुवा माधव थारु नेपालमे सक्कु चिज ओरागिल कना भावनाके विकास हुइटी रहल कहटी उ मानसिकता हटैना जरुरी रहल बटैलै ।
हिरगर साहित्यिक बगालके सल्लाहकार चन्द्रसिह चौधरी थारु समुदायके प्रत्येक मनैनठेन कला, संस्कृति बा । ओकर लाग खोज नीति कैना जरुरी रहल बटैलै । हमार समाज रिति मनैना नाउँमे बाहेर जैटी रहल ओरसे साहित्य मार्फत न्यूनिकरण कैना उहाँ बटैलै ।
बाटचित घरके बरघर तथा थारु बुृद्धिजीवि ठाकुर प्रसाद करिया प्रधान थारु समुदायके भाषा, कला, संस्कृति जर्गेना कैना साहित्यके भारी योगदान रहल बटैलै । थारु भाषाहे सरकारी कार्यालयम काम काजी बनैनाके साथे आब शैक्षिक पाठयक्रमसे जोरना जरुरी रहल बटैलै ।

थारु समुदायसे पहिले लगैना सौठयारी, करङगी लगायत धानके जर्गेना ओ खोजनीति कैना उहाँ आग्रह करलै ।
कार्यक्रममे अधिवक्ता विरेन्द्र चौधरी ओ प्रभु महालक्ष्मी लाइफ इन्स्योरेन्सके क्षेत्रीय प्रमुख पदम राना लगायत मन्तव्य राखल रहिट ।
कार्यक्रममे बगालके अध्यक्ष हिरालाल सत्गौवा थारु भाषा ओ साहित्यके संरक्षण ओ प्रवद्र्धन कैना, पुस्तासे चलल मौलिक संस्कार ओ परम्पराहे सही ढंगसे दस्तावेजीकरण कैना, थारु भाषाहे मानक भाषाके स्थापना कैनामे जोर डेना, स्थानीय तहमे प्राविमे स्थानीय भाषाके पाठयपुस्तक लागु कैना, मातृ भाषामे पाठयक्रमके विकास कैना, समाजमे रहल विद्यामान हानिकारक पम्पपराहे चुनौती डेना, नयाँ पुस्ताहे सिर्जनात्मक ओ सकारात्मक डगरमे लैजैनालगायतमे आघे बह्रना अध्यक्ष बटैलै ।
बगालके उदघाटनके संचालन संस्थाके सचिव सागर कुश्मी करल रहिट । कार्यक्रममे संस्थाहे योगदान पुगुइया ओ आजिवन सदस्यहुकनहे सम्मान कैगिल बा ।
पाँचौ साधारण सभासे फेरसे हिरालाल चौधरीक अध्यक्षतामे लौवा कार्य समिति गठन हुइल बा । जेकर उपाध्यक्षमे गंगाराम डँगौरा, सचिवमे सागर कुश्मी, सहसचिवमे रामु कुश्मी, कोषाध्यक्षमे सृजना चौधरी रहल बटै ।
ओस्टेक सदस्यमे लाहुराम चौधरी, सुनिता चौधरी, सुमित चौधरी, टेक बहादुर चौधरी, विक्रम चौधरी ओ रामबहादुर चौधरी रहल बटै । कार्यसमितिके अवधि २०८२– ०८४ सम रही ।
