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बेमौसमी बर्खा नैरुक्के किसानन समस्या

पहुरा | २२ आश्विन २०८२, बुधबार
बेमौसमी बर्खा नैरुक्के किसानन समस्या

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २२ कुवाँर ।
बेमौसमी बर्खा नैरुकलपाछे किसानहुकनहे पाकल धान भित्रैना समस्या हुइल बा ।

आगमन लागल धान पाक्के तयार हुइल ओ किसानहुक्रे डसिया लग्टे भित्रैना तयारी करल मने अभिनफे बेमौसमी बर्खा नैरुकलपाछे किसानहुकनहे समस्या आइल हो । गैल शुक ओ शनिच्चरके रोज बरसल पानीसे देशके पुरुव ओर भारी क्षति पुगैले रहे, कलेसे सुदूरपश्चिममे आइल हावापानीसे किसानहुकनहे पाकल धान पराइल रहे ।

यी सालके मनसुन सुदूरपश्चिम प्रदेशसे सोम्मारसे गैल मौसमविदहुक्रे बटैले बटै । मने पश्चिमी वायुके प्रभाव कायमे हुके सोम्मार रातसे बरसल पानीसे किसानहुकनहे झन समस्या आइल बा ।

बेमौसमी बर्खा नैरुकलपाछे पाकल धान भित्रैना समस्या हुइल कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ५ के किसान विरकुमार चौधरी बटैलै । उहाँ कहलै, डसिया लग्टे पाकल धान कटना तयारी करले रही । काटल ठोरठार धान थ्रेसिङ करे नैपैली सोम्मार रात आइल पानीसे भिजैले बा । खेतुवामे सक्कु धान पाके तयार हुइल बा । मने बर्खा नैभागल कारण भित्रैना समस्या हुइल बा ।

पानी आके खेटुवा हिलाम्य हुइल बा, उहाँ कहलै, ‘तत्काल रिप्फरसे कटना सम्भवना नैहो, अभिनफे पानी बरसटी बा, तुरुन्त नैकटलेसे सुटल ओ चवाइल धानहे असर परी, हातले कटलेसेफे खेतुवामे पानी जमल बा । यकर लाग कुछ दिन रोके पर्ना अवस्था बा ।

धनगढीके किसान वीरबहादुर राना कहलै, “दुई अँठ्वारसआघे नै भित्र्याइना समय होसेकल धानबाली खेट्वामे पाकके झुलसेकल बा, मौसमके भर नैहोके काटे नैपाइल हुइटी । कतिपय गाउँमे काटके सुख्वइटी रहल धान वर्षासे भिजके क्षति करले बा ।”
दसैँपाछे डेवारी मनैना तयारीमे रहल किसानहे खेट्वामे पाकके पहेँलपुर हुइल धानबालीहे आकाशमे बड्री लग्ना करल ओरसे कौन बेला कट्ना कना चिन्तासे सटाइल हो ।

मनसुनी वर्षासे तीन दिन आघेसम देशके मध्य तथा पूर्वी क्षेत्रमे धनजनके ढेर क्षति पुगाइबर सुदूरपश्चिम प्रदेशमे भर सामान्य मौसम रहे । सोम्मार रात कैलालीसहितके जिल्लामे वर्षा होके किसानमे थप चिन्ता बह्रल बा ।

वर्षा करैना मनसुन निष्क्रिय हुइलेसे फेन स्थानीय वायुके प्रभाव यथावत्र रहेबर सुदूरपश्चिमके कुछ क्षेत्रमे वर्षा हुइ सेक्ना पूर्वानुमान जल तथा मौसम विज्ञान विभागके अत्तरियास्थित महाकाली बेसिन फिल्ड कार्यालयके बा ।

‘फूलपातीके दिन काटके खेट्वामे सुखाइक लाग छोरल बाली रातके परल पानीसे भिजाके क्षति पुगल बा,’ औरे किसान लक्ष्मण चौधरी कहहलै, ‘आकाशमे बड्री लग्ना क्रम रुकल नैहो, इहीसे पाकल धान काटे नैपाके समस्या हुइल बा ।’

पाछेक कुछ बरससे धानबाली भित्र्याना समयमे हुइना वर्षाके कारण काटके खेट्वामे सुखाइक लाग काटल धान बालीमे क्षति पुग्ना करल बा । किसान मानबहादुर चौधरी कहलै, “कुछ क्षेत्रमे रोगकिराके समस्या डेखगैलेसे फेन अधिकांश जग्गामे यी बेर धान मजा उत्पादन हुइना डेखल बा । पाकल धान काटी कलेसे भिज्ना डर बा, नैकाटी कलेसे खेट्वामे बिग्रना त्रासमे बटी ।”

उहाँहुकनके जस्टे और किसानफे डसिया मनासेक्टी पाकल धान भित्रैना तम्तयार रहिट मने पश्चिमी वायुके प्रभावसे सुदूरपश्चिमफे पानी बरसटी रहल कारण समस्या हुइल बा ।

प्राकृतिक विपद्के घटनासे ढेर जनधनके क्षति व्यहोर्ना मुलुकके सूचीमे नेपालफे परठ । वैज्ञानिक ढंगसे मौसम पूर्वानुमानके लाग यथेष्ट ओ आधुनिक उपकरण जडान हुई नैसेकल नेपालमे पूर्वसूचना प्रणालीके विकास ओ विस्तारफे प्रभावकारी ढंगसे हुई नैसेकल हो । जिहीसे मुलुकसे बर्सेनि भारी जनधनके क्षति व्यहोरटी आइल बा ।

गैल शुक ओ शनिच्चर परल अविरल वर्षासे एकचो फेर यिहे बाटके चरितार्थ करले बा । मुलुकके सक्कु क्षेत्रमे प्रभावकारी ढंगसे पूर्वसूचना प्रवाह हुई नैसेक्के जलवायुजन्य विपद्से हुइना क्षति कम करे नैसेकल विज्ञहुक्रे विश्लेषण करले बटै ।

जलवायु तथा विपद् विज्ञ डा. धर्मराज उप्रेतीसे जल तथा मौसम विज्ञान विभागके पूर्वसूचना प्रणाली थप बल्गर ओ व्यवस्थित बनैना राज्यसे लगानी करेपर्ना आवश्यकता रहल बटैलै । उहाँ पूर्वसूचना प्रणाली बल्गर नैहुइल कारण मुलुकसे ढेर मात्रामे आर्थिक ओ गैर आर्थिक क्षति व्यहोरे परल बटैलै ।

मनसुन बाहिरलेसेफे पश्चिमी वायुके प्रभाव कायमे रहल उल्लेख करटी उहाँ कौनोफे बेला विपद्जन्य प्रकोपके सम्भावना रहल बटैलै । मने चालु वर्ष ओसिन सम्भावना नैरहल उहाँक कहाई बा । उप्रेती बुधसे नेपालसे मनसुन बाहिरना उल्लेख करटी ओकरपाछे धानबाली भित्रैना कौनोफे बाधा नैपर्नाफे बटैलै । उहाँ भर्खरके अविरल वर्षासंगे आइल बाढ ओ पहिरोसे हुइल हानी नोक्सानीके तथ्याङ्क सङ्कलन प्रभावकारी ढंगसे हुईपर्नामे जोड डेलै ।

बुधसे मनसुन बाहेरना ओ तत्काल पश्चिमी वायुके समेत प्रभाव नैरहल ओरसे तत्काल भारी पानी पर्ना सम्भावना समेत नैरहल उहाँक कहाई बा ।

संयुक्त राष्ट्रसंघीय जलवायु सम्मेलनसे जलवायु परिवर्तनसे प्रत्यक्ष असर परल मुलुकके लाग हानि–नोक्सानी कोष सञ्चालनमे ल्यानल बा । यी कोष विकसित देशसे जलवायु परिवर्तनके कारण सृजित क्षतिपूर्तिके रूपमे विकासोन्मुख ओ अति जोखिममे रहल मुलुकहुकनके सहयोग कैना उद्देश्यसे स्थापना करल हो । जलवायुजन्य विपद्के कारण हुइना हानि नोक्सानीमे विकासोन्मुख मुलुकसे यी कोषसे क्षतिपूर्ति पैना करठ ।

यी कोषके व्यवस्थाअनुसार कौनोफे देशसे क्षतिपूर्ति पाइक लाग जलवायुजन्य विपद्से हुइल हानि–नोक्सानीके प्रमाणित तथ्यांक, डेटा प्रणाली, तथा राष्ट्रियस्तरके दस्तावेजीकरण तयार करेपरठ । ठोस ओ प्रमाणिक तथ्यांक नैहुके नेपालसे उ कोषसे लाभ लेहे सेक्ना अवस्था नैरहल उप्रेतीके कहाई बा । उहाँ नेपालमे विपद् सम्बन्धी तथ्यांक मुख्यतया आर्थिक क्षतिके विवरणमे केल्ह सीमित रहल कारण कौनो मेरिक क्षतिपूर्ति परे नैसेकल बटैलै ।

नेपालसे विपद्के हानि सङ्कलन करेबेर भौतिक ओ आर्थिक तथ्यांक केल्ह संकलन कैना मने गैर आर्थिक क्षतिके दस्तावेजिकरण करे नैसेक्के यैसिन समस्या हुइना करल बटैलै । उहाँक अन्तर्राष्ट्रिय सहयोगमे पहुँच बह्रैना आर्थिक ओ गैर आर्थिक हानि नोक्सानीके तथ्यांक प्रभावकारी रूपमे संकलन करेपर्नामे जोड डेलै ।

मने भर्खरके जलवायुजन्य विपद्मे एकद्वार सूचना प्रणालीके प्रभावकारी प्रयोगसे सूचनाके प्रवाह सहज बनल ओ थप क्षति रोक्न मद्दत करल उहाँक कहाई बा । उहाँ गृह मन्त्रालयअन्तर्गतके राष्ट्रिय विपद् जोखिम न्यूनीकरण तथा व्यवस्थापन प्राधिकरणसे मौसम विज्ञान विभागसंगके समन्वयमे पूर्वसूचना प्रणालीहे वैज्ञानिक आधारमे सञ्चालन करल कारण थप क्षति हुई नैपाइल बटैलै । उहाँ विपद्के पूर्वानुमान, सम्भावित क्षति मूल्यांकन ओ जोखिम सञ्चारमे जोड डेहल तथा समयमे सवारी साधनके आवागमन रोक्के भारी क्षति हुई नैपाइल बटैलै ।

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