आस्था, विश्वास ओ अन्धविश्वास
सुशील चौधरी
मनै सामाजिक प्राणी हुइटै कना कहाई आम रुपमे स्थापित विचार हो । मनै साँस्कृतिक प्राणी हो कना सवालमे ओत्रा ढेर हेक्का रहल नाइ विल्गाइठ । मनै साँस्कृतिक रहल ओरसे सामाजिक रहठै कहेबेर झन जटिलता ठपजाई । मने, वास्तवमे मनै जन्मना वा जन्मनासे पहिले गर्भावस्थामे ढेर साँस्कृतिक परिवेशके सामना करटी आइल बा । बच्चा जन्मनासे पहिले ओ पाछे जौन साँस्कृतिक परिवेशमे गुज्रठ, उ व्यक्तिके व्यक्तित्व विकासमे महत्वपूर्ण भूमिका रहठ । परिवेश व्यक्तिके लाग ज्ञानके आधार रहठ । बालकके रुपमे रहेंबेर डाईसे प्रयोग कैना खाना, नाना ओ छाना सक्कु चिजसे बालकके शारीरिक, मानसिक ओ संवेगात्मक विकासमे अहंम भूमिका खेलठ ।
आस्था, विश्वास ओ अन्धविश्वासफे व्यक्ति अपनहे विकास ओर करटी जाई प्राप्त करल ज्ञान ओ अनुभवके आधारमे बनाइल धारणाहुकनके स्वरुप हो । पदार्थसे चेतनाके विकास कैना हुइल ओरसे जीवनके पेरिफेरीमे प्राप्त सूचना ओ जानकारीके आधारमे व्यक्तिसे अपनहे विकास करठ । आस्था विश्वाससे उहे रुपमे मानसपटलमे घर करटी जाइठ । उहे मुताविता सोच ओ जीवन दृष्टिकोण बनाई सुरु करठ ।
मानव सभ्यताके विकासके इतिहासहे नियालेबेर यी बात मजासे हेर्ना ओ महसुस करे सेक्जाई । जस्टे पहिले पृथ्वी चेप्ढ्यार बा, सूर्य पृथ्वीके परिक्रमा करठ कना विश्वास ओ मान्यता रहेबेर सम मनैनके सोच ओ दृष्टिकोण फरक मेरिक रहे । जब, पृथ्वीसे सूर्यके भू–उपग्रह हो, यकर आकार गुल्यार बा कना तथ्य बैज्ञानिकहुक्रे सिद्ध करलपाछे अवके दिनमे वैज्ञानिक दृष्टिकोण स्थापित रहल बा ।
आस्था विश्वासके बल्गर प्रतिरुप हो । जस्टे, धार्मिक आस्था, वैचारिक आस्था, साँस्कृृतिक आस्था सक्कु विश्वासहुक्रे मनै उ प्राप्त करल सूचना ओ जाकारी, अध्ययन, चिन्तन मनन् करके बनाइल रहे । जव व्यक्ति कौनो विषय वा सवालमे ज्ञान प्राप्त करठ, चिन्तनमनन करठ, ओ धारणा बनाइठ । सक्कु सूचना ओ जानकारी तथा तथ्य सत्य नाइ सेक्ठै, टबमारे सक्कु अवधारणा वा दृष्टिकोण सही ओ सामय सापेक्ष हुई सेक्ठै । द्धन्द्धात्मक भौतिकवादी दृष्टिकोणके आधारमे प्राप्त तथ्य ओ विश्लेषणसे केल सत्यके लग्गे पुगाई सेकठ । भ्रमपूर्ण सूचना ओ तथ्यहुकनहे आधारमे बनाइल धारणासे गलत विश्वास वा निष्कर्ष स्थापित करठ, उहे त्रुटीपूर्ण विश्वासहे अन्धविश्वास कहठै ।
अन्धविश्वास संस्कृति नइहुके कुरिती ओ कुसंस्कृति हो, जेकर कौनो तथ्य प्रमाण नाइ रहठ । ऐसिन कार्यहे प्रोत्साहन कैना बढावा डेना सामन्ती समाजके हिमायतीहुक्रे नुकके वा खुल्ला रुपमे बढावा डेठै । समाजमे साँस्कृतिक मान्यताके रुपमे स्थापित करके भ्रमके खेती करटी अपन शासन ओ हैकम जमैठै ।
अन्धविश्वाससे बैज्ञानिक तथ्यहे वेवास्ता करठै, संयोग वा ओस्टे अस्पष्ट परिवेशके कारण विल्गैना उपरी संरचनामे विल्गैना परिवर्तन वा परिघटनाहे आधार बनाइठ । उ कारण सत्य तथ्यसे बाहेर जाके धारणा बनाजाइठ, कौनो सोधखोज, अध्ययन ओ अनुसन्धान नाइ करके सहजे जौन आस्था, विश्वास ओ दृष्टिकोणहे स्वीकार करजाइठ कलेसे उहे अन्धविश्वास हो । अपन आँखी नाइ हेरके आपन ब्रम्हा चिन्तन नाइ करके लहैलहैमे विचार बनैना अन्धविश्वास हो । अन्धविश्वासी कार्यसे समाजहे समानुकुल नेंग्ना अवरोध खडा करठ । अत्राा केल नाही अन्धविश्वाससे व्यक्तिके, खोज अनुसन्धान, चिन्तनमन नाइ कैना आलोचना, समालोचना कैना सोचके अन्त्य करटी अन्धभक्तहुकनके जन्म डेहठ । अन्धभक्तहुकनके लस्करसे समाजहे अग्रगतिमे जैनासे अवरोध सृजना करठ ।
अन्धविश्वास सम्बन्धी कुछ उदाहरण ओ यिहीसे पारल असर बारेमे कुछ विश्लेषण करी । श्राद्धमे विलरीया बाध्न बात नेपाली हिन्दु समाजमे स्थापित अन्धविश्वास हो । पण्डितहुक्रे श्राद्ध करेबेर विलरीया दुध खाडेहल कारण विलरीया बाँधे लगाइल घटनापाछे श्र्राद्धमे विलरीया बाँध्न चलन स्थापित हुइल विल्गाइठ । करिया विलरीया डगर कटलेसे अशुभ हुइना विस्वासफे ओस्टे रहल अन्धविश्वासी मान्यता हो । वेलायतमे १३ नम्बरहे अशुभ मानजाइठ । १३ नम्बर वेडमे रहल विरामी अस्पतालमे मरल कारण उ अंकहे अशुभ मनजाइठ । आजसम १३ नम्बरहे अशुभ मानके सार्वजनिक स्थलमे प्रयोग नाइ करल पाजाइठ । छाउपडी, देउकी, झुमा, बोक्सी प्रथा जैसिन प्रथा अन्धविश्वासके ज्वलन्त उदाहरण हुइट ।
लौकिक जगत, पृथ्वी ओ प्रकृति सक्कु अलौकिक शक्ति (भगवान, इश्वर)से सृष्टि करल हुइट, समग्र ब्रम्हाण्ड अबोधगम्य बा, कना विचार ओ आस्था ओ विश्वास हुई सेकी, मने यी सक्कु प्रश्नके उत्तर भौतिक विज्ञानसे डेसेकल बा । कुहिहे सूर्य, चन्द्र ओ अन्य ग्रहहे देवताके रुपमे मानल विश्वास बा, ओकर उपासना, वा पूजा नाइ कैना छुट बा । उ व्यक्तिगत आस्था ओ विश्वासके बात हो । मने उहे बातहे वैज्ञानिक कहे टे नाई सेक्जाई । कोई भुटुवा ओ बोक्सीनिया रहठ कहठै कलेसे उ व्यक्तिके व्यक्तिगत विश्वासके बात रहल । मने उहे विश्वासके आधारमे कौनो व्यक्तिहे भुटुवा वा बोक्सीनीया बनाके वा टिकाके हिंसा कैना कहुीहे छुट नाइ हो ।
व्यक्तिहे आपन आत्मिक ओ आध्यात्मिक आस्था ओ विश्वासके साथ बाँच्न हक बा , मने कुहीहे बाध्य पर्ना हक नाइ हो । नेपाली समाज अभिनफे पितृसत्तात्मक प्रभत्वमे अडल बा । यकर विरुद्ध निरन्तर चेतनशील विद्रोह हुइटी रहल बा । मने फे शदियौंसे धर्मान्ध पाखण्डीहुक्रे स्थापित करल गलत मान्यता एक दिन वा एक घरीमे चुट्की बजाके ओराइना बात नाइ हो । यकर लाग संगठित हस्तक्षेपके जरुरी बा ।
हरेक व्यक्ति आपन आस्था ओ विश्वासहे समयानुकुल ओ प्रगतिशील बनैना समय चेतके विकास कैना आवश्यक बा । कुहीहेसे कहल, सुनल वा मानल आधारमे कौनो बातहे विश्वास कैना ओ ओहे अनुसार धारणा ओ व्यवहार करे परठ । सीमित तथ्य ओ जानकारीके आधारमे बनल आस्था ओ विश्वासहे वैज्ञानिक अध्ययन अनुसन्धान करके तथ्यसे स्थाापित करे परठ । पदार्थसे चेतना निर्माण कैना भौतिक सत्यहे आत्मसाथ करटी दुरुह ओ अबोधगम्य मानल सहस्यहुकनके पर्दाफास कैना ओर आजके नयाँ पुस्तासे नेतृत्व लेना आवश्यक बा । मानव सभ्यताके विकासके नम्मा तथा वक्र रेखा कोरटी रहेबेर मानव समुदायसे प्राप्त करल तथ्य, सत्य, आस्था, विश्वासहे समानुकुल वैज्ञानिक रुपमे प्रमाणित करटी मानवता ओ न्याययुक्त बनाइक लाग पर्नाके विकल्प नाइ हो ।