थारु राष्ट्रिय दैनिक
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‘ थरुहटलगायत टमान संगठन बुझाइल मुख्यमन्त्रीहे ज्ञापनपत्र ’

सहअस्तित्व बिना राज्य चले नैसेकीः मुख्यमन्त्री भट्ट

पहुरा | २६ श्रावण २०७७, सोमबार
सहअस्तित्व बिना राज्य चले नैसेकीः मुख्यमन्त्री भट्ट

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २६ सावन ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके मुख्यमन्त्री त्रिलोचन भट्ट सहअस्तित्व ओ सक्कुहुनके अस्तित्वसे राज्य चल्टी रहल बटैलै ।

अँट्वारके रोज थरुहट/थारुवान राष्ट्रिय मोर्चा कैलाली, नेपाल आदिवासी जनजाति महासंघ प्रदेश समन्वय परिषद्, खसान राष्ट्रिय संघर्ष समिति, उत्पीडित समन्वय मञ्च कैलाली ओ मिसन अम्बेडकरसे बुझाइल १४ बुँदे माग सहिटके ज्ञापन बुझटी उहाँ सहअस्तित्व ओ सक्कुहुनके अस्तित्वसहित राज्य चलल बटैलै । ज्ञापनपत्रमे उल्लेख हुइल माग जयाज रहल कहटी अपन क्षेत्रधिकार पर्ना मागके लाग पहल कैना मुख्यमन्त्री भट्ट बटैलै ।

मुख्यमन्त्री भट्टहे बुझगिल ज्ञापनपत्रमे शान्तिपूर्ण थरुहट आन्दोलनके क्रममे टीकापुर घटना पश्चात षडयन्त्रपूर्वक टमान अभियोगमे झुठ्ठा मुद्दा लगाके फसाइल थरुहट राजबन्दी कैलाली क्षेत्र नं. १ से निर्वाचित प्रतिनिधि सभा सदस्य माननीय रेशमलाल चौधरी, वीरबहादुर चौधरी, हरिनारायण चौधरी, बृजमोहन चौधरी, राजेश चौधरी, प्रदीप चौधरी, श्रवन चौधरी, गंगाराम चौधरी, राजकुमार कठरिया, सुन्दरलाल कठरिया ओ सन्तकुमार चौधरी लगायत थरुहट आन्दोलनकारी उप्पर लगाइल सक्कु झुठ्ठा मुद्दाहे सरकारसे राजनीतिक घटनाके रुपमे लेटी राजनीतिक सम्बाद, सहमति ओ निर्णयके आधारमे मुद्दा फिर्ता खारेजी तथा आम माफी करके राजबन्दीहुकनहे निसर्त निराई करे पर्ना कहल बा ।

टीकपुर घटना पश्चात २०७२ भदौं ८ गते कफर््यू लागल समयमे थारुहुकनके घर, पसल तथा व्यवसायिक केन्द्रमे करल लुटपात, डाँका, चोरी कैना तथा संलग्न अपराधीहुकनहे तुरुन्त पक्राउ करके कानून बमोजिम कडासे कडा कारवाही करे पर्ना माग करल बा ।

टीकापुर घटना बारे सत्य तथ्य छानविन करेक लाग तत्कालिन नेपाल सरकारसे पूर्व न्यायधिस गिरिशचन्द्र लाल नेतृत्वके न्यायिक समिति, गृहमन्त्रालयसे अनुसन्धानके पूर्व प्रमुख देविराम शर्माके संयोजकत्वमे गठित छानविन समितिके प्रतिवेदन ओ सर्वदलिय समितिके प्रतिवेदन तुरुन्त सार्वजनिक करे पर्ना विज्ञप्तिमे उल्लेख बा ।

राज्यके पुनःसंरचना पहिचानके ५ ओ सामथ्र्यके ४ आधारमे हुई पर्नामे एकल जातीय वर्चस्व कायम कैना करके निर्माण करल सात प्रदेशके सीमांकन नामांकन स्वीकार्य नइहुइना तसर्थ संविधान संशोधन मार्फत सरकारसे अन्तरिम संविधानके धारा १३८ बमोजिम गठन करल उच्च स्तरीय राज्य पुनरसंरचना आयोगके सिफारिस अनुरुप आत्मनिर्णयके अधिकार ओ पहिचान सहितके १०+१ प्रदेश थरुहट, निम्बुवान, खम्बुवान, शेर्पा, तमांगसालिन, नेवा, मगरात, खसान, मधेश गैर भौगोलिक, दलित शिल्पी कायम करके नामांकन तथा सिमांकन करे पर्ना ओ कम संख्यामे रहल आदिवासी जनजातिहुकनके पहिचान ओ अधिकार सुनिश्चतताके लाग स्वायत्त संरक्षित ओ विशेष क्षेत्रके निर्धारण हुई पर्ना माग करल बा ।

नेपाल सरकार ओ नेपाल आदिवासी जनजाति विच मिति २०६४ सावन २२ गते हुइल २० बुँदे ओ ०६९ जेठ ९ करल ९ बुँदे, थरुहट आन्दोलनसंग ०६५ चैत १ गते हुइल ६ बुँदे ओ ०६९ जेठ १० गते हुइल १० बुँदे सम्झौता एवम् १४ बुँदे माग तथा पहिचान जनित आन्दोलनसंग करल सहमति ओ २०६४ फागुन १८ गते लिम्बुवानसंग हुइल ५ बुँदे सहमति सम्झौता मन्से सम्बोधन हुइना बाँकी रहल मुद्दा यथासिघ्र तद बमोजिम सम्बोधनार्थ कार्यन्वयन करे पर्ना, ओस्टेक करके निम्बुवान, खम्बुवान, शेर्पा, तामसालिन, नेवा, मगरात, खसान, मधेश मुस्लिम, दलित शिल्पी लगायत आदिवासीहुकनसे बार–बारके आन्दोलन पश्चात टमान आदिवासी समूह तथा घटकसंग हुइल सम्झौता तथा सहमति तत्काल कार्यन्वयन करे पर्ना माग करल बा ।

काठमाडौं उपत्यका लगायत टमान आदिवासीहुकनके भूमिमा विकासके नाउमे सञ्चालित विनास परियोजनासे आदिवासीहुकनके मानव अधिकारके व्यापक हनन् करके ओइनके परम्परागत थातथलो तथा भूमि अतिक्रमण कैना राज्यके हर्कतप्रति हम्रे घोर विरोध करल विज्ञप्तिमे कहल बा ।

नेवा आदिवासी लगायतके गुठीके ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासतहे स्वीकारके गुठि आन्दोलनसे आघे सारल ओ स्थापित करल मुद्दाहे समेटके गुठी ऐन बनाई पर्ना, राज्यके मुलधारसे बहिस्करणमे पारल तथा सिमान्तकृत जाति वर्गलिंग क्षेत्रहे राज्यके मुल प्रवाहमे नानेक लाग राज्यके हरेक अंगके प्रत्येक तह ओ तप्कामे जातस्य जनसंख्याके आधारमे पूर्ण सामानुपातिक प्रतिनिधित्वके संबैधानिक सुनिश्चितता हुई पर्ना माग करल बा ।

छिमेकी मित्र राष्ट्रसंगके सीमा विवाद उच्च स्तरीय कुटनीतिक सम्बादसे विवाद समाधान करे पर्ना, खसहुकनके आदिवासीमे सूचीकृत हुइना स्पष्ट आधार रहटी रहटीफे सूचीकृत नइकरल ओरसे खसहुकनहेफे आदिवासीमे सूचीकृत करके खसहुकनके मष्टा पुजनहे राष्ट्रिय पर्वके रुपमे लेके सार्वजनिक विदा डेहे पर्ना माग कैगिल बा ।

खस ओ आर्यके कलस्टर अलग करे पर्ना, जात व्यवस्थाके अन्त्य कैना छुवाछुट ओ जातीय विभेद कैना अपराधीहे आजिवन काराबास कैना कानून शंसोधन करे पर्ना, पुर्ण समानुपातिक सिद्धान्तहे दु्रतमार्गसंग जोरके सामाजिक बहिस्करणमे पारल तथा राजनीतिक पहुचमे नइपुगल जाति समुदाय वर्गहे शासन प्रशासनमे पुगाई पर्ना माग करल बा ।

दलित समुदायहे सामाजिक अन्तरघूलन सामाजिक पुनःस्थापना ओ सामाजिक समायोजन कैना स्पष्ट नीति तथा कार्यक्रम लागु करे पर्ना ओ ७७ जिल्ला प्रशासनमे दलित सेलके व्यवस्था करे पर्ना माग करल बा ।

छुवाछुट ओ विभेदके कारण प्राणके आहुटी डेना सक्कुहुनहे सांस्कृति सहिद घोषणा ओ पीडित परिवारहे उचित क्षतिपूर्ति डेहे पर्ना माग करल बा ।

थरुहट थारुवान राष्ट्रिय मोर्चा कैलालीके संयोजक माधव चौधरी, नेपाल आदिवासी जनजाति महासंघ ७ नम्बर प्रदेश समन्वय परिषद्के संयोजक दलबहादुर घर्तीमगर, खसान राष्ट्रिय संघर्ष समितिके केन्द्रीय सदस्य दर्शनबहादुर खड्का, उत्पीडित समन्वय मञ्च कैलालीके संयोजक डिवि सुनार ओ मिसन अम्बेडकरके संयोजक मनोज जयगडीसे हस्ताक्षरित ज्ञापनपत्रमे भदौं २ गते मानव अधिकार तथा नागरिक अगुवाहसंग धनगढीमे बृहट अन्तरक्रिया कैना, भदौं ७ गते टीकापुर थरुहट विद्रोहहे स्मरण करटी काठमाडौ केन्द्रीत हुइटी देश व्यापी विरोध सभा कैना, भदौं ८ गते टीकापुरमे हुइल थारुहुकनके घर, पसल, व्यवसायीक केन्द्र, सञ्चारगृहमे हुइल आगजनी, तोडफोड, लुटपात, एवम् गृह प्रसाशनके विरुद्ध करिया दिनके रुपमे देश व्यापी विरोध प्रर्दशन कैना, कुवाँर ३ गते नेपालके संविधानके विभेदकारी धारा काठमाडौं सहित देश व्यापीरुपमे जरैना, माग मुद्दा पुरा नइहुइटसम डशिया डेवारी, छठपाछे सशक्तरुपमे निर्णयक आन्दोलन कैना कहल बा ।

नेपाली जनताहुकनसे करल २०६२/०६३ के आन्दोलन दश वर्षे सशस्त्र जनयुद्ध आदिवासी जनजाति आन्दोलन थरुहट, लिम्बुवान, खम्बुवान, मगरात, तामसालि·, तमुवान, शेर्पा, दलित, सिल्पी, खस, मधेशी, मुस्लिम, महिला आदी पहिचान ओ अधिकार प्राप्तीके लाग टमान पहिचान जनित आन्दोलनके जगमे संविधान सभाके गठन हुइल ज्ञापनपत्रमे कहल बा । मने बहिष्कृत, सिमान्तकृत जनतासंग विगतमे करल सहमति सम्झौता ओ जारी आन्दोलनके मूल मर्म भावना ओ जनादेश विपरित पहिल संविधानसभा सुनियोजित ढंगसे विघटन करल कहल बा ।

पहिल संविधानसभा ओ टमान विषयगत समितिमे हुइल ८० प्रतिशत सर्वदलिय सहमति लत्यइटी दुसरा संविधान सभासे २०७२ कुवाँर ३ गते लौव संविधान जारी करलेसेफे हक अधिकार सुनिश्चित ओ रहल कानून कार्यान्वयन नहइहुइल कहल बा । विभेदकारी संविधान जारी हुइल ५ वर्ष विटे लग्लेसेफे बहिष्कृत सिमान्तकृत अल्पसंख्याक समुदायके अधिकारके सवाल अभिन सम्बोधन नइकरल कहल विज्ञप्तिमे कहल बा ।

रुकुम काण्ड शम्भुसदाय ओ अंगिरा पासी हत्याकाण्ड अजित मजिर ओ लक्ष्मी परियार हत्याकाण्ड लगायतके प्रकरण जात व्यवस्थाके उपज रहल कहटी यकर अन्त्य हुइना जरुरी पर्ना कहल बा ।

केपी ओली नेतृत्वके दुई तिहाई सरकार राष्ट्रिय गौरवके योजना, विकास निर्माण, पूर्वधार तथा जनहित कार्य करे छोरके सत्ता पद ओ कुर्सीके लोलुपतामे राजनीतिक फोहरी खेलमे गेम्लर बन्टी गैल ओरसे लोकतान्त्रिक गणतन्त्र, प्राप्त उपलब्धी गुम्न खतरा बढैटी गैल कहल बा ।

सरकारसे निर्मला हत्याकाण्ड, ३३ किलो सुनकाण्ड, होली वाइन, ह्वाइटबडि प्रकरण एनसिएल लभान्शं कर काण्ड बुढि गण्डकी, मेलम्ची ललिता निवास काण्डा, गुठी विधेयक, पतिहोल्डिग कम्पनीहे गोकर्ण रिर्सोटके जग्गा लिजकाण्ड एमसिसि सेकुरिटी प्रेस खरिदकाण्ड, रोल्पा हत्याकाण्ड, निरञ्जन कोईरलाकाण्ड आदि काण्डै काण्डके इतिहास रच्टी गैल कहल बा ।
विज्ञप्ति मार्फत कोभिड–१९ के संक्रमण नियन्त्रण स्वास्थ्य चेकजाँच उपकरण तथा उचित व्यवस्थापन कैना ओ पहिरो, बाढ पीडितहे व्यवस्थापन कैना माग समेट करल बा ।

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