थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १६ अगहन २६४८, अत्वार ]
[ वि.सं १६ मंसिर २०८१, आईतवार ]
[ 01 Dec 2024, Sunday ]
‘ कोरोना सिखाइल लावा काम ’

ल्यापटप चलैना हाठमे ‘घन’

पहुरा | ५ आश्विन २०७७, सोमबार
ल्यापटप चलैना हाठमे ‘घन’

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ५ कुवाँर ।
कोभिड १९ से सक्कु क्षेत्र चौपट पारडेले बा । उद्योग धन्दा, कलकारखाना, यातायात लगायत शिक्षण संस्था बन्द होक अधिकांश व्यक्ति आपन रोजगारी गुमैले बाटै ।

बेरोगार बनल व्यक्ति कोइ ढिरेसे रोजगारी ओर फर्के लागल बाटै कलेसे कोइ आभिन फेन घरही बैठे परल अवस्था रहल बा । मने कोइ यिहे बिचमे कोरोनासंगे संघर्ष कैटी औरे पेशा व्यवसाय तथा कामके सुरुवात फेन करसेकल बाटै ।

दिलिप चौधरी

यम्सेसे एक हुइटै दिलिप चौधरी । कैलारी गाउँपालिका वडा नं. ७ भुँइयाँफाँटा कैलाली घर रहल उहाँ अब्बे एकडमे लावा काममे हाठ डरले बाटै । कोरोनासे बेरोजगार बनल उहाँ अब्बे एक ग्रील सटर उद्योगमे काम करे लागल बाटै ।

कोरोनासे पहिले उहाँ एक शैक्षिक हबमे जागिरे रहिट । धनगढी बसपार्कमे रहल एडुपल नेपालमे विगत ४/५ बरस यहोर उहाँ जागिरे रहिट । लोकसेवा आयोग, टमान मेरिक भाषा कक्षा, बैंक वित्तियके क्लास, कम्प्युट क्लास लगायत वृज कक्षा फेन पर्हाइ हुइना वहाँ दिलिप कम्प्युटर शिक्षकके रुपमे रहिट । मने कोरोना कहरसंगे शिक्षण संस्था बन्द हुइलपाछे उहाँ बेरोजगार बने पुग्लै ।

लम्मा लकडाउनसे उहाँहे ढिरे ढिरे आर्थिक संकट फेन परे लग्लिन् । घरखर्च चलैना समस्या परल पाछे उहाँ बैठलसे बेगारी कहेहस वल्डिङके काम करे लग्लै । दिलिप अब्बे धनगढी मनेहरा स्थित न्यू बेहडा बाबा ग्रील सटर उद्योगमे कार्यरत रहल बाटै ।

‘का कैना हो घरे बैठल फेन टे नाइ रहे परल, परिवार घरखर्च चलाइक लाग टे कुछ करे परल’, उहाँ कहलै–‘बैठलसे बेगारी कहेहस आजकल वल्डिङ कैना काम सिख्टी बाटु ।’

कम्प्यूटर चलैना दिलिपके हाठमे अब्बे हठौरा, घन लगायत औजार रठिन् । ग्रील सटरके काम करटी घरी दिलीपहे झ्याल ढोका, च्यानल गेट लगायमे बनाजैना डिजाइन, फुलबुट्टा बनैना बहुट कर्रा परठिन् । मने ढिरे ढिरे काम कैटी जाके उहाँ अब्बे कुछ डिजाइन फेन बनैना सिखगैल बाटै । टौन फेन उहाँहे कम्प्युटरमे बनाजैना डिजाइनसे ग्रील सटर, चयानल गेटमे लिख्ना ओ डिजाइन बनैना ढिउर कर्रा लग्ठिन् ।

राजकुमार डंगौंरा

‘कम्प्युटरमे फोटोसपसे बनाजैना टमान मेरिक डिजाइनसे ग्रील सटरमे बनैना डिजाइन आउर कर्रा हो’, दिलिप कहलै–‘पहिले पहिले टे मै अक्षर फेन बनाइ नाइ जानु आब ढिरे ढिरे बनाइक सिख रख्ले बाटुँ ।’ दिलिप खाली समय सीप सिख्ना ओ घर खर्च चलैना उद्देश्यसे फेन यी काम ओर लागल बटैलै ।

ओस्टके एडुपलमे एकाउन्टके रुपमे कार्यरत रहल राजकुमार डंगौंरा फेन घरही लोकल मुर्गी पालन सुरु करले बाटै । अफिस बन्द हुइलपाछे घरे गैल डंगौरा खाली बैठलेसे फेन कुछ कैना उद्देश्यसे लोकल मुर्गी पालन ओर लागल हुुइट । उहाँ कम लगानीसे फेन घरही बैठके कुछ व्यवसाय करे सेकजाइठ् कहठै । बर्दगोरिया गाउँपालिका कुम्हैमे पालन करटी रहल उहाँ पहिल लटमे ५० हजारके चिंग्नी खोरमे डरले बाटै । कलेसे उ मुर्गी डश्या डेवारीमे विक्रि वितरणके लाग मुर्गी तयार हुइना जानकारी डेलै ।

कोरोनासे ढिउर जाने अब्बे रहल रोजगारी फेन गुमाके बेरोजगार बने पुगल बाटै । मने घर बैठले फेन कम लगानी अथवा जैसिन फेन परिस्थितके सामना कैटी कुछ फेन काम कैके आपन जिवन निर्वाह करे सेकजाइठ् कना उदाहरणीय पात्र बनल बाटै दिलीप ओ राजकुमार ।

यहोर कोरोना कहरसंगे बन्द हुइपुगल एडुपल उहाँ दुनु लगायत अन्य स्टाफहुक्रनहे बेतलबी बिदा डेले बावै । एडुपलके सञ्चालक टेक पन्त लकडाउन निषेधाज्ञा फोँफर हुइल संगे एडुपल कक्षा सञ्चालनके तयारीमे रहल बटैलै । अब्बे एडुपलसे अनलाइन कक्षा सञ्चालन हुइटी रहल बा ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू