पहिचान अन्सारके नागरिकता नैहुके अवसरसे बञ्चित
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १९ कार्तिक । परीक्षा कोठामे प्रवेश करेबेर होए या हाजिर लगाईबेर होए निरङ्ग चौधरीहे अनावश्यक बहसके सामाना करे परठिन ।
साविक पवेरा गाविस–३ ओ हाल कैलारी गाउँपालिका–५ निवासी निरङ्गके नेपाली नागरिकतामे ढाका टोपी लगाइल फोटु टाँसल बाटिन । यौनिक तथा लैङ्गिक अल्पसंख्यक समुदायभिटर पर्ना उहाँ नागरिकता लेहेबेर नेपाली ढाका टोपी घालल फोटु टस्लै जिहीसे नागरिकताके पहिचान लउण्डा जस्टे डेखजाइठ ।
ट्रान्सजेन्डर (विपरित लिंगी) भिटर पर्ना पुरुष हुके जलमल मने बानी बेहोरा महिला जस्टे रहना ओ अब्बेक हुकान गेटअफ (पहिरन, आनीबानी)फे महिला जस्टे रहल कारण कौनो ठाउँमे लाइन लागेबेर रहे चाहे परीक्षा हलमे प्रवेश करेबेर होए अनावश्यक बहसके सामाना कैना बाध्य बाटै ।
निरङ्ग चौधरी लोकसेवा आयोगके परीक्षा डेहल लाग पाँच फाराम भरलै, जेम्ने चार चो परीक्षामे सहभागी हुई पाके एक चो टे पहिल पेपरमे नाउँफे निकर्ना सफल हुइल रहिट ।
‘परीक्षामे सहभागी हुईबेर प्रवेश गेटसे अनावश्क बहसके सामाना करे परठ’, निरङ्ग कहलै, ‘हाजिर लगाइटसम ओ विच–विचमे प्रवेस कार्ड चेक हुईबेरफे उहे अवस्था रहल कारण निरढक्का हुके लिखे पैना टे कहाँ हो मानसिक पीडा भोगे परठ, जेकर कारण परीक्षा विगरके फेल हुइ परठ ।’ लोकसेवा आयोगमे पाँच चो फराम भरनु, चार परीक्षामे सहभागी हुईबेर एक चो लिखितसम नाउँ निकरर्ना सफल हुइल रहु मने दुसरा पेपर मानसिक पीडाके कारण विगरल उहाँ कहलै ।
लोकसेवा आयोगके केल नाही टमान संघ संस्थासे खोलल आवश्यतामेफे आवेदन भरेबेरफे उहे अवस्था आइल निरङ्ग कहठै ।
उहाँ कहलै, एलजिबिटीआइ समुदायफे यी देशके नागरिक हुइट, पहिचानके आधारमे नागरिकता नइपाइल कारण टमान अवसरसे बञ्चित हुइल बाटी, नेपालके संविधान हेरेबेर गर्व लग्ना व्यवहार हेरेबेर दिक्क लागठ ।’ एलजिबिटीआइ समुदायके लाग अलग कोटा हुइलेसे अपनेहुक्रेफे अवसर पाई सेक्ना उहाँ कहलै । निरङ्गके नागरिकतामे महिला/पुरषके ठाउँमे अन्य उल्लेख हुइल बाटिन ।
सुदूरपश्चिम समाज धनगढीके अध्यक्ष आशिका चौधरी यौनिक तथा लैंगिक अल्पसंख्यक समुदायके हक अधिकार सुनिश्चित करेक लाग नेपालके संविधान धारा १२ मे नगरिकताके हक, धारा १८ मे समानताके हक ओ धारा ४२ सामाजिक न्यायके हक अधिकार सुनिश्चित करले बा मने कार्यान्वयन पक्ष फितलो रहल बटैली । उहाँ एलजिबिटीआई समुदाय अभिनफे राज्यसे पाई पर्ना सेवासुविधासे बञ्चित रहल बटैली ।
एलजिबिटीआईहुकनहे हेर्ना दृष्टिकोण विभेदपूर्ण मूल्यमान्यता ओ उहीहे सिर्जित हानीकारक परम्परागत अभ्यासके कारण अपन शरीर, यौनिकता ओ अपन पहिचानके साथ जीवनयापन करे पैना अधिकारसे बञ्चित हुइल उहाँ बटैठी ।
ओस्टेक सरस्वती गुरुङके अब्बेक उमेर ६५ बरस पुगल बा, छोटेम डाईबाबा गुमाइल ओ परिवारके थर, ठेगाना पत्ता नइलागल कारण नेपाली नागरिकतासे बञ्चित हुइल बाटी । सरस्वती छोट्टे रहेबेर डाई विटलिन, अपन उप्पर डाडु रहिन, बाबा डइवरुवा रहिन । बाबा ओ डाडु विटलपाछे नेपालगंजके धम्बोजीमे धर्मदिदीक छात्रबास १४/१५ बरससम बैठलपाछे ब्लु डाइमण्ड सोसाइटी धनगढीमे कार्यालय सहायक जागिर पैले रहिट । नागरिक नइरहल कारण जागिरफे फे हात ढोई परल सरस्वती बटैली ।
उहाँ कहली, ‘कमाइल पैसा करिब एक डेढ लाख रुप्या नागरिकता बनुवाइक लाग दौडधुपमे ओराइल, संस्था एक थो परियोजना मार्फत चले बैंकमे खाता खोलक लाग नागरिकता मागल, नागरिकता नइरहल कारण रहल कार्यालय सहायकके जागिरफे ओराइल ।’ एलजिबिटीआइ समुदाय भिटर पर्ना उहाँ नागरिकताके बनुवाइक लाग राष्ट्रिय मानव अधिकारके मोहना अन्सारी लगायत सुदूरपश्चिम प्रदेशके टमान महिला प्रदेशसभा सदस्यहुकन भेटल मने अभिन नागरिकता पैनासे बञ्चित रहल दुःख पोख्ली ।
नेपालके संविधान २०७२ के धारा १२ मे वंशीय आधार तथा लैंगिक पहिचान सहितके नागरिकताः यी संविधान बमोजिम वंशजके आधारमे नेपालके नागरिकता प्राप्त कैना व्यक्ति निजके डाई बाबा वा बाबाक नाउँसे लैंगिक पहिचान सहितके नेपालके नागरिकताके प्रमाणपत्र पाई सेक्ना कहल बा । संविधानके धारा १८ मे समानताके हकः सक्कु नागरिक कानूनके दृष्टिमे समान रहना कहल बा । कुहीहे कानूनके समान संरक्षणसे वञ्चित नइकैना उल्लेख बा । सामान्य कानूनके प्रयोगमे उत्पत्ति, धर्म, वर्ण, जात, जाति, लिंग, शारीरिक अवस्था, अपांगता, स्वास्थ्य स्थिति, वैवाहिक स्थिति, गर्भावस्था, आर्थिक अवस्था, भाषा वा क्षेत्र, वैचारिक आस्था वा अस्टे और कौनो आधारमे भेद्भाव नइकैना कहल बा ।
उ धारामे राज्यसे नागरिकहुकनके बीच उत्पत्ति, धर्म, वर्ण, जात, जाति, लिंग, आर्थिक अवस्था, भाषा, क्षेत्र, वैचारिक आस्था वा अस्टे और कौनो आधारमे भेद्भाव नइकैना कहल बा । मने सामाजिक वा सांस्कृतिक दृष्टिसे पिछरल महिला, दलित, आदिवासी, आदिवासी जनजाति, मधेशी, थारू, मुस्लिम, उत्पीडित वर्ग, पिछडा वर्ग, अल्पसंख्यक, सीमान्तकृत, किसान, श्रमिक, युवा, बालबालिका, ज्येष्ठ नागरिक, लैंगिक तथा यौनिक अल्पसंख्यक, अपांगता रहल व्यक्ति, गर्भावस्थाके व्यक्ति, अशक्त वा असहाय, पिछरल क्षेत्र ओ आर्थिक रूपसे विपन्न खस आर्य लगायत नागरिकके संरक्षण, सशक्तीकरण वा विकासके लाग कानून बमोजिम विशेष व्यवस्था कैना रोक लगाइल मानल नइहो कहल बा ।
संविधानके धारा ४२ मे सामाजिक न्यायके हकः सामाजिक रूपसे पाछे परल महिला, दलित, आदिवासी, आदिवासी जनजाति, मधेशी, थारू, अल्पसंख्यक, अपांगता रहल व्यक्ति, सीमान्तकृत, मुस्लिम, पीछडा वर्ग, लैंगिक तथा यौनिक अल्पसंख्यक, युवा, किसान, श्रमिक, उत्पीडित वा पिछरल क्षेत्रके नागरिक तथा आर्थिकरूपसे विपन्न खस आर्यहे समावेशी सिद्धान्तके आधारमे राज्यके निकायमे सहभागिताके हक रहना उल्लेख बा ।
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