थारु राष्ट्रिय दैनिक
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‘ अन्तर्वार्ता ’

थारू आयोगहे कम प्राथमिकता डे गैल कना भ्रम हो

पहुरा | ३० माघ २०७७, शुक्रबार
थारू आयोगहे कम प्राथमिकता डे गैल कना भ्रम हो

मेरमेरिक आयोग गठन कर्ना क्रममे थारू आयोगके फे व्यवस्था हुइल बा । आयोग थारू समुदायके लाग कसिन कसिन काम कर्टि आइल बा ओ आयोगके काम कर्तब्य का हुइस् कना विषयम केन्द्रित होके थारू आयोगके अध्यक्ष विष्णुप्रसाद चौधरीसे बुनु थारू के करल बातचिटः

थारू आयोग का कैटि बा ? अब्बक् गतिविधि कुछ बटा डि ना ?

– हम्रे अध्ययन अनुसन्धानके काम कैटी बटी । थारून्के पहिचान सम्बन्धी व सशक्तिकरणके कार्यक्रमअन्तर्गत विभिन्न विषयवस्तुमे केन्द्रित रहिके अन्तरक्रिया चल्टी बा । सुरुके बरसमे टे आयोगके बारेम जानकारी करैना व सुझाव लेना हिसाबले छलफल चलागैल । पाछे सेक्टरके हिसाबले कमैया, सिकलसेल, स्थानीय जनप्रतिनिधिके बिचमे थारून्के हितमे का काम करे सेक्जाइ कना छलफल चलैली । असौँक साल भलमन्सा, बरघर, गुरुवासे छलफल कर्टी बटी । थारून्के ज्ञान, सिप ओ प्रविधिके संरक्षण कसिके करे सेक्जाइ ट कना छलफल कैटी बटी  ।
मुख्यत थर पहिचानके विषयहे प्राथमिकता डेले बटी । वास्तविक जनसंख्या थारून्के नै आइल हो । ओहेसे सबसे पहिले थारू के हो कना पहिचान कैना विषय आइल बा । इहे कारण थर सुचिकरणके काम आघे बह्रैले बाटी । थारू सम्बद्ध ऐतिहासिक साँस्कृतिक सम्पदा लोप हुइटी जाइटा । साँस्कृतिक तथा सामाजिक अन्तरघुलन जौन हिसाबले बह्रटी जाइटा थारून्के ऐतिहासिक साँस्कृतिक सम्पदा अन्तरघुलनके अवस्था हुके थारून्के हो कि नै हो कना अवस्था बा ।

थारून्के ऐतिहासिक सम्पदा हेरैटी जना खतरा बा । थारू आदिवासी हुइट, यी सक्कु चीज हेरा जाइ कलेसे आदिवासी फेन हुइट कि नाइ कना पहिचान हेरैटी जैना हो । ओहेसे यी विषयम दस्तावेजीकरण तयार कैडारे परठ कना हिसाबले ऐतिहासिक सम्पदाके अध्ययनमे लागल बाटी । गत वर्ष २ नं प्रदेशमे सम्पन्न हुइल । असौँक साल लुम्बिनी, कर्णाली, सुदूरपश्चिममे सूचीकरणके काम आघे बह्रागैल बा । साहित्य फेन हेरैटी जाइटा । पुस्ता हस्तान्तरण नैहुके हेरैटी जइना अवस्था हुइटा । यकर संरक्षण कैडेहे परठ कना हिसाबले असौँक साल लोकगीतके संकलनमे काम फेन आघे बह्रैटी बाटी ।

भर्खर गुरुवा, भलमन्सा, बरघरबीच छलफल चलैले रहि कलि । ओइनके अवस्था कसिन डेख मिलल् ?

– कुछ समस्या ट हमारे फेन बा । जस्टे कि ज्ञान सिप हस्तान्तरण कैनामा हमारिक सामाजिक मान्यता जौन बा, आउर जनहन डेहे नै हुइठ, डेलसे नैलागठ कना विचारले फेन समस्या डेख परल बा । सिखैनामे समस्या बा । हमार समाज निरन्तर परिवर्तन हुइटी जैटी बा । गुरुवा वा बरघर लगायत पेसासे व्यवसायी फेन हुइ नै सेक्ना डोसर अम्हेसे आगे बह्रक लाग चेला नैपैना । युवा पुस्ता यम्हे लागक लग तयार नै हुइना । पुरान पुस्ता ओरैटी जैना हिसाबले यी ज्ञान सिप चुनौतीपूर्ण अवस्थामे बा । यी ज्ञान सिप हमार ठेन रना कि नैरना समाजसे हेरा जैना खतरा बिल्गाइठ । यकर संरक्षणके लग व्यवसायिक ढंगसे कसिक कराइ सेक्जाइठ व पुस्ता हस्तान्तरणके हिसाबसे अपन सामाजिक मुल्य मान्यताहे आघे बेह्राइ सेक्लेसे उजागर हुइना रहे । ओहेसे छलफल चलैलक् कारण फेन गुरुवनसे यी सिप कसिक हस्तान्तरण करे सेक्जाइ टे कना मुख्य सोच हो । आउर जनहन सिखैलेसे दवाइ बुटी नैलागठ कना सोचाइ बा, यी फेन परिवर्तन हुइ पर्ना हिसाबसे छलफल चलागैल ।

पोहोर साल देउखर लमहीमे थारू पत्रकारन्के भेला फेन कैले रहे थारू आयोग । अपनेक नजरमे थारू पत्रकारके अवस्था कसिन बा ?

मिडियामे थारू पत्रकार मोटामोटी देशभर काम कैटी बटाँ । पत्रकारके कानुनी मूल्यमान्यता का हो, पत्रकारके धर्म का हो, कसिके काम आघ बह्राइ सेक्जाइ ? यी सक्कु हिसाबले छलफल चलागैल । समग्रमे थारू पत्रकारहुक्र मिडियामे टे आइल बटाँ, ठोरचे खोजीमुलक पत्रकारिता नैहुइ सकेल हो कना छलफल हुइलक हो । हम्रे भर्खर भर्खर यी पेसामा हाँठ डर्ले बटी । पत्रकारिता किल नाही आउर फेन क्षेत्रमे फेन भर्खर सुरुवात हुइटी बा । गति निरन्तर ट बा मने आउर जनहन्के तुलनामे थारू पाछे जो बटी कना डेख परठ । पत्रकारके लग क्षमता अभिवृद्धि तालिम चलाइ ट सेक्जाइठ मने हमार बजेट, जनशक्तिके कारणले अम्हे ढेर हाँठ डारे सेक्ना अवस्था नै हो । थारू समुदायके समग्र जिम्मेवारी बा मने कहाँ प्राथमिकता डेना विषयमे बजेट ओ जनशक्तिके सिमितताले समस्या बा ।

मानव अधिकार आयोग टीकापुर घटनाके बारेम अध्ययन प्रतिवेदन सार्वजनिक करल । थारू आयोग यम्हे कौनो काम नै करल जे ?

– टीकापुर घटना वास्तवमे राजनीतिक समस्या हो, राजनीतिक ढंगले समाधान करे पर्ना हो कैहके मै बोल्टी अइलक हो । तर आब अदालतमे चल्टी रलक मुद्धाके विषयम बोले सेक्ना अवस्था नै हो । यी संविधान निर्माणके क्रममे हुइलक एकठो दुःखद घटना हो । अम्हे थारू समुदायके भावना समेटना हो कलेसे राज्य इहिमे गम्भीर हुइ परठ । यी घटनाले जौन हिसाबसे अबे राजनीतिक प्रक्रिया आघे बह्रटा, थारू समुदाय सन्तुष्ट नै हो । थारू समुदायहे समेट्ना हो कलेसे राजनीतिक ढंगले यी समस्या हल करना हिसाबले राज्य जाइ परठ कना मोर मान्यता हो ।

१० वर्षे जनयुद्धमे हजारौ थारू मारा गैला । सयौ वेपत्ता हुइल बटा । थारू आयोग द्वन्द्वपीडित तथा बेपत्ता परिवार थारून्के लग कुछ कार्यक्रम आघे बह्रैना सोच्ले बा कि नाइ ?

– यी विषयमे टे हम्रे ठ्याक्क ओसिन कार्यक्रम नैबनैले हुइ । यद्यपि समग्र थारू समुदायके बारेम हेरेपर्ना जिम्मेवारी हो । मने द्वन्द्वपीडित केन्द्रित रहके अलग ढंगसे यी विषयमे हाँठ डारे सेक्लक अवस्था नै हो । ओम्हेसे प्रभावित कौनो घटना व कुछ अप्ठ्यारो अवस्था हुइल कलेसे हेर्ना बाट टे पर्ले बा । द्वन्द्वपीडितके विषयम सरकार सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोग बनैले बा, ओहोरसे फेन यी विषय हल हुइना अवस्था हो । थारूहुकनके किल नैहुके समग्र द्वन्द्वपीडितके लग यी समस्याके रूपमे पल बा, हल करे नै सेक्लक अवस्था चाहिँ हो । थारू समुदायके समग्र प्रक्रियामा मे जाइबेर कहुँ छुटटा कलेसे ओम्हे ध्यान डेहक लग सरकारहे अनुरोध ओ जागरुक करे हम्रे सेक्ठी ।

थारू समुदाय मन्से मन्त्री नैबन्ना कारण का हो ? थारू प्रतिनिधित्व का करे कम बिल्गाइठ ?

– मुख्यतः मन्त्री नै बन्ना ओम्हे टे आब यी सरकार बनउया पार्टीके नेतृत्वमे भर पर्ना विषय हो । हम्रे हेर्ना टे सक्कुओर राजनीतिक अंगमे समानुपातिक समावेशी ढंगसे आए कना हो । ढेर जसिन ट आब थारू प्रतिनिधित्व ट सरकारमे कट्रा प्रेसर व ध्यान पुगल कना हो । कभु बन्ना व कभु नैबन्ना अस्ट हुइटी आइल बा ।

थारू आयोगमे लावा सदस्य सिफारिस हुइल बटाँ । क्षेत्रगत समिकरण नै मिलल कना जनचासो बा झे ?

– उ ट जसिन सिफारिस आइल बा प्रष्ट बा । सक्कुओरसे आ डेलेसे बह्रिया हुइना रहे कना चाहना टे मोर पहिलेसे रहे । का करे कि थारू समुदायममे फे पुरुवसे पश्चिउँसम ढेर विविधता बा । आयोगमे सक्कुओरसे सदस्य अइलेसे काम कैना सहज हुइना रहे । बह्रिया टिम बनट । सक्हुनके समस्या बुझ्ना ओ सम्बोधन हुइना काम हुइ सेकट । मै आयोगमे अक्केलि रहुँ । भख्खर २ ठो सदस्य ठपल बटाँ । मैं पश्चिउँके मनै, पुरुव ओरके भाषा बुझे नै सेक्जाइट । कुछ चिज अध्ययन आघे बह्रा गैल बा मने ओहीहे फाइनल कैना समस्या हुइल रहे । जस्टे कि पुरुब क्षेत्रके सम्पदाके विषय । अब्बे मोरङके भोलाराम चौधरी सदस्य आ सेकल बाट । आब पुरुव ओरके अध्ययनके बारेम निर्णयमे पुग्ना सजिल हुइ । तर आब आइल बाट यथार्थ हो मिलाके भर सदस्य नै आइल हुइट ।

थारू आयोगके भावी योजना का का बटिस ?

– तत्कालके हिसाबले अध्ययन अनुसन्धानके काम ढेर बा । ढेर किसिमके माग बा, मने बजेट ओ जनशक्तिके सिमितता हुइलेसे सम्बोधन करे नैसेक्जाइठो । अध्ययन अनुसन्धानके काम अभिन व्यवस्थित कर्ना प्रारम्भिक काम हुइटी बा । जस्टे थर सूचीकरणके काम, सम्पदा सूचीकरण इत्यादि । थारू साहित्यमे हमार भारी भण्डार बा, लिपिबद्ध नै हो । यकर कारण लोप हुइना खतरा बा । ज्ञान सिपके विषय फे अध्ययन हुइ नै सेकल हो । थारून्के उत्पत्ति इतिहास का हो, सक्कु चिजके खोजी विश्लेषण ओ अनुसन्धानमे जाइ परठ कना सोचाइ बा । सशक्तिकरणके हिसाबले थारू समुदाय अभिन सम कृषि पेशामे निर्भर हुइना अवस्था डेख परटी बा, औरो पेसामे हाँठ डारे नैसेक्ठुइ । यकर कारण हमार जीवनस्तरमे आर्थिक अवस्थामे फेन समस्या पर्टी बा । शिक्षामे एकठो संख्यात्मक वृद्धि बिल्गाइठ, मने गुणात्मक हिसाबसे औरो समुदायसे प्रतिस्पर्धा करे सेक्ना क्षमता विकास कैना चुनौती बा । शिक्षा, रोजगारीके पहुँच कसिक बह्राइ सेक्जाइ व समाज सशक्तिकरण कैैना हिसाबले काम कसिक आघे बह्राइ परठ कना आयोगके सोचाइ बा ।

थारून्हे एक्के ठाउँमे कसिक जोह्र सेक्जाइ कना विषयमे फेन बहस चल्टी आइल बा । जस्टे भाषिक हिसाबले । थारू मानक भाषाके विषयम एकठो बहस चल्टी बा । बहसके निष्कर्ष का बटिन कना हिसाबले आयोगके तरफसे छलफल कैना सोच बनैले बटी । विषय उठान हुइल बा यकर व्यवस्थित छलफल कैके कार्यक्रम कसिक आघे बह्रैना एकठो प्लान करक पर्ना जरुरी मै डेख्ले बटुँ । एकठो वहृत गोष्ठी केन्द्रिय स्तरके कैके टोटल मोडालिटी मानक भाषा बनैना विषयमे कार्यक्रम तयार कैना वा सरकारहे कार्यक्रम चलाइक लग सिफारिस कैना हिसाबसे सोच्ना हो कि कना बा । छलफल कैके मानक भाषाके कार्ययोजना कसिक तयार पर्ना कैहके एकरूपता चाहल बा ।

ओस्टक क्यालेन्डर प्रकाशन कैना फेन सोच बा । जस्टे कि थारून्के टरटिउहारमे एकरूपता कसिके लाने सेक्जाइठ कना बा । विविधता बा, ओकर फेन संरक्षण करे परठ । कहुँ जाइबेर अपन थारू समुदायके टिउहार मनैनासे फेन औरे समुदायके टिउहार मनैनामे रुचि डेखैना ओ अपन छोरटी जैना अवस्था फे डेख परल बा । पुरुबसे पश्चिउँसम हम्रे थारून्के का का चाडबाड मनैठी टे । उ फेन हेरक पर्ना जरुरी बा ।

आउर आयोगले थारू आयोगके अधिकार काजे कम बटिस ?

– आयोगके विषयमे कलेसे सक्कु अयोगको अधिकार अक्के बा जस्टे मुस्लिम आयोग, मधेसी आयोग, ओ बजेट फेन करिब करिब अक्के आइठ । समग्र आयोगहे सशक्तिकरण कर्ना ओ अधिकार खुम्च्यागिल कना बाट उठैटी बाटी  । सुरुमे हम्रे अइनासे आघे विशिष्ट श्रेणीके सचिव हटाके प्रथम श्रेणीके ढैगैलेस । भर्खर कर्मचारी कटौटी कइगैल बा । जौन दरबन्दी बा, कटौटी कैल बा । यहोर सदस्य थपजाइट, ओहोर कर्मचारी जम्मा कटौटी कैल बा । सरकारके ध्यान पुगे नै सेकल हो । मने आउर आयोगहे ढेर प्राथमिकता डेगैल थारू आयोगहे नैडेहल हो कना भ्रम हो ।

साभारः फुलरिया

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