थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत ०६ बैशाख २६४८, बिफे ]
[ वि.सं ६ बैशाख २०८१, बिहीबार ]
[ 18 Apr 2024, Thursday ]
‘ पाठक प्रतिक्रिया ’

स्थानीयहुकनके आवाज अइना चाही

पहुरा | ३ चैत्र २०७७, मंगलवार
स्थानीयहुकनके आवाज अइना चाही

पहुरा थारु दैनिक पत्रिका थारुहुकनके आवाज, मुद्दा उठैना पत्रिका हो । जौन १८ बरससे हमार थारुनके बारेमे बोल्टी, लिख्टी थारुनके आवाज उठैटी आइल बा । थारु संस्कृति, रीतिरिवाज, रहनसहनके बारेमे लिख्टी आइल बा । थारुहुकनके भाषा, संस्कृति अभिनसम बचैटी आइल बा । थारु भाषाके जगेर्ना करटी आइल बा । इ सकारात्मक पक्ष हो ।

थारुहुकनके मिडिया कना नै पहुरा पत्रिका हो । थारु भित्तर रहल कु–संस्कृति, कु–विचार, रुढीबादी परम्पराहे हटैना, नै मजा चिजहे अङ्ग्रयाके उहिहे विस्थापित, निरुत्साहित कैना एकदम जरुरी बा । अब्बाके युवा पिढीहुकन गलत विचार चिरके सहि डगरओर डो¥यैना फेन जरुरी बा । सहि डगरमे नेगे सिखैना फेन पहुराके मुख्य ओ प्रमुख दायित्व हो ।

मै पहुरा पत्रिकाके सुरुवातीसे बार्षिक ग्राहक हुइटु । मै हर दिन पहुरा पत्रिका पहरटी आइल बटु । पत्रिकामे जौन मेराइक खुराक रहट उ खुराकमे ठोरचुन कमी कमजोरी रहलहस बिल्गाइट । पहिले पहिले कुछ बरस मजा खुराक आइल । मने अब्बासमके विचार करलेसे खुराकके फेन कमी हुइल लागठ । काहे कि पहुरा पत्रिका स्थानीय पत्रिका हो । स्थानीय पत्रिकामे स्थानीय खुराक रना चाही । स्थानीयहुकनके मुद्दा, आवाज अइना चाही । एकदम हट, जल्दो बल्दो, नै डारके नै हुइना राष्ट्रिय, अन्तर्राष्ट्रिय खुराक कबुकाल कोनो कोन्वामे रना मजा बाट हो । मने प्रायःजसो काठमाडौं, सुर्खेत, विरगंज ओरिक समाचार आइट । उ चिजहे कमी कैलेसे मजा हुइना रहे जैसिन लागठ । राष्ट्रिय, अन्तर्राष्ट्रिय समाचार टो हम्रे राष्ट्रिय पत्रिकामे हेरलेठी । टबमारेसे स्थानीय पत्रिकामे स्थानीय बिषयवस्तुहे प्राथमिकता डेलेसे मजा हुइने रहे की ? जैसिन लागठ महिन । बाँकी अपनेहुकनके विचार । पाठकहुकनके रुचि, अभिरुचि, विचारहे ध्यान डेके खुराक पस्कलेसे पाठकलोगहुक्रे फेन हम्रे आभारी रटी ।

– रतिराम चौधरी
कैलारी गाउँपालिका–२, बसौटी, कैलाली

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