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शान्ति ओ न्याय स्थापनामे संकुचनके अवस्था

पहुरा | २४ श्रावण २०७८, आईतवार
शान्ति ओ न्याय स्थापनामे संकुचनके अवस्था

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २४ सावन ।
शान्ति ओ न्याय स्थापनाके लाग प्रदेश स्तरीय नागरिक समाजके भूमिका विषयक एक दिने अन्र्तक्रिया कार्यक्रम अँटवारके रोज धनगढीमे हुइल बा ।

कोक्यापके आयोजनामे हुइल कार्यक्रममे सुदूरपश्चिम ओ कर्णाली प्रदेशके नागरिक समाजके पदाधिकारीहुकनसंग अन्र्तक्रिया करल हो । कार्यक्रममे सहभागिहुक्रे नागरिक समाजके भुमिका सा“किर हुइटी गैल गुनासो करले रहिट । सुर्खेतके विन्दुलाल रेग्मी कहलै –‘०६२/६३ के जनआन्दोलनमे बल्गर विल्गाइल नागरिक समाज पछिल्का समय यकर भुमिका सा“किर हुइटी गैल बा ।’ उहाँ नागरिक समाजसे समाज परिवर्तनके लाग अपनेहुकनहे परिवर्तन, समयानुकुल बनैटी लैजाई पर्ना सुझाव डेलै ।

धनगढी उपमहानगरपालिकाके वडा सदस्य प्रेम विक जातिय विभेद कायमे रहेबेर समेत नागरिक समाजके पदाधिकारीहुक्रेफे मौन बैठना करल गुनासो करलै । उहाँ कहलै–‘सरकारसे संविधानमे जातिय विभेद अन्त्य हुइल घोषणा करल रहे । अब्बेफे कौनो न कौनो बहानामे दलित वर्गसे जातिय विभेद भोगे परल बा ।

खै टे नागरिक समाजके भुमिका ?’ कोक्यापके कार्यक्रम संयोजक महेश भट्टसे सुदूरपश्चिम ओ कर्णाली प्रदेशमे हुइल मानवअधिकार तथा सुरक्षा घटनाके तथ्यांक प्रस्तुत करले रहिट । उहाँ मार्च १ से जुन ३१ सममे सुदूरपश्चिम प्रदेशमे ५० ठो हिंसात्मक घटना हुइल बटैलै । प्रदेशमे सबसे ढेर कैलालीमे ओ सबसे कम बाजुरामे रहल बटैलै ।

‘देशभर नागरिकके अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता, हत्याहिंसा, बलात्कार, विभेद लगायतके घटना बढटी रहल बा’ उहाँ कहलै –‘आर्थिक, शासन, व्यक्तिगत, राजनीतिक लगायतके कारण समाजमे यी विकृति हुइटी रहल पाइल बा ।’ कार्यक्रममे एनएनडिएसडब्लुओ अध्यक्ष चक्र विक, समता फाउण्डेशनके मिलन परियार जाती ओ धर्महे हेर्ना मानसिक संरचना बडले नइसेकल बटैलै ।

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