कैलालीमे ४९६ प्रजातिके चिरै

चिरैनके सचित्र विवरणसहितके पुस्तक प्रकाशन
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २ भदौ । कैलालीमे १९ परिवार तथा ८२ उपपरिवारके ४९६ प्रजातिके चिरै पैना एक अध्ययनसे डेखाइल बा ।
कैलाली जिल्लाके ढेर जैसिन भुभागमे करल अध्ययन तथा अनुसन्धान पश्चात यहाँके चिरैनके सचित्र विवरण सहितके प्रकाशित उ पुस्तक मे ओटरा प्रजातिके चिरै रहल अध्ययनसे डेखागिल हो ।
विगत एक दशकसे चिरैनके अनुसन्धानमे लागल नेपाल पंछी संरक्षण संघके सुदूरपश्चिममे रहल टमान आयोजना हेर्ना हिरुलाल डंगौरा तथा बृहत घोडाघोडी पर्यटन बिकास बोर्डके उपाध्यक्ष दयाराम (डिआर) चौधरीसे अध्ययन सहित उ पुस्तक लिखल रहिट ।
‘नेपालमे हालसम ८८७ प्रजातिके चिरै मिल्ठै,’ संरक्षणकर्मी हिरु कहलै,–‘अब्बे कैलालीमे केल चिरैनके अध्ययन अनुसन्धान करके पुस्तक प्रकाशित हुइल बा, यि क्रम जारी रही ओ सुदूरपश्चिम प्रदेशकके और जिल्ला पर्यटकीय ओ मेर मेराइक चिरैके बसोबास रहल क्षेत्रके अध्ययन अनुसन्धानके लाग भर्जिन बा ।’
नेपाल पंछी संरक्षण संघके हिरुलाल कहलै– ‘एक दशकके अध्ययन अनुसन्धानमे चुनौती ओ आनन्द ओटरे रहल । और पशुपंक्षि जस्टे चिरैनकेफे बहुट महत्व बा, यकर अध्ययन करटी गैलेसे कबुफे नइओराई, अध्ययन अनुसन्धान करेबेर बाघ, हाठीसेफे मुडभेर हुई परल ।’ प्रदेशभर जिल्लामे अध्ययन अनुस्धान करलेसे करिब ६ सय प्रजाति चिरैनके संख्या ठप हुइना उहाँ बटैलै ।

उद्योग, पर्यटन, वन तथा वातावरण मन्त्रालय, सुदूरपश्चिम प्रदेश तथा प्रदेश पर्यटन विकास कार्यक्रम कार्यन्वयन इकाईके आर्थिक सहयोग ओ नेपाल पंछी संरक्षण संघके सहकार्यमे प्रकाशन करल उ पुस्तकमे राजलाहाँचे, राजधनेश, डंगरगिद्ध, सानोखैरोगिद्ध, सेतो गिद्ध लगायतके विश्वमे दुर्लभ २१ प्रजातिके साथे राष्ट्रियस्तरमे संकटापन्न अवस्थामे रहल ८१ प्रजातीके चिरै पैना पुस्तकमे उल्लेख करल बा ।
कैलालीमे पैना चिरैहुकनके अवस्था, चिरैनमे पर्ना खतरा ओ संरक्षणके चुनौती समेत समावेश करल पुस्तकके विमोचन उद्योग, पर्यटन, वन तथा वातावरण मन्त्रालयके सुदूरपश्चिम प्रदेशके ९ जिल्लाके डिभिजन वन कार्यालयके प्रमुख, संरक्षणके क्षेत्रम काम कैना निकाय एवं तराई भूपरिधि तालके प्रतिनिधि ओ नेपाल पंछी संरक्षण संघके प्रतिनिधिहुकनके सहभागितामे माननीय मन्त्री मानसिंह धामी चिरैनके सचित्र विवरण सहितके प्रकाशित उ पुस्तक विमोचन करले रहिट ।
प्रकृतिके सुन्दर उपहार एवं जैविक विविधताके प्रमुख अंगके रुपमे मानल दुर्लभ पंछीहुकनके अध्ययन एवं अवलोकनके लाग सहयोगी मन्ना ‘कैलालीमे पैना चिरै ओ चिरैनके अवलोकन क्षेत्र’ नामक पुस्तक जिल्ला भर करल अनुसन्धानके पहिल पुस्तक हो ।
पछिल्का समय जैविक विविधता, वातावरण संरक्षण लगायतके विषयमे अध्ययन अनुसन्धान कैना तथा कलम चलैना काममे युवाहुकनके जोशजाँगर बढल विल्गाइठ । खास करके चिरैचुरुङगीके अध्ययन तथा अवलोकन तुलनात्मक रूपमे कम जोखिमयुक्त ओ ढेर आनन्ददायी हुइल ओरसे युवा विद्यार्थी, संरक्षणकर्मी तथा फोटोग्राफरहुकनके लगाव ओहोर बढल विल्गाइठ ।
यी पुस्तकसे चिरै संरक्षण, अनुसन्धान ओ चिरै अवलोकन पर्यटनहे सहयोग पुगैना ओ युवाहुकनहे प्रेरणा, सकारात्मक उर्जा प्रदान कैना विश्वास करे सेक्जाई ।
