आज मातृ सम्मान दिवस

काठमाडौं, १७ वैशाख । प्रत्येक वर्ष वैशाखकृष्ण पक्ष औँसीके दिन जन्मदाता डाइ (आमा)हे सम्मान कैके मनैना आमाके मुख हेर्ना पर्व आज देशभर डाइहे मीठमीठ खैनाचिज खवाके श्रद्धा भक्तिसाथ मनागिल बा ।
शास्त्रमे उपाध्याय (पण्डित), आचार्य ओ पितासे फेन भारी मानल डाइप्रति श्रद्धा, भक्ति, सम्मान ओ आदर करना तथा उहाँसे शुभाशिर्वाद लेना दिनके रूपमे यी पर्वहे लेना शास्त्रीय परम्परा बा । छावाछाइ आज बिहाने उठके लहाके अपन डाइहे मजामजा लुगा डेना ओ मीठमीठे–पोसिला खैनाचिज खाइ डेना आशिर्वाद लेना चलन बा । डाइ नैरहलहुक्रे भर डाइहे तर्पण ओ पिण्ड तथा पुरोहितहे सिदादानसहित भोजन कराके दिवंगत डाइ ओ उहाँसे करल महान् एवं कष्टकर काम सम्झठैं ।
सनातन वैदिक शास्त्रमे प्रत्येक नरनारी जीवनमे देवऋण, मनुष्यऋण ओ पितृऋण तिरेपरना कहल बा । वैदिक सनातन धर्म ग्रन्थमा ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी’ अर्थात् जन्म डेना डाइ ओ जन्मभूमि स्वर्गसे फेन भारी एवं प्यार रना कहिके डाइ ओ जन्मभूमिके महत्व दर्शाइल धर्मशास्त्रविद् एवं नेपाल पञ्चांग निर्णायक समितिके पूर्वअध्यक्ष प्रा डा रामचन्द्र गौतम बटैठैं ।
सन्तानहे नौ महिनासम गर्भमे धारण कैके जीवन डेना हुइल ओरसे डाइके महत्व औरेसे ढेर बा । बाबासे डाइक महत्व हजार गुणा ढेर रना कहिके शास्त्रीय ग्रन्थमे उल्लेख करल फेन उहाँ सुनैलैं । अइसिन महत्व रहल ओरसे जीवित डाइहे मीठ खैना ओ मजा लगाके सम्मान कैके खुसी बनाजाइठ ।
दिवंगत डाइक नाममे श्रद्धा भक्तिसाथ तर्पण, पिण्डदान ओ सिदादान करजाइठ । वैशाखकृष्ण औँसीके दिन दिवंगत डाइ आश करना हुइल ओरसे तर्पण, पिण्डदान ओ सिदादानसहित श्राद्ध कैके खुसी होके आशिर्वाद डेना शास्त्रीय मान्यता रहल धर्मशास्त्रविद् गौतम बटैलैं ।
यी अवसरमे चन्द्रागिरी नगरपालिकास्थित मातातीर्थमे मेला लागठ । विगत दुई वर्ष कोरोनाके संक्रमण तीव्र रूपमे फैलल ओरसे मातातीर्थमे दिवंगत माताके सम्मानमे लग्ना करल मेला स्थगित करल रहे । यी वर्ष भर कोरोना कम हुइल ओरसे मेला लग्ना नगरपालिका जनैले बा ।
