थारु राष्ट्रिय दैनिक
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कथा लेखनमे अब्बल संगम

पहुरा | ११ आश्विन २०७९, मंगलवार
कथा लेखनमे अब्बल संगम

सागर कुस्मी
धनगढी, ११ कुवाँर ।
हरेक मनैंनमे एक ना एक कला लेके जलम हुइल रठैं । कोइ गीत गैनामे सिपार रठैं टे कोइ पर्हाइ लिखाइमे । मने संगम चौधरी एक अइसिन गुण रहल लेखक हुइँट जो कि समाजके वास्तविक चित्रण अपन कथा लेखनमे उटारलेठैं ।

कंचनपुर जिल्लाके पुनर्वास नगरपालिका २ अमरहिया गर रहल संगम चौधरी थारु साहित्यमे एक जमल साहित्यकार हुइँट । हुँकार कथा लेखनमे अदभूत कला बटिन । समाजमे घटल घटनाहे समेतके तुरुन्त कथामे उटारे सेक्ना हुँकारमे प्रतिभाशाली कला भगवन्वाँ छप्पर फारके डेले बटिन ।

गजल लेखनसे सुरुवात करल साहित्यिक यात्रा अझ्कल संगमके कथा लेखनमे ढेर सुधार हुइल उहाँके कहाइ बा । सुरुवातीमे लेखन ओत्रा नैमजा रलेसे फेन निरन्तर लेखन अभ्याससे ढेर सुधार हुइल बा, उहाँ कलैं, समाजमे रहल विकृतिहे हटैना, सन्देश मुलक कथा लिख्ना रुची लागठ ।

थारु भासाने कृति निकर्ना बहुट कर्रा काम हो । साहित्य लिख्ना महा साँसट हो । हरकोइ लिखे नैसेक्ठैं । भगवन्वाँ बिल्ले मनैन असिन क्षमता डेके रहठ कि अपन दिमागमे तुरुन्त सेट कैके पन्नामे उटारलिँउ । असिन अवस्थामे फेंन संगम अपन कलमहे डौराइठ डेख्के खुशी लागल बा । थारु साहित्यमे बरवार बख्खारी हुइँट कलेसे फरक नैपरी ।

उहाँ अपन कथामे जिन्गिक् हर मेरिक दुःख, पिरा, व्यथाके चित्र खिंचे सेक्ठैं । गाउँ घरक् समस्या, गरिबके कारण पाइल दुःख बेदना समेटल बुलन्द आवाज कथा भिट्टर पाई सेक्जाइठ । उहाँ कठैं मनैंनहे जिवन्त बनैना कलक साहित्य जो हो, जे साहित्य लिखठ ओहे इ संसारमे सडादिन अमर रहठ ।

अस्टेके हुँकार लेखनमे, गरीबी, बेरोजगार, शिक्षा कमीसे हुइल समस्यासे जुझल पात्र लोगनके व्यंग्य जरल कथा पाजाइठ । जिन्गी गुजारक् लाग हरेक मेरके चुनौतीसे दुख पाइल चित्रण करल कथा फेन पाइ सेक्जाइठ ।

लेखकके अपन धनी गरिब, धर्म, जातपात नैहेर्के मानवीय गुण डर्साइल बा । ओस्टके छाइ कथामे समाजमे नारी फेंन पुरुष सरह होके काम करे सेक्ठैं कना चित्रण कैल बा । साहित्यकार वीरबहादुर राजवंशी कठैं, अभिन फेंन कुछ स्रस्टा लोगनके अध्ययनके कमिसे खोजलहस कथा आइ नैसेकठो । हमार समाजमे गाउँ घरमे अभिन शिक्षाके चेतनाके कमि बा । बेरोजगार ढेर बा ।

अइसिन कथाहे सिमोट्ना जिम्मा लावा युवनके फेन ढेर जिम्मेवारी रहल राजवंशी बटैठैं । अपन डाइ बाबा कथा, भ्रष्टाचार, अन्याय, दमन, शोषण सहके कमैयाँ, कम्लहरीके कथा फेन लिख्ना कथाकारके कन्ढम रहल उहाँके बुझाइ बा ।

लोक साहित्यमे धनी थारु समुदायके भिट्टर रहल बट्कुही खोज अनुसन्धान कैके लिखित रुपमे ढैना जरुरी रहल उहाँके कहाइ बा । समयके बावजुद फेंन अझकल लगटार रुपमे थारु लोक संस्कृतिमे कलम चलैटि आइल संगम चौधरीसे फेन अइना दिनमे लावा कृति आइ कना आस करे सेक्जाइठ ।

कंचनपुर पुनर्वास २ के साहित्यकार अशोक चौधरी, आधुनिक कथा किल नाही पुरान खिस्सा लिखक लाग गाउँघरमे छिपल पाकल ओइन्से सिखेक पर्ना बटैठैं । उहाँ कठैं, आजा, बुडुनसे बैठके पुरान कथा सिर्जाइ सेक्लेसे किल थारु समाजके वास्तविक कथा मुर्तरुप पाइसेकी ।

ओस्टेके लोकगीतकार हिमाली चौधरी फेन पुरान लोककथा अभिन फें पुर्खन्ठें ढेर रहल बटैठैं । उहाँ कठैं, सेकट सम मै ओ संगम मिलके अझ्कल कुछ खिस्सा युटुबमे अपलोड कर्टी रहल बटैलैं । इहिसे ढेर जाने उ कथा सुनिट ओ जानिट कहिके इ काम करल उहाँके कहाइ बा ।

के हुइँट संगम चौधरी ?

जिल्ला कंचनपुर पुनर्वास नगरपालिका २ अमरहिया गाउँमे जन्मल संगम चौधरी, बाबा जीतराम चौधरी डाइ परमलौटी चौधरीके चार छावा मन्से संगम बर्का पुटुवा हुइँट ।

हुँकार अस्रा गजल संग्रह २०७५ बैशाख, ओ लावा घर कथा संग्रह २०७५ चैत लगाके डु ठो पोस्टा प्रकाशित हुइल बटिन । हुँकार लेख रचना हरचाली त्रैमासिक, निसराउ साप्ताहिक, पहुरा दैनिक, एकपरगा अनलाइन लगायत टमान पत्रपत्रिकामे गजल, मुक्तक, कथा, संस्मरण छपल पाजाइठ ।

अझ्कल उहाँ ढेर जैसिन सामाजिक कथा लेखनमे सक्रिय हुइल बिल्गैठैं । उहाँ रेडियोमे फेन ढेर गीतिकथा कार्यक्रम चला सेक्ले बटैं ।

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