थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४८, शुक्कर ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८१, शुक्रबार ]
[ 26 Apr 2024, Friday ]

कैलारीमे थारु जन्नीहुक्रे गइया बेह्रलै

पहुरा | ११ जेष्ठ २०८०, बिहीबार
कैलारीमे थारु जन्नीहुक्रे गइया बेह्रलै

पहुरा समाचारदाता
हसुलिया, ११ जेठ ।
कैलाली जिल्ला कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ४ भितरियाके थारु समुदायके जन्नीहुक्रे गइया बेह्रले बटै ।
खडेरी÷सुख्खा हुइलपाछे भगवान इन्द्रसे पानी पारडेहक लाग थारु समुदायमे जेठ–आषाढ महिनामे धान लगैना बेलामे पानी नइबरसलेसे थारु जन्नीहुक्रे थारुमनैनके भेषमे झुलुवा, पैन्ट ओ जुत्ता लगाके हातमे छाता लेके गइया बेह्रना चलन रहल बा ।

करिब लोप हुइल लोक संस्कृतिहे पुनंजागरण करेक लाग ११ बरसपाछे फेरसे गोरु बेह्रना सुरुवाट करल कैलारी–४ भितरियाके राधादेवी चौधरी बटैली । गइया बेह्रलसे पानी परठ कना जनविश्वास थारु समाजमे परापूर्वकालसे रहटी आइल उहाँ बटैली ।
गाउँभरिक जन्नीमनै थारुमनैनके भेषमे छिमेकी गाउँ कैलारी गाउँसे गैंया पकरके नानल उहाँ बटैली । उहाँ कहली, ‘सुरुमे एकठो गाउँसे डोसर गाउँमे जाके जन्नीहुक्रे एकठो जनेवाहे वन्दी(गैया) बनाके आपन गाउँमे लन्ठैं । बन्दी (गैया) हे पक्रे गैलसेफेन गीत गैटी जैठे ओ पकरके लानबेरफे गीत गैटी अइठै । ऐसिक दोसर गाउँसे पकरके लानल बन्दीहे हमार भाषामे गैया पक्रल कहठैं ।’

बन्दी बनाके लानल मेधारुक सेवा सत्कार कैके मीठ–मीठ परिकार खवाके धरना काम कैजाईठ उहाँ कहली । जबसम ऊ बन्दीहे ओकर गाउँक जनेवाहुक्रे सामुहिक रुपमे पुरुषनके भेषमे आके गीतमे प्रतिस्पर्धा करके छुटाके नै लैजिठैं टवसम ऊ बन्दी (गैया) ओहे गाउँक जनेवनके अधिनमे रठी । आपन गाउँक ऊ बन्दी बनाके लानल ऊ जनेवाहे छुटाके लैजाईकलाग पक्रुइया गाउँक जनेवा हुक्रनसे भारी प्रतिस्पर्धा करे पर्ना रठिन । थारु समाजमे भारी महत्व बोकल यी संस्कृति दुई छिमेकी गाउँक एक आपसमे गीतके प्रतिस्पर्धा हुइठ ।

बन्दी बनाके लानल ऊ गैयाहे गाउँक भलमन्सक घर रख्ना चलन हुइलक कारण दुई गाउँक जनेवनके बीचमे आज भलमन्सक अँगनामे प्रतिस्पर्धाफे हुइना भिटरियाके रामप्रसादी चौधरी बटैली ।

दुई गाउँक दुई पक्षके बीचमे भलमन्सक अंगनामे गीतमे कडा प्रतिस्पर्धा हुई,’ उहाँ कहली, ‘करिब दिनभर दुई पक्षबीच दोहोरो गीतमे प्रतिस्पर्धा चली । एक पक्षसे गीतमे प्रश्न कर्ना ओ दोसर पक्षक मनै गीतमे जवाफ डेहेपर्ना रहठ । एक दोसरके गीतहे गीतसे काटेपर्ना रहठ ।

ओकर दुसर दिन जन्नीहुक्रे गैया बेहर्लक चुक्की खाइकलाग गाउँ गाउँ जाके फूला लोहर्ना कामफे करठे भितरियाके आरती चौधरी बटैली । फूला लोहरेगैल जनेवाहुक्रन कौनो रोकतोक नइरहठ । ओइने औरक बारीमे जाके टिना तावन टुर्ना काम करठै । ओ बारी तरकारी रहल घरक मनै ओइनहे सेक्नासम टिना तुरके सहयोग कर्ना काम करठै । टिना तावन तुरेबेर फुला लोहर्ना गीत गैठै । गीत गैटी गाउँ गाउँ जैना ओ बारी विउँरा चहर्ना जनेवनके गीतसे चारुओर रौनक छाइल रहठ । ऐसिक फुला लोहकरके एकदिन मजासे गैया लोरहौनी गाउँमे चुक्कीके आयोजना करके खैथैं पिथैं ओ गैया बेरहाईके अन्त्य करठै । यिही पहिले गैया बेह्रलपाछे पानी बरसलफे उहाँ बटैली । थारु समुदायमे यी लोक संस्कृति करिब लोप हुइल ओरसे पुस्तान्तरणके लाग अशौ फेर सुरुवाट करल उहाँ बटैली ।

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