थारु राष्ट्रिय दैनिक
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‘ सम्पादकीय ’

छुवाछुट ओ विभेद अभिनसम काहे ?

पहुरा | २१ असार २०८०, बिहीबार
छुवाछुट ओ विभेद अभिनसम काहे ?

नेपालके संविधानसे प्रत्येक व्यक्तिके सम्मानपूर्वक बाँचे पैना हक, न्याय सम्बन्धी हक, दलितके हक, सामाजिक न्यायक हक, समानताका हक, छुवाछुत तथा भेदभाव विरुद्धके हक लगायतको अधिकारके सुनिश्चितता करले बा । जातीय तथा अन्य सामाजिक छुवाछुत तथा भेदभाव (कसूर सजाय) ऐन २०६८ ओ मुलुकी अपराध संहिता २०७४ तथा नेपाल पक्ष राष्ट्र हुइल सक्कु मेरिक जातीय भेदभाव उन्मूलन सम्बन्धी अन्तराष्ट्रिय महासन्धी, १९६५ समेतसे यैसिन हके प्रत्याभूति करले बा । यैसिन मेरिक संवैधानिक ओ कानुनी व्यवस्थाके वावजुतफे जातीय विभेद ओ छुवाछुतके आधारमे हुइना घटनामे कमि नइआइल ओरेक नेपाल जनैले बा ।

दलित महिला संघ फेडोके वि.सं. २०७७ कार्तिकसे २०७८ कुवाँरसम दलित समुदायउप्पर जातीय भेदभाव तथा छुवाछूतके टमान प्रकृतिके ६७ ठो घटना हुइल तथ्यांक संकलन करल रहे । एक वर्षमे ७ जानेक जातीय भेदभाव तथा छुवाछूतके कारण हत्या हुइल रहे । जौन मन्से तीनजानेक बलात्कार पाछे हत्या हुइल रहे । कलेसे पाँच जाने आत्महत्या कैना बाध्य हुइल रहिट ।

ओरेकमे जनवरीसे डिसेम्बर २०२२ सम संकलन करल तथ्यांकहे हेरबेर संकलन हुइल कूल ३ घटना मन्से ४०५ जाने दलित महिला, बालिका तथा लउण्डीउप्पर टमान स्वरुपके हिंसा हुइल पाइल बा । सार्वजनिक हुइल घटना प्रतिनिधिमूलक घटना केल हुइट । जातीयताके आधारमे हुइना अइसिन प्रकृतिके घटनाहे सामान्य रुपमे लेना, घटनाहे गाउँघरमे मिलापत्र करैना बाध्य बनैना, घटनाके दोषीहे कारवाहीके दायरामे नइनानके दण्डहीनताहे सरकारी पक्षसे प्रश्रय डेहल कना प्रशस्त आधार रहल रहल बा ।

कानुनमे जातीयताके आधारमे सक्कु खाले विभेदके अन्त्य कैना कहलेसेफे उ कानुनके कार्यान्वयन कैना निकाय तथा समाजमे विभेदपूर्ण व्यवहार ओ मानसिकताके निरन्तरता हो कनामे दुइमत नइहो । जातीय विभेद तथा छुवाछुत प्रथा सामाजिक, नैतिक तथा मानवीय गरिमा विरूद्धके गम्भीर अपराध हो । मानव अधिकारके हनन् हो । संविधानसे देहल हकहे सरकारसे पालना नइकरल उदाहरण हो । टबमारे अब्बे घटल सक्कु घटनाके सुक्ष्म अनुसन्धान करके दोषीहुकनहे कानुनी दायरमे नन्ना ओ कानूनके प्रभावकारी कार्यान्वयन करके सरकार देशके सक्कु नागरिकहुकनके समानताके हक सुनिश्चित कैना तथा भविष्यमे यैसिन घटना नघटे कना समुदायतहसे सामाजिक रुपान्तरणके अभियान सञ्चालन करके हरेक नेपाली नागरिकहुकनके मानव अधिकार सुनिश्चित हुइना वातावरण निर्माण कैना सरकारके ध्यानाकर्षण होए ।

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